तिरछी नज़र: एक मंदिर रिश्वत देवता का भी
प्रतीकात्मक तस्वीर। कार्टून साभार जागरण
अयोध्या में भगवान राम जी का एक भव्य मंदिर बन रहा है। मंदिर अभी अधूरा ही है पर सरकार जी वहां भगवान राम की मूर्ति की इसी बाइस जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। बहुत ही अच्छी बात है। भगवान राम तो कण कण में व्याप्त हैं। देश में करोड़ों लोगों के अराध्य हैं। लाखों मंदिरों में भगवान राम विराजमान हैं। ऐसे में एक और मंदिर बन रहा है और धार्मिक से ज्यादा राजनीतिक कारणों से बन रहा है, यह बात सारी दुनिया जानती है।
भगवान राम का मंदिर तो बन रहा है। लेकिन जैसे अच्छाई के साथ बुराई रहती है। पुण्य के साथ पाप रहता है। इसी तरह एक और देवता हैं, जो हैं तो राम के उलट लेकिन बहुत अधिक अधिक व्याप्त हैं। उनका कहीं कोई मंदिर नहीं है। उनके मंदिर भी बनने चाहिए। एक नहीं, पूरे देश में बनने चाहिए। दिल्ली में बनना चाहिए। लखनऊ में बनना चाहिए। मुम्बई और कोलकता में बनना चाहिए। हर प्रदेश की राजधानी में बनना चाहिए। और प्रदेश की राजधानियों में ही क्यों, हर जिला मुख्यालय में, हर तहसील में, हर ब्लाक में, हर दफ्तर में बनना चाहिए। क्योंकि वे इन सब जगह विराजमान हैं।
आप कहेंगे मैं किस देवता की बात कर रहा हूं। मैं आपको अधिक असमंजस में नहीं रखना चाहता हूं। मैं बात कर रहा हूं रिश्वत देवता की। ये रिश्वत देवता हर जगह व्याप्त हैं। कोई भी हो, किसी भी धर्म का हो, हिन्दू हो या मुसलमान, या फिर सिख या ईसाई, सभी रिश्वत देवता को मानते हैं। कोई भगवान राम को माने या न माने, रिश्वत देवता को सभी मानते हैं।
रिश्वत देवता की व्यापकता इतनी अधिक है कि आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो कहेंगे कि मैं नास्तिक हूं। मैं भगवान को नहीं मानता हूं। मैं कभी किसी भगवान की, देवी देवता की पूजा नहीं करता हूं। मैं कभी किसी मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर या गुरुद्वारे नहीं गया पर ऐसा व्यक्ति ढूंढे़ नहीं मिलेगा जो कहे कि मैंने कभी रिश्वत देवता को प्रसाद नहीं चढ़ाया है। हां! रिश्वत देवता से प्रसाद पाने वाले लोग अवश्य ही कम हो सकते हैं।
रिश्वत देवता ऐसे देवता हैं कि कोई इन्हें प्रसाद चढ़ाता है और कोई इनका प्रसाद पाता है। कई बार प्रसाद पाने वाले को प्रसाद चढ़ाना भी पड़ जाता है और कभी कभी प्रसाद चढ़ाने वाले को प्रसाद पाने का शुभ अवसर भी प्राप्त होता है। लेकिन रिश्वत देवता की पूजा करने का अवसर प्रत्येक को अपनी जिन्दगी में कभी न कभी अवश्य मिलता है। जन्म प्रमाणपत्र से लेकर मृत्यु प्रमाणपत्र तक जीवन में अनेक ऐसे अवसर हर एक की जिन्दगी में आते हैं जब उसे रिश्वत देवता की अराधना करनी ही पड़ती है।
रिश्वत देवता सबसे अधिक सामर्थ्य वाले देवता हैं। किसी भी देवी-देवता को कितना भी प्रसाद चढ़ा लो, उनकी कितनी भी पूजा कर लो, अभीष्ट प्राप्त होने की उतनी संभावना नहीं होती है जितनी रिश्वत देवता की पूजा अर्चना से, उन्हें प्रसाद चढ़ाने से होती है। किसी और देवता के यहां मनौती पूरी हो या न हो, रिश्वत देवता के यहां मनौती पूरी होने की गारंटी है। रिश्वत देवता में तो इतना दम है कि वे सरकार गिरा या बनवा सकते हैं। उन्होंने ऐसा किया भी है। वे संसद में प्रश्न भी पुछवा सकते हैं और संसद में कानून भी बनवा सकते हैं। इतने शक्तिशाली हैं रिश्वत देवता। किसी और देवता में इतनी शक्ति है भला!
रिश्वत देवता वैसे तो प्रसाद चढ़ाने में कुछ भी ग्रहण कर लेते हैं। घड़ी, जेवर, घर का कोई सामान, कोई भी महंगा आइटम। परन्तु उनका प्रिय प्रसाद नगदी यानी पैसा ही हैं। उन्हें उनका प्रिय प्रसाद चढ़ाओ ओर देखो आपका काम कितना जल्दी पूरा होता है। जिस काम में महीनों लगते हों, वह दिनों में पूरा हो जाता है। जो काम हो ही नहीं सकता हो, जिसके होने की संभावना लगभग न के बराबर हो, रिश्वत देवता उसे भी करवा सकते हैं। अनहोनी को होनी कर सकते हैं रिश्वत देवता।
माना जाता है कि रिश्वत देवता को सभी मानते हैं। यहां आस्तिक और नास्तिक वाली श्रेणियां नहीं है। ऐसा माना जाता है कि रिश्वत देवता के यहां बिकने को सब तैयार हैं, बस खरीदने वाला चाहिए। रिश्वत देवता के यहां तो नास्तिक भी बस तभी तक नास्तिक है जब तक उसे उसके मनमाफिक प्रसाद नहीं मिल जाता है। रिश्वत देवता के यहां मनमाफिक कीमत मिले तो सरकार भी बिक जाती है।
रिश्वत देवता सर्वव्यापी हैं उनकी व्यापकता पूरे विश्व में है। अमेरिका में इनकी व्यापकता के किस्से तो विश्व भर में प्रसिद्ध हैं ही, विश्व के अन्य देशों में भी ये मौजूद हैं। अभी, छह वर्ष पहले जब हमारी सरकार ने रफ़ाल विमान खरीदे थे तो रिश्वत देवता के फ्रांस में भी मौजूद होने के प्रमाण मिले थे। उससे पहले भी, बोफोर्स तोप की खरीद के समय, स्वीडन में भी रिश्वत देवता के मौजूद होने का शक हुआ था। मतलब हम कह सकते हैं कि अमेरिका हो या जापान, चीन हो या इंग्लिस्तान, या फिर हमारा प्यारा हिन्दुस्तान, रिश्वत देवता सब जगह पाए जाते हैं।
रिश्वत देवता का देश की जीडीपी में भी बहुत योगदान है। रिश्वत देवता पर चढ़ने वाले चढ़ावे का तो कहीं कोई हिसाब नहीं है पर एक मोटे अनुमान के अनुसार यह चढ़ावा प्रतिवर्ष लाखों करोड़ में होता होगा। देश की जीडीपी का एक बहुत बड़ा हिस्सा। ऐसे काम के देवता का एक मंदिर तो अवश्य ही होना चाहिए परन्तु है एक भी नहीं। ऐसे देवता के तो एक नहीं, अनेक मंदिर होने चाहिए। हर जगह मंदिर होने चाहिए।
इतने प्यारे, सबके अराध्य, सभी जातियों, धर्मों, नस्लों, रंगों के इंसानों द्वारा पूज्य रिश्वत देवता का मंदिर कहीं नहीं है। हैं न कितने आश्चर्य की बात। देश में, विश्व में बहुत सारे काम पहली बार करने वाले, हर बार ऐतिहासिक कार्य करने वाले हमारे सरकार जी से हमारी एक प्रार्थना है। प्रार्थना है कि देश की राजधानी में, दिल्ली में रिश्वत देवता का एक भव्य मंदिर बनवाया जाए। उसका उद्घाटन सरकार जी स्वयं अपने कर कमलों से करें। उसमें प्राण प्रतिष्ठा भी सरकार जी द्वारा हो तो कितना अच्छा होगा। उसके बाद सभी प्रदेश की राजधानियों में, फिर जिला मुख्यालयों में, तहसीलों में, और सभी सरकारी दफ्तरों में रिश्वत देवता के मंदिर बनें जिससे देश दिन दूनी, रात चौगुनी प्रगति कर सके।
नोट: यह एक व्यंग्य आलेख है। लेखक रिश्वत जैसी सामाजिक बुराई का महिमा मंडन नहीं कर रहा है।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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