पंजाब के राज्यपाल विधानसभा से पारित विधेयकों को मंज़ूरी देने पर निर्णय लें: न्यायालय
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को 19 और 20 जून को आयोजित ‘‘संवैधानिक रूप से वैध’’ सत्र के दौरान विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल की शक्ति का उपयोग ‘‘कानून बनाने के सामान्य रास्ते को बाधित करने’’ के लिए नहीं किया जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर के अपने फैसले में पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) नीत सरकार की याचिका पर फैसला सुनाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित चार विधेयकों पर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं। न्यायालय के फैसलों को बृहस्पतिवार रात को अपलोड किया गया।
पंजाब सरकार ने न्यायिक घोषणा की भी मांग की थी कि 19 और 20 जून को आयोजित विधानसभा सत्र ‘‘कानूनी था और सदन द्वारा किया गया कार्य वैध है।’’
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी इस मामले पर बोलते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “राज्यपाल की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला न केवल पंजाब के राज्यपाल बल्कि सभी राज्यपालों के लिए कड़ी फटकार है।”
The judgement of the Supreme Court on the Governor's powers is a stern rebuke to not only the Governor of Punjab but to all Governors
Mr R N Ravi, Governor of TN, should read every line of the judgement and, if he thinks it necessary, call a competent senior advocate to explain…— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) November 24, 2023
प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने 27 पन्नों के फैसले में कहा कि विधानसभा सत्र वैध था और अध्यक्ष द्वारा निर्णय लेने के बाद यह पहलू राज्यपाल के विचार के लिए खुला नहीं था।
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि 19 जून, 2023, 20 जून, 2023 और 20 अक्टूबर, 2023 को आयोजित विधानसभा के सत्र की वैधता पर संदेह करने का कोई वैध संवैधानिक आधार नहीं है।’’
पीठ के लिए फैसला लिखने वाले प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘विधायिका के सत्र पर संदेह करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरों से भरा होगा। विधानसभा अध्यक्ष, जिन्हें सदन के विशेषाधिकारों का संरक्षक और सदन का प्रतिनिधित्व करने वाले संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त प्राधिकारी के रूप में मान्यता दी गई है, सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने में अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर अच्छा काम कर रहे थे।’’
न्यायालय ने कहा, ‘‘इसलिए, हमारा विचार है कि पंजाब के राज्यपाल को अब उन विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए जो संवैधानिक रूप से वैध सदन की 19 जून 2023, 20 जून 2023 और 20 अक्टूबर 2023 की बैठक के आधार पर उनके समक्ष सहमति के लिए प्रस्तुत किए गए हैं।’’
शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने इस बारे में कोई राय व्यक्त नहीं की है कि राज्यपाल उनके समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग किस तरह करेंगे।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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