बीएचयू: प्रवेश परीक्षा के ख़िलाफ़ ‘छात्र सत्याग्रह’ जारी, प्रशासन का किसी भी विरोध से इंकार
“जब देश में महामारी अपने चरम पर है, रोजाना 70 हजार के करीब नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में बीएचयू प्रशासन द्वारा लाखों छात्रों के जीवन को जोखिम में डाल कर प्रवेश परीक्षाएं आयोजित करना एक मूर्खतापूर्ण कदम है।”
ये विरोध काशी हिंदू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू के छात्रों का है। कोरोना संकट के बीच आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं को लेकर छात्र और प्रशासन एक बार फिर आमने-सामने हैं। महामारी के चलते छात्र लगातार परीक्षाएं टालने की मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर विश्वविद्यालय तक छात्रों का विरोध जारी है तो वहीं प्रशासन किसी भी विरोध से इंकार कर, सब कुछ ठीक होने का दावा कर रहा है।
बता दें बीएचयू में प्रवेश परीक्षाओं के विरोध में बीते दस दिनों से विश्वविद्यालय परिसर धरना जारी है, जिसे छात्रों ने सत्याग्रह का नाम दिया है। छात्र लगातार ट्विटर के माध्यम से भी परीक्षाओं को लेकर अपनी आपत्ति लगातार दर्ज करवा रहे हैं। छात्रों का दावा है कि #CencleBHUEntrance, #PostponeBHUEntarance कैंपेन को 60 लाख लोगों का समर्शन भी मिला है।
क्या है पूरा मामला?
बीएचयू के सूचना एवं जन संपर्क कार्यालय की एक अधिसूचना के अनुसार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रथम चरण की प्रवेश परीक्षाएं 24 अगस्त से 31 अगस्त के बीच आयोजित होंगी वहीं दूसरे चरण की प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन 9 से 18 सितंबर के बीच किया जाएगा।
छात्र इन्हीं परीक्षाओं के आयोजन को लेकर विरोध कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि कोविड-19 के बढ़ते खतरे को देखते हुए लाखों की संख्या में अभियार्थियों का परीक्षा केंद्रों तक पहुंचा और पेपर देना बहुत ही बड़ा जोखिम मोल लेने वाली बात है। ऐसे में ये भी हो सकता है कि जिन लोगों के पास संसाधनों की अच्छी पहुंच है, वो फिर भी सफल हो जाएं लेकिन जो अभियार्थी कमज़ोर तबके के हैं या बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों में रहते हैं उनकी चुनौती और बढ़ जाएगी।
छात्रों का क्या कहना है?
13 अगस्त से सत्याग्रह पर बैठे बीएचयू के छात्र नीरज का कहना है कि जब तक देश में कोरोना की स्थिति नियंत्रण में नहीं आ जाती, हालात थोड़े सामान्य नहीं हो जाते तब तक सभी प्रकार की परीक्षाएं स्थगित होनी चाहिए।
नीरज ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में बताया, “हमारी तमाम कोशिशों और विरोध के बावजूद बीएचयू प्रशासन द्वारा प्रवेश परीक्षाओं का ऐलान कर दिया गया। हमने प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर वाइस चांसलर से मिलने का अनुरोध किया, लेकिन अभी तक न तो कुलपति और नाही कोई कोई प्रशासनिक अधिकारी हमसे मिले हैं। हमने अपनी मांगों को लेकर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक समेत बंगाल, बिहार और कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखा है लेकिन अभी तक हमें कहीं से कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है।”
मालूम हो कि नीरज द्वारा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी पत्र लिखा गया है। पत्र के माध्यम से नीरज ने बीएचयू की प्रवेश परीक्षा के लिए सभी सेंटर्स पर महामारी से बचने की व्यवस्था करने और ऐसा न होने कि स्थिति में परीक्षा स्थगित करने की मांग की है।
बीएचयू के छात्र प्रियेश पांडेय के मुताबिक क़ाशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्नातक व स्नातकोत्तर प्रवेश परीक्षा के लिए इस साल देश भर से 12500 सीटों के लिए 5.25 लाख से अधिक आवेदन हुए हैं। इसमें स्नातक के लिए 3 लाख 75 हज़ार और स्नातकोत्तर के लिए 1 लाख 50 हज़ार आवदेन हुए हैं। परीक्षाओं का आयोजन कुल 202 परीक्षा केंद्रों पर कराया जाना है।
प्रियेश कहते हैं, “परीक्षा में बैठने वाले सभी परीक्षार्थियों के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन की बनती है। जब कोरोना की स्थिति नियंत्रण से बाहर है, रोज़ाना 70 हज़ार नए मामले और 1000 मौतें हो रही है। ऐसे में लाखों परीक्षार्थियों को देश भर में परीक्षा केंद्रों पर आने के लिए मजबूर करना विद्यार्थियों व उनके परिजनों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।”
महामारी के समय देशभर में परीक्षाओं का विरोध कर रहे छात्र संगठन आइसा के बीएचयू ईकाई के अध्यक्ष विवेक ने न्यूज़क्लिक से कहा कि कुलपति का काम सिर्फ एंट्रेंस कराना नहीं है। बाढ़ और कोरोना के बीच बच्चे कैसे एंट्रेंस दे पाएंगे ये सोचना भी कुलपति का ही काम है। ऐसा भी नहीं है कि कोई शौकिया तौर पर एंट्रेंस नहीं देना चाहता है। जिन छात्रों ने (5 लाख से ज्यादा छात्र) एंट्रेंस फार्म भरा है, सबने एडमिशन लेने की उम्मीद में ही भरा है। जिन समस्यायों के कारण छात्र एंट्रेंस देने में असमर्थ है वो समस्या देश की है उनके घर की नहीं जो आप उन्हें इग्नोर करके एंट्रेंस कराने की खानापूर्ति करने को आतुर हैं।
विवेक आगे कहते हैं, “कोई प्रवेश परीक्षा के विरोध में नहीं है, छात्र बस वर्तमान स्थितियों में परीक्षा करवाने के खिलाफ हैं। आधा बिहार डूबा हुआ है, असम बाढ़ ग्रस्त है, पश्चिम बंगाल में पूरी तरह से लॉकडाउन है। बाकी जो छात्र एंट्रेंस देने को आतुर है उन्हें सिर्फ अपना स्वार्थ दिख रहा है, उन्हें लग रहा है कि हम तो दे देंगे बाकी से क्या मतलब। हमें समझना होगा कि हर परिवार रिजर्व चार चकिया गाड़ी से अपने बच्चों को सेंटर तक पहुंचाने में सक्षम नहीं है, जिनके पास संसाधनों की कमी है उनका क्या होगा, उनकी बात कौन करेगा? हमें ये भी सोचना चाहिए। देश में और भी यूनिवर्सिटी है जब सबका एंट्रेंस होने लगे तभी बीएचयू में भी परीक्षा हो।
बीएचयू प्रशासन का क्या कहना है?
इस संबंध में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए न्यूज़क्लिक ने बीएचयू जन सम्पर्क अधिकारी (पीआरओ) राजेश सिंह से फोन पर बातचीत की।
राजेश सिंह के अनुसार बीएचयू अपनी गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता नहीं करना चाहता। क्योंकि ये बच्चों के भविष्य का सवाल है, इसलिए प्रशासन अपनी ओर से सभी तैयारियों पर विशेष नज़र रख रहा है। बीएचयू प्रशासन द्वारा छात्रों के स्वास्थ्य हितों को ध्यान में रखते हुए कोविड-19 से जुड़े सभी सरकारी मानकों का पालन किया जा रहा है। सभी परीक्षा केंद्रों पर कोरोना गाइडलाइंस को सही तरीके से लागू किया जाएगा।
जब पीआरओ से छात्रों के विरोध और सत्याग्रह पर सवाल किया गया तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज़ करते हुए कहा कि फिलहाल विश्वविद्यालय में परीक्षाओं को लेकर कोई धराना या सत्याग्रह नहीं चल रहा।
राजेश सिंह ने कहा, “99 फिसदी छात्र पहले से ही परीक्षाओं के पक्ष में थे, जो बाकि 1-2 छात्र इसका विरोध कर रहे थे, उन्हें समझा दिया गया है और अब वो भी इसके खिलाफ नहीं हैं। विश्वविद्यालय में किसी प्रकार का कोई धरना या सत्याग्रह परीक्षाओं को लेकर नहीं चल रहा। विश्वविद्यालय प्रशासन बच्चों के बेहतर हितों के लिए प्रतिबद्ध है।”
हालांकि राजेश सिंह के इस दावे को बीएचयू के छात्रों ने झूठा करार देते हुए अपने विरोध के लगातार जारी रहने की जानकारी दी। छात्रों का कहना है कि चूंकि परीक्षा की तिथियां घोषित हो चुकी हैं और परीक्षाओं को लेकर अधिक समय भी नहीं बचा, ऐसे में प्रशासन कम से कम छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ जरूरी कदम आश्वस्त करे, जिससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके। छात्रों की मांग है कि परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे अभियार्थियों को ज्यादा दूर और दूसरे जिलों में न जाना पड़े। इसके अलावा एक पेंडेमिक एक्सपर्ट कमेटी बने जो परीक्षा केंद्र के सैनिटीज़शन, सोशल डिस्टेनसिंग, और थर्मल स्क्रीनिंग की समुचित व्यवस्था करे।
गौरतलब है कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश में यूपी बीएड की प्रवेश परीक्षा आयोजित हुई थी। जिसमें प्रशासन की घोर लापरवाई देखने को मिली थी। मीडिया खबरों के मुताबिक कई अभ्यार्थी इसके बाद कोरोना संक्रमित भी पाए गए। ऐसे में देशभर में बीएचयू की होने वाली प्रवेश परीक्षा में प्रशासन कैसे लाखों छात्रों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी लेगा, ये एक गंभीर सवाल है।
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