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सारे सुख़न हमारे: पानी को भी भाप में ढलकर बादल बनना पड़ता है

कवि शमशेर बहादुर सिंह कहते थे कि ‘कविता विज्ञान नहीं है, लेकिन विज्ञान का निषेध भी नहीं करती।’ विज्ञान और कविता कैसे एकरूप हो जाते हैं यह हमने पिछले दिनों देखा, जब जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने हमें अंतरिक्ष की अरबों साल पुरानी रौशनी दिखाई। तर्कवादी लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की शहादत के दिन जिसे हम ‘Scientific Temper Day’ यानी वैज्ञानिक चेतना दिवस के तौर पर मना रहे हैं, के मौके पर ‘सारे सुख़न हमारे’ का यह ख़ास एपिसोड।

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