ज्ञानवापी: सर्वे के लिए एएसआई ने कोर्ट से मांगा एक हफ़्ते का वक़्त, 8 सितबंर को होगी सुनवाई
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वेक्षण का काम अभी पूरा नहीं हो सका है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग ने मस्जिद परिसर के सर्वे और इसकी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा है। एएसआई की अर्जी पर वाराणसी के जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश आठ सितंबर को सुनवाई करेंगे।
एएसआई को आज डिस्ट्रिक कोर्ट में पूरी सर्वे रिपोर्ट पेश करनी थी। सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस फोर्स को अग्रिम आदेश तक रुकने के निर्देश दिए गए हैं। ज्ञानवापी परिसर में आज, शनिवार, 2 सितंबर को 28वें दिन सर्वे जारी रहा।
जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर का सर्वे करने और उसकी रिपोर्ट दो सितंबर तक जमा करने के आदेश दिए थे। केंद्र सरकार के स्टैंडिंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने बताया कि ज्ञानवापी का सर्वे फिलहाल जारी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद एसएसआई की टीम 4 अगस्त 2023 से ही मस्जिद परिसर में जीपीआर तकनीक से सर्वे कर रही है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते पांच अगस्त को एएसआई की अर्जी स्वीकार करते हुए ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट दो सितंबर तक पेश करने का आदेश दिया था।
एएसआई के सर्वे के चलते मस्जिद की सुरक्षा में तैनात पुलिस फोर्स के ठहरने का समय अग्रिम आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि ज्ञानवापी में एएसआई के सर्वे की समय सीमा भी बढ़ाई जाएगी। मौजूदा समय में एएसआई की 20 सदस्यीय टीम सर्वे के लिए शहर में मौजूद है। इसमें हैदराबाद से आए जीपीआर तकनीक के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। उससे पहले जिला जज की अदालत ने ही ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। कोर्ट ने चार अगस्त तक सर्वे रिपोर्ट तलब की थी। लेकिन, मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट चला गया। इस वजह से ही एएसआई ने सर्वे की रिपोर्ट जमा करने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा था।
ज्ञानवापी मस्जिद में पिछले 27 दिनों से एएसआई की टीम के 40 सदस्य सर्वे कर रहे हैं। दीवारों और गुंबदों में मिली कलाकृतियों और कारीगरी का आंकलन किया जा रहा है। सर्वे टीम ने ज्ञानवापी परिसर में वजूस्थल को छोड़कर पूरे परिसर को जांचने और परखने में जुटी है। मस्जिद परिसर की पूरी पैमाइश के बाद जीपीआर तकनीक से सर्वे किया जा रहा है। मस्जिद के बाहरी दीवार, पश्चिमी दीवार, व्यासजी तहखाना समेत अन्य तहखाने, गुंबद और छतों का गहन अध्ययन जा रहा है। इन जगहों से सैंपल जुटाकर लैब में भेजे गए हैं और उनकी प्राचीनता के लिए पुरातन दस्तावेजों से साक्ष्यों का मिलान किया गया है।
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