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महाराष्ट्र: ‘काला जादू’ के शक में 7 दलितों की पिटाई, 70 साल के बुजुर्ग को भी नहीं छोड़ा

घटना चंद्रपुर जिले के जिवती तहसील के वानी गांव की है जहां काला जादू के आरोप में दो दलित परिवारों के साथ मारपीट की गई है, इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
महाराष्ट्र: ‘काला जादू’ के शक में 7 दलितों की पिटाई, 70 साल के बुजुर्ग को भी नहीं छोड़ा
'प्रतीकात्मक फ़ोटो'

अंधविश्वास के नाम पर आज भी देश में महिलाओं और दलितों  पर अत्याचार जारी है। ताजा मामला महाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के एक गांव का है, जहां स्थानीय लोगों ने ‘काला जादू’ करने के संदेह में दो दलित परिवारों के सात सदस्यों की पिटाई कर दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गये। इन सब के बावजूद पड़ितों को इस क्रूरता से कोई नहीं बचा सका और प्रशासन की नींद भी इस घटना की वीडियो के वायरल होने के बाद ही टूटी।

पुलिस ने सोमवार को बताया कि कुछ लोगों को लकड़ी के खंभे से बांधकर भी पीटा गया। घटना सप्ताहांत में जिवती तहसील के वानी गांव में घटी और इस मामले में अब तक 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

चंद्रपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अतुल कुलकर्णी ने शनिवार रात को कहा कि दो परिवारों के सात सदस्यों को स्थानीय लोगों ने गांव के एक चौक पर बुलाया और उन पर ‘काला जादू’ करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि जब सात दलित सदस्य गांव के चौक पर पहुंचे तो लोगों ने उन पर कीचड़ फेंकना शुरू कर दिया। इन सात लोगों में कुछ बुजुर्ग भी थे। बाद में भीड़ ने दो महिलाओं समेत तीन को लकड़ी के खंभे से बांधकर उनकी लाठियों से पिटाई की।

इस बीच चंद्रपुर से सांसद सुरेश उर्फ बालू धानोरकर ने सोमवार को यहां सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दौरा किया, जहां घायलों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया। कांग्रेस नेता ने घटना की निंदा की और आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की।

गौरतलब है कि देश के कई हिस्सों में आज भी जादू टोना जैसी बातो पर यकीन किया जाता है। ऐसे में इस घटना पर यह सवाल उठना लाज़मी है कि क्या कुछ लोग अंधविश्वास के नाम पर इस वाहियात कृत्य को आस्था और देव संस्कृति का रंग देकर बचने की कोशिश कर रहे हैं या आज भी हमारे समाज में दलितों ,आदिवासियों और महिलाओं को जानबूझ कर प्रताड़ित करने की प्रथा खत्म नहीं हो पा रही है। क्योंकि इस तरह के हादसों का शिकार अधिकतर यही लोग होते हैं।

अंधविश्वास की आड़ में जुल्म करना, उनकी हत्या कर देना, महिलाओं के साथ बलात्कार करना, घर से निकाल देना, मार-पीट करना कोई नई बात नहीं है। आधुनिकीकरण के इस दौर में शहरों में भले ही ऐसे मामले कम दिखाई दें लेकिन गांवों में अभी भी इस तरह की घटनाएं आम हैं।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

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