आंध्र प्रदेश: तिरुपति उपचुनाव में वाईएसआरसीपी को बढ़त?
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर वाले इस शहर में 17 अप्रैल को होने वाले उपचुनावों में तिरुपति (एससी) संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों की तरफ़ से धुआंधार प्रचार होते देखा गया है। हाल ही में संपन्न हुए पंचायत और नगर पालिका चुनावों में वाईएसआरसीपी की भारी जीत को देखते हुए इस चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को स्पष्ट बढ़त मिलने की उम्मीद है।
विपक्षी दलों के बीच तेलुगु देशम पार्टी हालिया स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी धूमिल होती विश्वसनीयता के बीच इस सीट को जीतने को लेकर सभी तरह की कोशिशें करती रही हैं,जबकि भारतीय जनता पार्टी और उसकी सहयोगी पार्टी-जनसेना ने राज्य में अपनी बढ़त बनाने के लिहाज़ से हिंदुत्व के एजेंडे पर भरोसा किया है। इस बीच, अन्य वाम दलों द्वारा समर्थित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) मतदाताओं से ख़ुद को एक विकल्प के रूप में चुनने की अपील कर रही है।
पिछले साल अक्टूबर में कोविड-19 के चलते वाईएसआरसीपी के सांसद,बल्ली दुर्गा प्रसाद राव के निधन के कारण यह उपचुनाव ज़रूरी था।
सभी प्रमुख राजनीतिक दल तीन महीने से ज़्यादा समय से इस निर्वाचन क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं, ऐसे में पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस चुनाव नतीजे से राज्य के राजनीतिक दलों की स्थिति का पता चलेगा।
वाईएसआरसीपी उम्मीदवार,मद्दिला गुरुमूर्ति को टीडीपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री पनाबका लक्ष्मी,भाजपा के कर्नाटक के पूर्व नौकरशाह,के.रत्ना प्रभा और सीपीआई(एम) के उम्मीदवार नेल्लोर यदुगिरी के ख़िलाफ़ खड़ा किया गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुपति से छह बार के सांसद-चिन्ता मोहन भी चुनावी दौड़ में हैं।
2019 के चुनावों में प्रसाद राव ने टीडीपी के पनाबका लक्ष्मी के ख़िलाफ़ 2.38 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस संसदीय क्षेत्र में आने वाले सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले पिछले चुनावों में वाईएसआरसीपी के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
वाईएसआरसीपी ने अपने विधायकों और मंत्रियों को ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में एक महीने से ज़्यादा समय तक चुनाव प्रचार में उतारा हुआ था। प्रेस को दिये गये एक बयान में कृषि मंत्री,कुरासला कन्नबाबू ने कहा कि विपक्षी दल टीडीपी और बीजेपी तो इस उपचुनावों में महज़ दूसरे स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं,जबकि वाईएसआरसीपी प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज करने जा रही है।
टीडीपी नेताओं ने स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों में लगातार मिली नाकामियों के बाद इन चुनावों को गंभीरता से लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री,एन चंद्रबाबू नायडू और अन्य वरिष्ठ टीडीपी नेताओं ने इस निर्वाचन क्षेत्र के सभी इलाक़ों का कई-कई बार दौरे किये हैं।
2014 तक इस निर्वाचन क्षेत्र में 30 वर्षों तक सत्ता में रही कांग्रेस ने पिछले छह वर्षों में अपने कार्यकर्ताओं को पूरी तरह वाईएसआरसीपी का रुख़ करते पाया है। प्रमुख राजनीतिक शख़्सियत होने के नाते चिंता मोहन अन्य प्रतिद्वंद्वियों के साथ इस अभियान में लगातार बने रहे हैं।
कार्यकर्ताओं की कमी से जूझ रही भाजपा के नेता इस अनुसूचित जाति आरक्षित सीट के चुनाव में वाईएसआरसीपी उम्मीदवार के धार्मिक विश्वास पर निशाना साध रहे हैं। हालांकि,गुरुमूर्ति ने अपना नामांकन बतौर एक हिंदू एससी दाखिल किया है, लेकिन भाजपा नेता और उनकी सोशल मीडिया टीमों का आरोप है कि उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया है।
हाल ही में एक ट्वीट में भाजपा के राष्ट्रीय सचिव और राज्य सह-प्रभारी,सुनील देवधर ने लिखा था,“बाबासाहेब ईसाई धर्म में धर्मांतरण के ख़िलाफ़ थे। संविधान के मुताबिक़, एक बार जब कोई अनुसूचित जाति धर्मान्तरित हो जाता है, तो वह किसी भी लाभ का दावा नहीं कर सकता है। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी एससी आरक्षित सीटों पर ईसाइयों को खड़ा करके अनुसूचित जातियों को धोखा दे रहे हैं। हम उन्हें क़ानूनी रूप से अयोग्य घोषित करवायेंगे।”
इसके अलावा, बीजेपी के दूसरे नेता भी पिछले साल राज्य में हुए हिंदू मंदिरों पर कई कथित हमलों को लेकर वाईएसआरसीपी पर निशाना साधते रहे हैं। तिरुपति में पार्टी के चुनाव अभियान के दौरान माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य वी.श्रीनिवासुलु ने कहा, “भाजपा अपने हिंदुत्व के एजेंडे के साथ मंदिर के इस शहर में सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रही है।वाईएसआरसीपी, टीडीपी और बीजेपी संसद में जन विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाने को लेकर साथ-साथ हैं।”
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक/AITUC) के मूर्ति कहते हैं,''इस निर्वाचन क्षेत्र में वाम दलों के बड़े संगठन मज़बूत हैं। हम मतदाताओं से उस वाम विकल्प को चुनने की अपील कर रहे हैं, जो संसद में वाजिब सवाल उठायेंगे।'
श्रीनिवासुलु कहते हैं,“वाईएसआरसीपी वोट मांगते समय अपनी कल्याणकारी योजनाओं को लेकर बढ़-चढ़कर दावा करती रही है। लेकिन, हक़ीक़त यह है कि राज्य का स्वास्थ्य क्षेत्र संकट से गुज़र रहा है और बेरोजगारी बढ़ी है। लोगों को केंद्र में वाईएसआरसीपी और भाजपा के बीच सांठगांठ का एहसास होना शुरू हो गया है।”
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