किराया बढ़ाने और EMI स्थगन की मांग को लेकर ओला-उबर ड्राइवरों की ने की एक दिन की हड़ताल
दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान देश में हर तरह के काम करने वाले कर्मचारियों और मज़दूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे ओला-उबर के लाखों कर्मचारी भी परेशान हुए और उनकी स्थिति इतनी ख़राब हो गई है कि अब वो सड़को पर उतरकर अपना विरोध जता रहे हैं।
जिस दिन दिल्ली सहित देश में जेईई का एग्जाम था यानी एक सिंतबर को उस दिन दिल्ली एनसीआर के ओला और उबर कैब सर्विस के दो लाख ड्राइवर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गये, जिस कारण छात्रों को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि कोरोना माहमारी और लॉकडाउन के कारन मेट्रो भी पूरी तरह बंद है और बसों की क्षमताओं को कम किया गया है। दिल्ली में 18 परीक्षा केंद्रों पर जेईई की परीक्षा हो रही है।
हालांकि उनकी ये हड़ताल एक दिन ही चली और उन्होंने प्रशासन के अनुरोध पर अपना प्रदर्शन टाल दिया परन्तु उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगों पर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वो फिर से उग्र आंदोलन करेंगे।
ड्राइवरों की मुख्य मांग है कि उनके किराये में बढ़ोतरी और लोन ईएमआई को आगे बढ़या जाए। दिल्ली के सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन का कहना है कि ये ड्राइवर काफी दिनों से किराया में बढ़ोतरी और लोन ईएमआई आगे बढ़ाने की मांग सरकार से कर रहे हैं, लेकिन उनकी अपील पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
ड्राइवर व टैक्सी मालिकों ने प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाई
दिल्ली के समस्त ड्राइवर व टैक्सी मालिकों ने प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगाई और कहा की लॉकडाउन के समय पूरे देश ने प्रधानमंत्री की बात को माना। इस दौरान सड़कों पर पुलिस आ गई। मॉल बंद हो गए, सिनेमा हॉल बंद हो गए, एयरपोर्ट बंद हो गए, रेलवे स्टेशन बंद हो गए, कॉल सेंटर बंद हो गए, हमारा काम धंधा बिल्कुल ठप हो गया हमारे पास खाने के लाले पड़ गए लेकिन फिर भी हमने प्रधानमंत्री जी का पूरा समर्थन किया। अब इस संकट के समय उन्हें भी हमारी मदद करनी चाहिए।
सर्वोदय ड्राइवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत सिंह गिल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से ड्राइवर आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है। ड्राइवरों के सामने भोजन का संकट है ऐसे में ये ड्राइवर अपनी ईएमआई का भुगतान कैसे करें? वहीं, एक सितबंर से ईएमआई जमा करने की समय सीमा समाप्त हो रही है। ऐसे में बैंक की ओर से पहले से ही किस्त जमा करने के लिए बनाए जा रहे दबाव की वजह से ड्राइवरों की चिंता और बढ़ गई है। आखिर उनके सामने समस्या यह है कि आर्थिक तंगी की वजह से वो ईएमआई का भुगतान कैसे कर पाएंगे।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में ये मामला चल रहा है और कोर्ट ने सरकार को ईएमआई में छूट के समय को आगे बढ़ने के लिए कहा है। केंद्र और आरबीआई ने कोर्ट को मंगलवार को बताया कि कर्ज वापसी पर घोषित स्थगन अवधि दो साल बढ़ाई जा सकती है। इस मसले पर आज फिर सुनवाई होनी है, जिसमें किस्तों में देरी के लिए घोषित स्थगन अवधि के लिए ब्याज़ लेने का मुद्दा उठाया गया है।
उधर, कैब ड्राइवरों का कहना है निजी बैंक और फाइनेंस कंपनियाँ सरकार के किसी आदेश को नहीं मानती है और गुंडे भेजकर उनकी गाड़िया उठा रही हैं और उनपर दबाव बना रही हैं कि वो अपने बकाया ईएमआई किश्तों को तत्काल भरे।
कमलजीत सिंह ने मीडिया के रवैये को लेकर भी नाराज़गी ज़ाहिर की और कहा आज की डेट में सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती के अलावा भी और समस्या हैं। हमारा ड्राइवर भूखा मरने की कगार पर है और उनके जीवन का आधार उनकी गाड़ियां बैंक छीनने को तैयार है लेकिन इसपर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पूरा मीडिया और तंत्र सुशांत-रिया को लेकर बैठा है।
ई-चालान से परेशान कैब ड्राइवर
इसके अलावा ड्राइवर्स अपने वाहनों के खिलाफ जारी किए गए ई-चालान को वापस लेने की भी मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि गति सीमा का उल्लंघन करने पर उनपर लगाए जाने वाले भारी जुर्माने को भी वापस लिया जाए। दिल्ली सरकार ने 40 किलोमीटर/घंटा अधिकतम गतिसीमा की है जिससे कैब ड्राइवर परेशान है। प्रदर्शनकारियों ने कहा इस समय हम खाना खाने के पैसे नहीं है हम कहां से जुर्माना देंगे सरकार को इतना और कहां से बैंक वालों को पैसे देंगे। उनके अनुसार ओला और उबर जैसी ऐप बेस्ट कंपनी का किराया सरकार द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए विदेशी कंपनियां इनका किराया निर्धारित न करें।
इसके साथ ही वे दिल्ली और एनसीआर में नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुड़गांव के बीच यात्रा करते समय कैब एग्रीगेटर्स से अधिक कमीशन भी चाहते हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने एक सर्वे रिपोर्ट जारी जिसमे कैब ड्राइवरों की दुर्दशा को दिखया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ड्राइवरों को 20 हज़ार रुपये मासिक कमाने के लिए 20 घंटे गाड़ी चलनी पड़ती है, जिस कारण उन्हें कई तरह की दिक्क्तों का समाना करना पड़ता है। इस सर्वे के मुताबिक लगभग 60 फ़ीसदी ड्राइवरों को पीठ में समस्या है जबकि 90 फ़ीसदी ड्राइवरों ने कहा की वो छह घंटे से भी कम सो पाते हैं।
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