मुज़फ़्फ़रपुर: हादसा या हत्याकांड!, मज़दूरों ने कहा- 6 महीने से ख़राब था बॉयलर, जबरन कराया जा रहा था काम
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रविवार 26 दिसंबर की सुबह एक नूडल्स की फैक्ट्री में बॉयलर फटने से सात मज़दूरों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हो गए। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस घटना में फैक्ट्री की इमारत ढह गई और आसपास के कई भवनों को भी नुकसान पहुंचा है।
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी प्रणय कुमार ने मीडिया से कहा कि बेला औद्योगिक इलाके में नूडल्स और अन्य खाद्य पदार्थ बनाने वाली एक फैक्ट्री के भीतर सुबह करीब नौ बजकर 30 मिनट पर बॉयलर फट गया। इसके प्रभाव की वजह से इलाके की कई अन्य इमारतों को भी नुकसान पहुंचा, जबकि फैक्ट्री की इमारत मलबे में तब्दील हो गई। विस्फोट इतना भयावह था कि इसकी आवाज दूर तक सुनी गई।
इस घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय प्रशासन के अधिकारी, पुलिस और अग्निशमन विभाग के कर्मी बचाव अभियान के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। मलबे से सात शवों को बाहर निकाला गया और उन्हें पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। वहीं, इस घटना में घायल हुए सात लोगों को एसकेएमसीएच भेजा गया है, जहां कुछ की हालत नाजुक बताई गई है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिवार को चार लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने और विस्फोट के कारणों की जांच करने और जवाबदेही तय करने के लिए एक टीम गठित किए जाने की घोषणा की है।
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी के अनुसार, मृतकों में से तीन की पहचान कर ली गई है और मुआवजे की राशि के चेक उनके परिवार के सदस्यों को सौंप दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अन्य मृतकों की शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) कर्मियों ने मलबा हटाने में प्रशासन की सहायता की और कहा जा सकता है कि मलबे के भीतर अब कोई शव नहीं है।’’
नीतीश सरकार की ग़लत औद्योगिक नीतियां ज़िम्मेवार
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि मुज़फ्फपुर के बियाडा के बेला औद्योगिक इलाके फेज-2 में बॉयलर विस्फोट की हुई दर्दनाक घटना के लिए नीतीश सरकार की लापरवाह और गलत औद्योगिक नीतियां जिम्मेवार है। यह कोई पहली घटना नहीं है जब मजदूरों को बड़ी संख्या में अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ा है बल्कि कुछ दिन पहले बरौनी और सुगौली में भी ठीक इसी प्रकार की घटना घटी थी जिसमें कई लोगों की मौतें हुई थीं। लेकिन इन घटनाओं के वावजूद सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा।
उन्होंने कहा कि बिहार में नीतीश राज में एक तो वैसे ही उद्योगों का पतन हो चुका है, और जो कुछ निजी उद्योग चल रहे हैं, उसके प्रति भी सरकार लापरवाह बनी हुई है। उद्योग चलाने के लिए तय न्यूनतम मानकों और सुरक्षा की घोर उपेक्षा होती है और सरकार आंखें बंद किए रहती है। यह सरकार की लापरवाही नहीं तो और क्या है? मृतक परिजनों को 4 लाख का मुआवजा जले पर नमक छिड़कना नहीं तो और क्या है? हमारी मांग है कि मृतक परिजनों को 50 लाख और घायलों के समुचित इलाज के लिए 25 लाख रुपया सरकार तत्काल उपलब्ध कराए।.
ख़राब स्थिति में ही बॉयलर से काम
भाकपा-माले के जांच दल ने पार्टी की केंद्रीय कमेटी सदस्य व फुलवारीशरीफ से विधायक गोपाल रविदास के नेतृत्व में घटनास्थल व एसकेएमसीएच हॉस्पिटल का दौरा किया। जांच दल ने कुरकुरे-नूडल्स फैक्ट्री का जायजा लिया साथ ही आस पास के फैक्ट्रियों का भी मुआयना किया। इस जांच में नूडल्स फैक्ट्री के बॉयलर ब्लास्ट के पीछे मैनेजमेंट की भारी लापरवाही सामने आई है।
मुशहरी छपरा निवासी मृतक संदीप कुमार (35) के चचेरे भाई पिंटू ने जांच दल को बताया कि पिछले 6 माह से बॉयलर में लीकेज था। इसकी शिकायत वर्करों ने मैनेजर उदय शंकर समेत और मालिक विकास मोदी से की थी। लेकिन, इसे अनसुना कर दिया गया था। खराब स्थिति में ही बॉयलर से काम करवाया जाता रहा। इसका नतीजा यह हुआ कि रविवार को बॉयलर में ब्लास्ट हो गया और बड़ी संख्या में मजदूरों की जान चली गई और कई लोग बुरी तरह घायल हैं। जिला प्रशासन सिर्फ 7 मजदूरों के मरने और 7 लोगों के घायल होने की बात कर रहा है लेकिन स्थानीय लोग और मजदूर ज़्यादा संख्या में मौत और घायल होने का दावा कर रहें हैं। उच्चस्तरीय जांच से ही इसका खुलासा हो सकता है।
कॉल कर काम पर बुलाया गया
जांच दल को पिंटू ने बताया कि संदीप काम नहीं करना चाहता था क्योंकि बॉयलर पर ही उसकी ड्यूटी थी। वह नहीं जाता तो मशीन चालू नहीं होती। 26 दिसंबर को उसे जबरन कॉल कर सुबह काम पर बुलाया गया था। इसके बाद 9:40 में तेज धमाका हुआ। पिंटू के अनुसार, वह वहां पहुंचा तो अंदर में कई लाशें पड़ी हुई थी। फैक्ट्री प्रबंधन से जुड़े कुछ लोग आननफानन में सबको निकालकर गाड़ी में लोड कर अस्पताल भेज रहे थे। मैं भी एसकेएमसीएच पहुंच गया। वहां पर एक शव के पैर को देखकर उसने संदीप की पहचान की। संदीप के परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं।
सकरा थाना के मथुरापुर के रहने वाले पंकज ने जांच टीम को बताया कि सुबह काम करने आया था। अचानक से बॉयलर फटा और जोरदार धमाका हुआ। कई वर्करों के चिथड़े उड़ गए। फैक्ट्री की छत उड़ गई। हम लोगों ने बाहर भागकर अपनी जान बचाई।
छह महीने से ख़राब था बॉयलर
बेला फेज-2 में मोदी कुरकुरे-नूडल्स प्राइवेट लिमिटेड की दो यूनिट है। दूसरी यूनिट में बाॅयलर ब्लास्ट हुआ। इस संबंध में छह महीने पहले ही कामगारों ने खतरे की आशंका जताई थी। बॉयलर का सेफ्टी वाल्व भी खराब था। इसके विरोध में दो दिन तक काम भी बंद रखा था।
छपरा के रसूलपुर थाने के खजुहान निवासी ललन यादव विस्फोट हुए बाॅयलर के हेड ऑपरेटर थे। हादसे में उनकी भी मौत हो गई है। ललन के पुत्र विकास यादव भी इसी फैक्ट्री में मिक्सिंग हेल्पर के रूप में काम करते है। विकास ने बताया की पिता की बाॅयलर बदलने की बात फैक्ट्री मालिक मान लेते तो हादसा नही होता।
बेला के धिरनपट्टी के मोहम्मद शाहिद ने भाकपा माले की जांच टीम को बताया कि ठंड की वजह से हम लोग घर में बैठे थे। सुबह का करीब 9:40 बजा था। इसी दौरान जोरदार धमाका सुनाई पड़ा। बड़े बड़े लोहे के टूकड़े आसमान से गिरने लगे। भगदड़ मच गई। बाहर खड़े लोग अपने अपने घरों में घुस गए। अजीब सा खौफ था। इस भीषण धमाके से पांच किमी दूर तक मकान हिल गए। ऐसा लगा कि भूकंप आ गया।
माले ने कहा कि सरकार से हमारी मांग है कि मृतकों को 50-50 लाख रुपये व घायलों को 25-25-लाख रूपए का मुआवजा व मृतक के परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी के साथ साथ पूरे घटनाक्रम की उच्चस्तरीय जांच की जाए और फैक्ट्री प्रबंधक को अविलंब गिरफ्तार कर हत्या का मुकदमा चलाया जाए।
उधर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर के बेला के नूडल्स फैक्ट्री में हुए बॉयलर धमाके में जान गंवाने वाले सभी मजदूरों व कर्मियों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों को जल्द से जल्द बेहतर इलाज उपलब्ध करवाने की अपील की। साथ ही उन्होंने उच्च स्तरीय जांच की मांग की और दोषियों को सजा कठोर सजा दी जाए। उन्होंने पीड़ितों व उनके आश्रितों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
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