भूख हड़ताल के चलते फिलिस्तीनी प्रशासनिक बंदी मौत के कगार पर
फ़िलिस्तीनी प्रशासनिक बंदी महेर अखरस भूख हड़ताल पर हैं गुरुवार 15 अक्टूबर को उनका ये हड़ताल का 82 दिन पूरा हो गया। इसके चलते उनकी सेहत काफी खराब हो गई है। अख़रस ने इस वर्ष जुलाई के अंत में इज़रायली अधिकारियों द्वार अपनी अवैध प्रशासनिक हिरासत का विरोध करने के लिए ये भूख हड़ताल शुरू किया था। वह मांग कर रहे हैं कि अधिकारी इस प्रशासनिक हिरासत आदेश को रद्द करे।
फिलिस्तीनी एक्टिविस्ट और नेताओं के साथ-साथ फिलिस्तीनी और इज़रायली मानवाधिकार संगठनों ने अखरस की सेहत को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है, साथ ही B’Tselem का कहना है कि ये बंदी "मौत के कगार" पर है।
अखरस के खराब सेहत की खबर उस वक्त आई जब इज़राइली हाई कोर्ट ने सोमवार को अखरस के वकीलों द्वारा उनकी रिहाई के लिए एक आपातकालीन याचिका को खारिज़ कर दिया। इसके बजाय अदालत ने केवल इस शर्त पर कि उक्त क़ैदी तुरंत अपनी भूख हड़ताल समाप्त करे तो अखरस की मौजूदा हिरासत अवधि के पूरा होने पर प्रशासनिक हिरासत का विस्तार नहीं किया जाए। अखरस ने अदालत के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और कपलान मेडिकल सेंटर में अस्पताल के बिस्तर से पूर्व-रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में कहा कि उनकी भूख हड़ताल का उद्देश्य "या तो मेरे परिवार और मेरे बच्चों की स्वतंत्रता है या झूठे न्याय के नाम पर राज्य के हाथों में मेरी मृत्यु है।"
अखरस के वकील अहलम हद्दाद ने कहा है कि उनका मुवक्किल किसी भी क्षण अचानक मौत के खतरों से दोचार हो सकता है। उन्होंने इज़रायली अदालत में अपने मुवक्किल की ओर से दाखिल याचिका में यह भी कहा था कि उन्हें 'अपरिवर्तनीय क्षति' (irreversible damage)हुई थी और उन्हें बिना किसी देरी के रिहा किया जाना चाहिए।
इस बीच, पिछले कुछ दिनों में क़ब्ज़े वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में कई विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया गया। इज़रायल द्वारा मारे गए फिलिस्तीनियों के परिवार के सदस्यों के साथ-साथ वर्तमान और पूर्व कैदियों के परिवार के सदस्यों सहित सैकड़ों फिलिस्तीनियों ने मेहर अखरस की तत्काल और बिना शर्त रिहाई की मांग करते हुए 14 अक्टूबर को क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक में रामल्ला के मनारा चौक पर विरोध रैली निकाली।
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