बिलासपुर: एक और आश्रय गृह की महिला ने कर्मचारियों पर शारीरिक, मानसिक उत्पीड़न के लगाए आरोप
एक बार फिर देश में महिलाओ के सुरक्षा के दृष्टि से बने आश्रयगृह से ही उनके शोषण की खबर आई है। इस बार छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक आश्रय स्थल की तीन महिलाओं ने इसके कर्मचारियों पर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। महिलाओं को हाल ही में नारी निकेतन से स्थानांतरित किया गया था।
हालांकि, आश्रय स्थल के संचालक ने आरोपों से इनकार किया है।
पुलिस ने कहा है कि उसने मामले का संज्ञान लिया है और महिलाओं के बयान को बृहस्पतिवार को मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा।
बिलासपुर के पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
एक और सरकारी अधिकारी ने बताया कि आश्रय स्थल को बंद कर दिया गया है और यहां रहने वाली महिलाओं को उनके घरों में या अन्य सरकारी आश्रय स्थलों में भेज दिया गया है।
वैसे ज्ञात हो कि देश में आश्रय गृह में इस तरह की घटना कोई नई नहीं है। इससे पहले भी 2012 में हरियाणा के रोहतक व करनाल में युवतियों के साथ इसी तरह की घटना सामने आई थी। अपने आप को देश का सभ्य नागरिक कहलाने वाले लोगों ने महाराष्ट्र के आश्रय गृह में बच्चियों को नहीं छोड़ा, उनके साथ होने वाली यह घटना 2013 में प्रकाश में आई थी। इसके बाद 2015 में देहरादून के नारी निकेतन में भी कुछ इस तरह की घटना सामने आई थी, जहाँ दरिंदो ने मूक बधिर बच्चियों तक को नहीं छोड़ा था।
जबकि 2018 में तो इस तरह की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई थी—पटना, देवरिया व मुज़फ्फरपुर के आश्रय गृह में हुए खुलासों से पता चला वहां रहने वाली सैकड़ों महिलाओ और बच्चियों के साथ सालो-साला से यौनचार-हिंसा, शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी। इन सब घटना के बाद एक बात पता चली है कि इन तमाम आश्रय गृह के मालिकों के राजनीतिक ताल्लुकात रहे हैं। रसुखदारों के बिना राजनीतिक शरण के यह घिनौना कृत्य संभव ही नहीं है!
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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