कार्टून क्लिक: सरकार का एक और ‘हिट एंड रन’
अपने क़ानूनों को लेकर भी सरकार की स्थिति हिट एंड रन जैसी ही हो गई है। सरकार पहले बिना विचार-विमर्श के एक क़ानून लाती है और फिर विरोध होने पर पांव पीछे खींच लेती है। सीएए-एनआरसी के मामले में भी यही हुआ, फिर तीनों कृषि क़ानूनों को लेकर भी यही हुआ और अब नए आपराधिक क़ानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत लाए गए हिट एंड रन क़ानून के बारे में भी यही हुआ है। पहले सरकार ने प्रभावित पक्षों से बिना बातचीत किए एकतरफ़ा तौर पर इसे लागू करने की घोषणा की और जब ट्रक ड्राइवर्स समेत बस व अन्य ड्राइवर्स ने इसका देशव्यापी विरोध किया, हड़ताल कर दी तो अब इसे भी फ़िलहाल लागू न करने की घोषणा की गई है।
अजब है ये हाल। किसी भी नियम-क़ानून को लेकर प्रक्रिया यह होती है कि पहले विचार-विमर्श किया जाता है और फिर क़ानून लागू किया जाता है, लेकिन इस सरकार में उल्टा है यहां पहले क़ानून लागू किया जाता है और उसके बाद उसपर विचार-विमर्श किया जाता है।
हालांकि बढ़ते विरोध के चलते क़ानून वापस तो ले लिए जाते हैं या उनका लागू होना टाल दिया जाता है लेकिन यह नहीं समझना चाहिए कि वे फिर वापस नहीं आएंगे। तय मानना चाहिए वे उसी या उससे भी बुरे रूप में वापस आ सकते हैं। जैसे अभी फिर लोकसभा चुनाव से पहले सीएए लागू करने यानी उसके प्रावधान अधिनियमित किए जाने की बात हो रही है। इसलिए देर-सबेर कृषि क़ानून हों या हिट एंड रन सब लागू किए ही जाने हैं।
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