प्रधानमंत्री में साहस है तो अडानी मामले में जेपीसी के गठन की घोषणा करें: कांग्रेस
कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा अडानी समूह को लेकर लगाए गए आरोपों की जांच की लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की चुनौती दी।
राजसभा में महामहिम राष्ट्रपति जी के भाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर मेरा भाषण सुनना चाहेंगे। https://t.co/Jl1kXUsshT@INCIndia @INCMP
— digvijaya singh (@digvijaya_28) February 7, 2023
राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि संसद में जेपीसी गठित करने की मांग कोई नयी नहीं है और पूर्व में शेयर घोटालों को लेकर जेपीसी गठित भी हुई है।
उन्होंने कहा,‘‘ आज भी मौका है, प्रधानमंत्री जी में यदि साहस है, जो मुझे उम्मीद नहीं है कि उनमें साहस है, तो वह जब जवाब दें।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी दिखते बड़े शक्तिशाली हैं, ‘‘पर भीतर से वह क्या हैं, इसे गुजरात वाले जानते हैं या हम लोग जानते हैं।’’
सिंह ने प्रधानमंत्री को चुनौती दी कि वह जेपीसी के गठन की घोषणा करें।
कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद निवेशकों का करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्या सदस्य सदन में इस बात पर भी चर्चा नहीं कर सकते?’’
उन्होंने सवाल किया कि सीबीआई, ईडी तथा अन्य एजेंसियों ने इस रिपोर्ट पर अभी तक क्या कार्रवाई की है? उन्होंने कहा कि सरकार और सेबी जैसी नियामक एजेंसी को इस बारे में बयान देकर स्थिति स्पष्ट करना चाहिए।
सिंह ने कहा कि कोविड में जब लोगों की संपत्ति घट रही थी तो अडानी के 130 रूपये के शेयर का दाम 4000 रूपये कैसे पहुंच गया, इसकी जांच होनी चाहिए।
सिंह ने कहा कि अमेरिकी सूचकांक डाउजोंस ने अडानी की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज़ को अपनी सूची से हटाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में प्रधानमंत्री मोदी की अंतरराष्ट्रीय छवि खराब हो रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार के प्रवक्ताओं को इस बारे में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
ज्ञात हो कि हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है और कंपनियों के बाजार मूल्यांकन में अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। रिपोर्ट में गौतम अडानी की अगुवाई वाले समूह पर लेन-देन में धोखाधड़ी में शामिल होने और शेयर कीमतों में गड़बड़ी के आरोप लगाये गये हैं।
हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों को खारिज करते हुए रिपोर्ट को झूठ का पुलिंदा करार दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2047 तक भारत की यात्रा को ‘अमृतकाल’ कहे जाने का उल्लेख करते हुए सिंह ने प्रश्न किया कि यह अमृत काल किसके लिए है?
उन्होंने कहा कि यह अमृतकाल उन लोगों के लिए है जो अमृत पी रहे हैं और इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के 21 लोगों के पास देश के 70 करोड़ लोगों की संपत्ति है।
उन्होंने कहा कि व्यवसाय करने वाले 50 प्रतिशत लोग 64 प्रतिशत वस्तु एवं मूल्य कर (जीएसटी) देते हैं जबकि अमृतकाल में अमृत पीने वाले दस प्रतिशत लोग मात्र तीन प्रतिशत जीएसटी भरते हैं।
उन्होंने कहा कि अब समझा जा सकता है कि अमृतकाल किसके लिए है?
कांग्रेस सदस्य ने कहा कि अमृतकाल ‘‘सूटबूट वाले लोगों’’ के लिए है और राष्ट्रपति के अभिभाषण में गरीब लोगों के लिए कुछ भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने सहित मोदी सरकार के किसी वादे को पूरा नहीं किया गया जबकि इस सरकार के कार्यकाल में कुछ व्यवसायियों का 66.50 लाख करोड़ रूपये का कर्ज माफ किया गया है।
सिंह ने कहा कि अडानी समूह का 84 हजार करोड़ रूपये का कर्ज भी माफ किया गया। उन्होंने कहा कि लेकिन जो विष पी रहे हैं, उनमें किसानों या गरीबों का कोई कर्ज माफ नहीं किया गया।
उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में एक लाख 26 हजार करोड़ रूपये का प्रीमियम एकत्र किया गया जबकि 87,320 हजार करोड़ रूपये की राहत प्रदान की गयी।
उन्होंने कहा कि यानी 40 हजार करोड़ रूपये विष पीने वालों की जेब से निकल अमृत पीने वालों की जेब में पहुंच गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी की नीति है, असत्य बोलो, जोर से बोलो और बार बार बोलो।’’ उन्होंने कहा कि पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में यह बात सही कही थी कि वह ‘‘अच्छे इवेंट मैनेजर हैं।’’
सिंह ने सभापति से कहा कि जब नियम 267 के तहत सदस्यों को मुद्दे उठाने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो इस नियम को नियम पुस्तिका से हटा दिया जाना चाहिए।
सभापति धनखड़ ने अपनी व्यवस्था के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि नियम 267 संबंधी जो भी नोटिस अस्वीकार किया गया वह इसलिए किया गया क्योंकि वह नियमों के प्रारूप के अनुरूप नहीं था। उन्होंने सिंह से अपने उस सुझाव पर पुनर्विचार करने को कहा कि नियम 267 को नियम पुस्तिका से हटा लेना चाहिए।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
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