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कोलंबिया की नेशनल स्ट्राइक कमेटी ने प्रदर्शन का आह्वान किया

इस विरोध प्रदर्शन का आह्वान यह मांग करने के लिए किया गया है कि राष्ट्रीय सरकार आंदोलनकारी क्षेत्रों की मांगों पर बातचीत करने के लिए आगे बढ़ने और प्रदर्शन के अधिकार का प्रयोग करने के लिए गारंटी प्रदान करने वाले पूर्व-समझौते पर हस्ताक्षर करे।
कोलंबिया की नेशनल स्ट्राइक कमेटी ने प्रदर्शन का आह्वान किया

राष्ट्रपति इवान डुके की दक्षिणपंथी सरकार और उनकी नवउदारवादी नीतियों के खिलाफ सामाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों को एक साथ लाने वाली नेशनल स्ट्राइक कमेटी 28 अप्रैल से कोलंबिया भर में सड़कों पर उतरी है। इस कमेटी ने आज नए सिरे से 9 जून को लामबंदी का आह्वान किया है। नई विरोध कार्रवाई का आह्वान यह मांग करने के लिए किया गया है कि सरकार आंदोलनकारी क्षेत्रों की मांगों पर बातचीत करने के लिए आगे आने और प्रदर्शन करने का अधिकार का प्रयोग करने के लिए गारंटी प्रदान करने वाले पूर्व-समझौते पर हस्ताक्षर करे।

राजधानी बोगोटा में इस कमेटी ने क्रूर पुलिस और सैन्य दमन को समाप्त करने की मांग के लिए नागरिकों से "अ ग्रेटर टेक ओवर बोगोटा" के बैनर तले आयोजित प्रदर्शन में बड़े पैमाने पर शामिल होने का आह्वान किया है। इस दमन में 40 से अधिक प्रदर्शनकारी मारे गए हैं।

कल 8 जून को इंटर अमेरिकन कमीशन ऑन ह्यूमन राइट्स (आईएसीएचआर) के मानवाधिकार मिशन के सदस्यों ने भी कोलंबियाई सरकार से जारी सामाजिक संकट को हल करने के लिए संवाद प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का आह्वान किया। आईएसीएचआर मिशन पिछले सात हफ्तों की राष्ट्रीय हड़ताल के दौरान सरकारी सुरक्षा बलों द्वारा किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन का विश्लेषण करने के लिए कोलंबिया आया है।

8 जून को मानवाधिकार संगठनों टेम्ब्लोरेस, इंडेपाज़ और पाईस ने राष्ट्रीय पुलिस और सेना के अधिकारियों द्वारा किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन पर अपनी रिपोर्ट और निष्कर्ष प्रस्तुत करने और आईएसीएचआर को अपने काम में सहायता करने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन तीनों संगठनों ने बताया कि 28 अप्रैल से 31 मई के बीच देश में पुलिस हिंसा के कुल 3,798 मामले दर्ज किए गए। इनमें 41 मौतें, 1696 मनमानी गिरफ्तारियां, 1248 शारीरिक हिंसा के शिकार, 795 हिंसक हस्तक्षेप, जबरन गायब होने के 365 पीड़ित, गोलीबारी के 165 मामले, आंखों में चोट लगने के 65मामले, यौन हिंसा के 25 पीड़ित और लिंग आधारित हिंसा के छह पीड़ित शामिल हैं।

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