ज्ञानवापी केसः सुप्रीम कोर्ट में दो हफ़्ते बाद एक साथ होगी सभी मुक़दमों की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाएगी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन सदस्यीय पीठ एक साथ सभी मामलों को सुनेगी और फैसला सुनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में सबसे पहले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की उस याचिका पर सुनवाई होगी जो पहले से लंबित है। इस याचिका में यह तय होना है कि ज्ञानवापी से संबंधित जितने भी मुकदमें हैं वो सुनने योग्य हैं अथवा नहीं?
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सभी मामले दो हफ्ते बाद सुनवाई के लिए आएंगे। पहले हम मेन्टेनिबिलिटी के मामले में सुनवाई करेंगे। उसके बाद हम दूसरे मामलों की सुनवाई करेंगे। हिंदू पक्ष के सीनियर एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने राखी सिंह वगैरह की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद के हौज में मिले कथित शिवलिंग का भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) से सर्वे कराने की मांग की गई है। जैन ने याचिका में कहा है विवादित आकृति का भी ASI सर्वे किया जाए, ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। कोर्ट के निर्देश पर ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने को सील कर दिया गया है। हिंदू पक्ष चाहता है कि वजूखाने को खोला जाए और उसका ASI सर्वे कराया जाए। हिंदू पक्ष के ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 25 सितंबर 2023 को सुनवाई के दौरान ही मैंने कहा था कि सभी मामलों की दो हफ्तों के बाद सुनवाई होगी।
वाराणसी के श्रृंगार गौरी मामले में 26 सितंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट में इस बात पर बहस हुई कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई लायक है अथवा नहीं? सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई के दौरान साफ-साफ कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े सभी मामले एक साथ दो हफ्ते बाद सुनवाई के लिए आएंगे। पहले हम मेन्टेनिबिलिटी के मामले में सुनवाई करेंगे। उसके बाद दूसरी याचिकाओं की सुनवाई करेंगे। हालांकि इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह मामला सुनवाई के योग्य है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सील किए गए वजूखाने को खोलने की मांग वाली याचिका पर 26 सितंबर 2026 को सुनवाई हुई तो अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। पिछले साल बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना था। इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि मुस्लिम पक्ष की याचिका हाईकोर्ट में भी खारिज हो गई थी। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इंतजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। मंगलवार को सुनवाई के दौरान इंतजामिया कमेटी के वकील ने अनुरोध किया कि सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं की स्वीकार्यता पर सुनवाई करे।
तीन मामलों में फैसला सुरक्षित
इस बीच बनारस के डिस्ट्रिक्ट जज एके विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस से जुड़े तीन मामलों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसमें शृंगार गौरी की पूजा के अधिकार से संबंधित वाद भी शामिल है। जिला जज ने बुधवार को सभी पक्षों को न्यायालय में मौजूद रहने का आदेश दिया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का दावा है कि ज्ञानवापी में अधिवक्ता आयुक्त के सर्वे में मिली शिवलिंग जैसी आकृति के राग-भोग और दर्शन-पूजन का अधिकार हर सनातनी को है।
दूसरी ओर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने बिना फीस जमा किए और कोर्ट की ओर से रिट जारी किए बगैर ASI द्वारा सर्वे को अवैध बताया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है अदालत की हर कार्रवाई कानून के दायरे में चलती है। अदालत अपना कोई कानून नहीं बना सकता है। डिस्ट्रिक्ट कोर्ट इस मामले में भी फैसला सुना सकती है।
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