मध्य प्रदेश : 'हिंदू विरोधी' छवि का जवाब देने के लिए कांग्रेस के कमलनाथ कट्टर हिंदुत्व की तरफ़ जा रहे हैं
कमल नाथ 7 अगस्त को झाबुआ में।
भोपाल: "अगर देश की 82 प्रतिशत आबादी हिंदू है, तो ये कौन सा राष्ट्र हुआ?" कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सोमवार को झाबुआ में एक संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए उक्त बयान दिया। नाथ ने विवादास्पद बयान तब दिया जब पूछा गया कि क्या वह धीरेंद्र 'गॉडमैन' शास्त्री की हिंदू राष्ट्र की मांग का समर्थन करते हैं।
MP | Hindu Rashtra |
"अगर देश की 82% आबादी हिंदू है तो यह कौन सा राष्ट्र है?" ["If India's 82% population is Hindu. Then what is it?"]
कांग्रेस द्वारा छिंदवाड़ा में आयोजित धीरेंद्र शास्त्री गर्ग के "भारत हिंदू राष्ट्र" के बयान पर झाबुआ में बोले प्रदेश के भावी CM कमलनाथ। @INCMP pic.twitter.com/ZRkDGRUmyQ
— काश/if Kakvi (@KashifKakvi) August 7, 2023
5 से 7 अगस्त के बीच, नाथ ने छिंदवाड़ा में विवादास्पद संत धीरेंद्र शास्त्री का तीन दिवसीय 'हनुमान कथा वाचन' का आयोजन किया था - जो 1980 से उनका गढ़ रहा है। धार्मिक मण्डली के दूसरे दिन, जब नाथ अपने बेटे नकुल नाथ को बैठा रहे थे जो छिंदवाड़ा से सांसद हैं, तभी शास्त्री ने एक बार फिर 'जय हिंदू राष्ट्र की' का नारा लगाया, दर्शकों ने जोरदार 'जय' के साथ नारे का समर्थन किया।
मध्य प्रदेश कांग्रेस, जिसकी नजर 230 सदस्य वाले सदन की 150 विधानसभा सीटों पर लगी है, वह कुछ महीनों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले हिंदुत्व के एजेंडे पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से आगे निकलने की कोशिश कर रही है।
उनके ट्विटर (अब एक्स) प्रोफ़ाइल फोटो को रखने से लेकर, जो कि उज्जैन के महाकाल मंदिर में लिया गया था, जिसमें उन्हें हिंदू राष्ट्र के विचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाने के लिए पीले रेशमी कपड़े में लिपटा हुआ दिखाया गया तो कई लोगों को कांग्रेस का नरम भगवा रंग कट्टर हिंदुत्व में बदलता दिखाई दिया। भाजपा ने कांग्रेस की जो 'अल्पसंख्यक समर्थक' छवि और 'तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले' छवि बना रखी है यह उसे को धोने का एक हताश लेकिन 'व्यावहारिक' प्रयास लगता है।
यह सोमवार को तब स्पष्ट हुआ, जब नाथ ने छिंदवाड़ा में विवादास्पद संत धीरेंद्र शास्त्री की कथा वाचन के दौरान उनकी आरती करते हुए हिंदू राष्ट्र के सवाल का जवाब दिया। उन्होंने अपने कदम का बचाव करते हुए कहा कि, "केवल धीरेंद्र शास्त्री ही क्यों, पंडित प्रदीप मिश्रा भी सितंबर में छिंदवाड़ा में कथा वाचन करेंगे।"
शास्त्री और मिश्रा ने अक्सर अपनी धार्मिक सभाओं में दोहराया है कि भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए और उन्हें राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा जैसे भाजपा के दिग्गजों का समर्थन मिला है। नरोत्तम मिश्रा के अलावा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी उनकी बयानबाजी पर समर्थन जताया है।
संयोग से, शास्त्री उस समय विवादों में घिर गए जब उन्होंने अपनी एक धार्मिक सभा में अविवाहित लड़कियों को 'खुला प्लॉट' कह दिया था।
शास्त्री के अलावा, पंडित प्रदीप मिश्रा ने मई 2022 के पहले सप्ताह में अपनी धार्मिक सभा में पैरवी करते हुए कहा था कि, "अब देश का संविधान बदल कर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर देना चाहिए।"
मिश्रा ने भक्तों से काह कि वे अपने एक बेटे को आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) और दूसरे बेटे को बजरंग दल, दोनों हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों, को समर्पित कर देना चाहिए।
जहां नाथ शास्त्री और मिश्रा जैसे विवादास्पद संतों को आमंत्रित करते रहे हैं, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शास्त्री के विचारों का कड़ा विरोध किया है और संविधान को खत्म करने और सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बढ़ावा देने की उनकी रट पर मिश्रा की तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि, "वेद पीठ पर बैठकर राजनीति पर बात करना धर्म (हिंदू धर्म) के खिलाफ है।"
हालाँकि, पार्टी को तब शर्मिंदा होना पड़ा जब एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता और एक संत ने शास्त्री की आरती करने के लिए कमल नाथ की आलोचना करते हुए उन्हें भाजपा का 'स्टार प्रचारक' करार दिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ट्वीट किया कि, ''कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को बीजेपी के स्टार प्रचारक की आरती उतारना शोभा नहीं देता, जिन्होंने आरएसएस के एजेंडे 'हिंदू राष्ट्र' की वकालत करके मुसलमानों की संपत्ति पर बुलडोजर चलवाया और संविधान की धज्जियां उड़ाईं हैं''
नाथ 'हिंदू विरोधी' छवि को धोने को हैं बेताब
2 अप्रैल, 2023 को कोई भी आसानी से कांग्रेस के भोपाल कार्यालय को विश्व हिंदू परिषद कार्यालय समझने की गलती कर सकता था, क्योंकि यह असंख्य भगवा झंडों और झालरों से सजा हुआ था। पुजारियों और धार्मिक हस्तियों के भाजपा सरकार से नाखुश होने के कारण सबसे पुरानी पार्टी ने 'धर्म संवाद' से पहले अपने कार्यालय को भगवा जहंडोन से ढक दिया था।
यह नाथ द्वारा 2021 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के भीतर ‘धर्म एवं उत्सव प्रकोष्ठ’ की स्थापना के दो साल बाद हुआ है, जिसकी अध्यक्षता पुजारियों और धार्मिक हस्तियों तक पहुंचने बनाने के लिए 'उपदेशक' ऋचा गोस्वामी कर रही हैं।
प्रकोष्ठ ने पहले ही महाशिवरात्रि के अवसर पर सुंदरकांड और रुद्राभिषेक जैसे कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए हैं, और कमल नाथ को भगवान हनुमान के भक्त के रूप में पेश करते हुए भागवत कथा और हनुमान चालीसा का पाठ किया है, पिछले दो वर्षों में राज्य भर में 30 धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
हनुमान की नकल को अपने पीछे बैठाकर बाइक चला रहा शख्स कांग्रेस के युवा कांग्रेस अध्यक्ष और आदिवासी नेता विक्रांत भूरिया हैं।
पार्टी ने 'मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ' का भी गठन किया और पुजारियों के साथ बैठक की है। कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में पुजारियों ने अपनी शिकायतें रखीं, जिनमें मंदिर की जमीन का मालिकाना हक और उन्हें किसान का दर्जा दिया जाना भी शामिल है। यह योजना स्पष्ट रूप से भाजपा के ब्राह्मण वोटों में सेंध लगाने का एक प्रयास है।
अपनी धार्मिक मान्यताओं को प्रतिध्वनित करने के लिए, नाथ सार्वजनिक बैठकों में दो बातों पर जोर देने से कभी नहीं चूकते हैं; “मैंने छिंदवाड़ा जिले के सेमरिया गांव में हनुमान की 101 फुट की मूर्ति बनाई, जिस पर हेलीकॉप्टर से फूलों की वर्षा की गई। और मैं हिंदू हूं। मैं गर्व से कहता हूं कि मैं हिंदू हूं लेकिन मैं मूर्ख नहीं हूं''।
नाथ ने अपने भाषणों में जोर देकर कहा कि, ''क्या बीजेपी ने हिंदू धर्म का ठेका ले रखा है'' और कहा कि वह सत्तारूढ़ बीजेपी की तरह धर्म का इस्तेमाल लोगों को विभाजित करने के लिए नहीं करते हैं बल्कि उन्हे जोड़ने के लिए करते हैं।
भाजपा द्वारा चित्रित पार्टी की 'हिंदू विरोधी' छवि का मुकाबला करने का कांग्रेस नेता का प्रयास पार्टी के 2018 विधानसभा घोषणापत्र और 17 दिसंबर, 2018 से 20 मार्च, 2020 के बीच अल्पकालिक सरकार में भी स्पष्ट था।
घोषणापत्र में हर पंचायत में गौशालाएं बनाने और नर्मदा परिक्रमा (परिक्रमा) मार्ग और राम वन गमन पथ (भगवान राम द्वारा वनवास के रास्ते में लिया गया मार्ग) के विकास का वादा किया गया था।
नाथ ने राज्य भर में 1,000 गौशालाओं के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया था, गाय को प्रतिदिन दिए जाने वाले चारे को 5 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये कर दिया गया था और बदलावों के बारे में विस्तार से बताए बिना गोहत्या विरोधी कानून में संशोधन करने का वादा किया था। 15 महीने की सरकार में, नाथ ने 900 करोड़ के महाकाल लोक कॉरिडोर की आधारशिला रखी, पुजारियों का वेतन बढ़ाया और कंप्यूटर बाबा और मिर्ची बाबा जैसे हिंदू संतों को कैबिनेट पद दिए।
एक बयान में कहा गया है कि, "भाजपा और उसके वैचारिक संरक्षक, आरएसएस ने कांग्रेस को हिंदू विरोधी के रूप में चित्रित करने का विरोध करने के लिए राज्य भर में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि, स्थानीय पार्टी नेता स्थानीय लोगों को शामिल करके अपने खर्च पर कार्यक्रम आयोजित करेंगे।"
चुनाव से तीन महीने पहले कांग्रेस पार्टी के इन कदमों का फायदा मिलता दिख रहा है। मध्य प्रदेश में हाल ही में आयोजित सी वोटर ओपिनियन पोल में, 230 निर्वाचन क्षेत्रों में किए गए सर्वेक्षण में शामिल 44 प्रतिशत लोगों ने कमल नाथ के हिंदुत्व पर भरोसा दिखाया है, जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर 41 प्रतिशत लोगों को भरोसा है।
हालांकि, भोपाल स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार अरुण दीक्षित ने कहा है कि कांग्रेस का कट्टरपंथी रुख उल्टा पड़ सकता है। उन्होंने कहा, "धीरेंद्र शास्त्री बीजेपी समर्थक मुद्दे उठाते रहे हैं, चाहे वह हिंदू राष्ट्र हो या फिर घर वापसी। शास्त्री कोई सम्मानित संत नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति हैं जो लड़की को 'खाली प्लॉट' कहते हैं।"
उन्होंने कहा कि, "शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता थे, लेकिन न्यायपूर्ण बातें करते थे और राजनीतिक गलियारों में उनका बहुत सम्मान था, लेकिन उन्होंने कभी धीरेंद्र शास्त्री की तरह बात नहीं की। यह समर्थन मिलने के बजाय उल्टा पड़ सकता है।"
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि जहां नाथ अल्पसंख्यकों और उनके मुद्दों से दूरी बनाकर बहुसंख्यक समुदाय की तरफदारी करते नजर आ रहे हैं, वहीं पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह धार्मिक दिखावे से बचते हुए संतुलित नजर आ रहे हैं।
2017 में 1,000 किलोमीटर लंबी नर्मदा परिक्रमा यात्रा करने वाले सिंह को 18 जुलाई, 2023 को दतिया में पीतांबरा पीठ में पूजा करते हुए भगवा वस्त्र पहने देखा गया था। एक दिन पहले, उन्होंने 35 किलोमीटर लंबी 'कांवड़ यात्रा' में भाग लिया था, जो ग्वारीघाट से शुरू होकर जबलपुर के कैलाश धाम में समाप्त हुई थी। यात्रा में एक लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था और सिंह को नंगे पैर चलते और कंधे पर कांवर उठाए देखा गया था।
"2003 से 2023 तक, भाजपा दिगविजय सिंह को 'बंटाधार' कहकर निशाना बना रही है और उन्हें 'हिंदू विरोधी' चित्रित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह सफल नहीं हुई है। दीक्षित ने कहा कि, वे एक कट्टर हिंदू हैं, जो मंदिरों में जाते हैं, लेकिन कभी भी राजनीतिक रूप से अपने धर्म का इस्तेमाल नहीं करते हैं।”
राजनीतिक विश्लेषक, रशीद किदवई ने बताया कि अपनी 'हिंदू विरोधी' छवि को धोने के लिए, कांग्रेस ने 7 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी को नजरअंदाज कर दिया है, जो दशकों से पार्टी के समर्पित मतदाता रहे हैं।
"बीजेपी सरकार पिछले तीन वर्षों से, मामूली या महज आरोपों के आधार पर अल्पसंख्यक समुदाय को बदनाम करने के हर अवसर का फायदा उठा रही है। फिर भी, विपक्षी कांग्रेस या उसके नेताओं ने कभी भी इस पर कोई रुख नहीं अपनाया या इस कदम का विरोध नहीं किया। किदवई ने कहा कि, अल्पसंख्यक मतदाता घुटन महसूस कर रहे हैं और धीरे-धीरे असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम या आम आदमी पार्टी की ओर रुख कर रहे हैं, जो 2022 के शहरी निकाय चुनावों में स्पष्ट हो गया था, जिसमें एआईएमआईएम के कारण कांग्रेस मुस्लिम बहुल बुरहानपुर और उज्जैन की मेयर सीटें हार गई थी।”
बहरहाल, नाथ का हिंदुत्व प्रेम नया नहीं है। लगभग तीन साल पहले, 6 अगस्त, 2020 को, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की आधारशिला रखी थी, तब भोपाल में नाथ ने अपने बंगले पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था और कहा था, "आज एक ऐतिहासिक दिन है। राम मंदिर का निर्माण आज शुभारम्भ हो गया है जिसकी आकांक्षा हर भारतीय लंबे समय से कर रहा था। सनद रहे कि, 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने रामजन्मभूमि के दरवाजे खोले थे।''
उन्होंने कहा था कि राम मंदिर (अयोध्या में) का निर्माण किया जाना चाहिए... और उसी समय से एक भावना (राम मंदिर के निर्माण के लिए) उभरी थी। अगर कोई इसका श्रेय लेने की कोशिश करेगा तो यह गलत होगा।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
MP: Desperate to Counter ‘Anti-Hindu’ Image, Cong’s Kamal Nath Shifts to Hardline Hindutva
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