रायगढ़ में भूस्खलन स्थल पर खोज अभियान तीसरे दिन जारी, अभी भी 86 लोग लापता
मुंबई: महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के भूस्खलन प्रभावित इरशालवाड़ी गांव में खोज और बचाव अभियान शनिवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। इस घटना में कम से 22 लोगों की मौत हुई है जबकि 86 लोग अभी भी लापता हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
#WATCH Maharashtra: NDRF continues search & rescue operation at Raigad Irshalgad landslide-hit area.
So far, 22 dead bodies have been recovered from the site. pic.twitter.com/eaQlytfvsi— ANI (@ANI) July 22, 2023
मुंबई से लगभग 80 किलोमीटर दूर खालापुर तहसील में एक पहाड़ी पर स्थित आदिवासी गांव में बुधवार रात भूस्खलन हुआ था।
Maharashtra: Raigad landslide toll rises to 22, NDRF resumes search operation
Read @ANI Story | https://t.co/zx2WKL6MXT#Maharashtra #NDRF #RaigadLandslide pic.twitter.com/NgRMy8AVoW— ANI Digital (@ani_digital) July 22, 2023
अधिकारियों ने बताया कि हादसे में बृहस्पतिवार शाम तक मृतकों की संख्या 16 थी जो शुक्रवार को छह और शव मिलने के बाद बढ़कर 22 हो गई। अधिकारियों ने बताया कि मृतकों में नौ पुरुष, नौ महिलाएं और चार बच्चे शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इस आपदा में एक ही परिवार के नौ सदस्यों की मौत हो गई।
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा,'' राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और अन्य सरकारी एजेंसियों ने शनिवार सुबह तीसरे दिन खोज और बचाव अभियान फिर से शुरू किया।''
एनडीआरएफ के एक अधिकारी ने बताया कि भारी बारिश के कारण शुक्रवार शाम को करीब छह बजे खोज अभियान स्थगित कर दिया गया था। उन्होंने कहा,'' आज सुबह एनडीआरएफ के चार दल और अन्य एजेंसियों ने खोज अभियान फिर से शुरू किया।''
गांव के 48 में से कम से कम 17 मकान पूरी तरह से या आंशिक रूप से मलबे में दब गए।
रायगढ़ जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय के अनुसार, गांव के 229 निवासियों में से 22 की मृत्यु हो गई है, दस घायल हुए हैं, 111 को सुरक्षित हैं और 86 व्यक्तियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
हालांकि, उनमें से कुछ लोग एक शादी में शामिल होने के लिए गांव से बाहर गए थे, जबकि कुछ घटना के समय धान की रोपाई के काम से बाहर थे।
अधिकारियों ने बताया कि शुक्रवार को मलबे से निकाले गए छह शवों में से तीन पुरुष और तीन महिलाओं के हैं। मृतकों में चार बच्चे भी शामिल हैं जिनकी उम्र छह महीने से चार वर्ष के बीच है। उन्होंने बताया कि जान गंवाने वाले एक ही परिवार के नौ व्यक्तियों में से तीन वर्ष का एक बच्चा और उसकी छह महीने की बहन भी शामिल है। हादसे में तीन पशुओं की भी मौत हो गई जबकि 21 को बचा लिया गया।
पहाड़ी के नीचे से इरशालवाड़ी तक पहुंचने में लगभग डेढ़ घंटे का समय लगता है।
अधिकारियों ने कहा कि चूंकि सुदूर गांव में पक्की सड़क नहीं है, इसलिए मिट्टी खोदने वाले यंत्र आसानी से घटनास्थल पर नहीं ले जाये जा सके।
कोंकण प्रभाग के प्रचार उप निदेशक के कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया था कि जीवित बचे लोगों के लिए पारगमन शिविरों के रूप में उपयोग करने के लिए 60 कंटेनर की मांग की गई है और उनमें से 40 पहले ही मौके पर पहुंचाये जा चुके हैं। इसने कहा कि स्थान पर 20 अस्थायी शौचालय और इतने ही स्नाघर बनाए गए हैं।
इरशालवाड़ी गांव में भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को विधानसभा में कहा कि सरकार ने राज्य के सभी भूस्खलन संभावित क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि रायगढ़ जिले का इरशालवाड़ी गांव भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की सूची में शामिल नहीं था।
रायगढ़ जिले के महाड़ तहसील के तलिये गांव में 22 जुलाई, 2021 को हुए भूस्खलन में 87 लोगों की मौत हो गई थी।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।