ज्ञानवापी मस्जिद: कड़ी सुरक्षा के बीच चार तहखानों की वीडियोग्राफी, 50 फीसदी सर्वे पूरा
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर उठे विवाद के बाद सेशन कोर्ट के निर्देश पर दोबारा सर्वे शुरू हो गया है। कड़े विरोध के चलते 7 मई 2022 को सर्वे को रोक दिया गया था। आज शनिवार, 14 मई को कड़ी सुरक्षा के बीच अधिवक्ता कमिश्नर अजय मिश्र के साथ सर्वे टीम सुबह आठ बजे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दाखिल हुई। मौके पर वादी-प्रतिवादी पक्ष के 52 लोग मौजूद हैं।
तहखाने में वीडियोग्राफी कराने के लिए कोर्ट कमीशन की टीम बैटरी लाइट लेकर पहुंची थी। शनिवार को सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के करीब आधे हिस्से का सर्वे हुआ। सबसे पहले उन तहखानों की वीडियोग्राफी कराई गई, जहां हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं की मूर्तियों, विग्रहों और प्रतीक चिह्नों की मौजूदगी का दावा किया जा रहा है। सर्वे के मद्देनजर ज्ञानवापी मस्जिद और विश्वनाथ मंदिर के समीप सभी दुकानों को भी बंद करा दिया गया था। आसपास के घरों की छतों पर पुलिस जवान तैनात किए गए थे। कलेक्टर कौशलराज शर्मा और पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश मौके पर मौजूद रहे। पुलिस कमिश्नर ने खुद परिसर के बाहर फोर्स के साथ पैदल मार्च भी किया।
पहले तहखानों की हुई जांच
एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा के साथ वादी और प्रतिवादी पक्ष के 52 लोगों की टीम ने परिसर में चार तहखानों के ताले खुलवाकर उसकी जांच की। सर्वे टीम ने दीवारों की बनावट, खंभों की वीडियोग्राफी कराई। सर्वे का काम रविवार को फिर सुबह आठ बजे से शुरू होगा। इस दिन ऊपर के कमरों का सर्वे होगा। संभावना है कि सर्वे की कार्यवाही 16 मई तक जारी रह सकती है।
इस बीच अंजुमन-ए-इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सेशन कोर्ट के सर्वे के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ संबंधित याचिका पर 17 मई को सुनवाई कर सकती है। हालांकि इस मामले पर सुनवाई कब होगी, सुप्रीम कोर्ट ने अभी इसकी तारीख तय नहीं की है। 16 मई को बुद्ध पूर्णिमा की वजह से सार्वजनिक अवकाश है। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट भी बंद रहेगा। ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 1991 में दाखिल किए गए वाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही रोक लगा चुका है।
ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे शुरू होने से पहले ही वाराणसी जिला प्रशासन ने विवादित परिसर के चारों तरफ करीब एक किमी तक के इलाके को पूरी तरह से सील कर दिया है। ज्ञानवापी मस्जिद परिसर और आसपास के इलाके में चप्पे-चप्पे पर पुलिस फोर्स तैनात की गई है। डेढ़ हजार से ज्यादा पुलिस, पीएसी और अर्धसैनिक बल के जवान तैनात किए गए थे। सर्वे टीम ने सबसे पहले ज्ञानवापी मस्जिद के तहखानों की वीडियोग्राफी कराई। मौके पर दोनों पक्ष के अधिवक्ताओं के अलावा एडवोकेट कमिश्नर के साथ उनकी टीम, डीजीसी सिविल के अलावा विश्वनाथ मंदिर और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद थे। सर्वे टीम ने मौके पर ताला तोड़ने वाले, सफाईकर्मियों के अलावा वन विभाग की टीम को भी बुलाया रखा था। जांच टीम को इस बात की आशंका थी कि तहखानों में जहरीले जीव मिल सकते हैं। सर्वे के दौरान ही एक तहखाने में सांप मिलने की चर्चा सामने आई, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।
ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर दल-बल के साथ सुबह आठ बजे गेट नंबर-चार से विवादित परिसर में पहुंचे। ज्ञानवापी परिसर में इंट्री से पहले सभी के मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण बाहर ही जमा करा लिए गए। आसपास के घरों की छतों पर रूफ टॉप फोर्स तैनात की गई है। ज्ञानवापी मस्जिद के एक किलोमीटर के दायरे में हर चौराहे पर बैरिकेडिंग लगा कर सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है। काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालु सिर्फ गेट नंबर-एक से जा रहे हैं, जबकि ज्ञानवापी के पास गेट नंबर-चार को बंद करके भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई है। ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को कवर करने के लिए देश भर से खबरिया चैनलों के रिपोर्टर पहुंचे हुए हैं। इन्हें विश्वनाथ मंदिर के गेट संख्या-एक के पास रोक दिया गया। सैकड़ों मीडियाकर्मी सुबह छह बजे से मौके पर जमे हुए थे। गेट नंबर-चार बंद होने के कारण गेट नंबर-एक से विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करने के लिए लोगों को इंट्री दी जा रही है। पुलिस की सख्ती और बैरिकेटिंग के चलते दर्शनार्थियों की लंबी कतारें लग गई।
सहयोग दे रही मसाजिद कमेटी
अंजुमन-ए-इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट से कोई फैसला नहीं आ जाता है, वह सर्वे में सहयोग करेंगे। कमेटी के लोगें ने शनिवार को सर्वे और फोटोग्राफी में सहयोग भी दिया। हालांकि मसाजिद कमेटी ने सर्वे रुकवाने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है। इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी की निचली कोर्ट के फैसले को चुनौती दी दी गई थी, लेकिन 21 अप्रैल को हाईकोर्ट ने निचली कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
उल्लेखनीय है कि अंजुमन-ए-इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी ने सीजेआई के समक्ष शुक्रवार को याचिका पेश किया और सुप्रीम कोर्ट से वाराणसी सिविल कोर्ट के समक्ष लंबित मामले में यथास्थिति का आदेश देने के लिए कहा है। अहमदी के मुताबिक, यह संपत्ति धर्मस्थल कानून के दायरे में आती है, लेकिन अब कोर्ट ने कमिश्नर को आदेश दिया है कि वह सर्वे कराए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी सेशन कोर्ट द्वारा नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर को सर्वेक्षण करने और वीडियोग्राफी कराने की इजाजत दी है। ज्ञानवापी मस्जिद पर हिंदू व मुस्लिम दोनों पक्ष अपने अधिकार का दावा करते हैं। पीठ ने मामले में यथास्थिति प्रदान करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि उसे इस मुद्दे की जानकारी नहीं है, क्योंकि पीठ ने तब कागजात नहीं देखे हैं।
क्या है ज्ञानवापी मस्जिद विवाद?
आजादी से पहले से अब तक ज्ञानवापी पर विवाद कई बार सुर्खियों में रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का हिस्सा है। इस मस्जिद को लेकर कई बार मुकदमे दायर किए गए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। साल 1991 में पहली बार यह विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में आया। उस समय वाराणसी के पंडित सोमनाथ व्यास समेत तीन लोगों ने कोर्ट में केस दायर किया, जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद को काशी विश्वनाथ परिसर बताया। याचिका में कोर्ट से अपील की गई थी कि ज्ञानवापी परिसर में दर्शन, पूजन और सनातनी धर्म के अन्य कार्यों को नियमित करने की अनुमति दी जाए।
इस मामले में कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वे करने के आदेश दिए। हालांकि, वाराणसी कोर्ट के इस आदेश पर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने सर्वे पर स्टे लगा दिया। तब से यह केस फ्लोर में नहीं आया।
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय यादव के मुताबिक, "इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुरातात्विक सर्वे का जो फैसला सुरक्षित रखा है वह साल 1991 का केस नंबर-610 है। उस केस में यह कहा गया है कि जहां पर मस्जिद बनी है, वह तोड़कर बनाई गई है। वह काशी विश्वनाथ की ज़मीन हैं। मस्जिद का कब्जा हटाकर उसका उसे हिन्दुओं को सौंपा जाए।
साल 1991 और गौरी श्रीनगर से जुड़े मामले में क़ानूनी फ़र्क़ समझाते हुए मस्जिद के अधिवक्ता अभय यादव कहते हैं, "यह मुक़दमा है राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार है, जिसमें श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की मांग की गई है। श्रृंगार गौरी की पूजा साल में सिर्फ नवरात्र में चतुर्थी के दिन होती रही है, लेकिन अब यह रोज़ पूजा की बात कर रहे हैं। इनका खुद का कहना है कि वो मंदिर की पश्चिमी दीवार के बाहरी ओर है। आप कैसे तय करेंगे की जहां पर मस्जिद है वो प्लॉट नंबर 9130 का हिस्सा है? वो तो रेवेन्यू नक़्शे के हिसाब से तय होगा। याचिकाकर्ताओं ने मैप कोर्ट में जमा नहीं किया है। हमारी आपत्ति सिर्फ़ इस बात पर है कि यह लोग मस्जिद के अंदर ना जाएं। कोर्ट ने मस्जिद के अंदर सर्वे का आदेश दिया है, जिस पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी को एतराज है।"
सर्वे विवाद में अब तक क्या हुआ?
18 अगस्त 2021 : दिल्ली की रहने वाली राखी सिंह और बनारस की रहने वाली लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक की ओर ने वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई, जिसमें श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की अनुमति मांगी गई।
8 अप्रैल 2022: सिविलकोर्ट ने सर्वे के आदेश दिया और इसी दिन अजय मिश्रा कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया।
6 मई 2022 : एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने हिंदू-मुस्लिम पक्षों को लेकर सर्वे शुरू किया।
इस दिन केवल श्रृंगार गौरी के विग्रह-दीवारों की वीडियोग्राफी हो पाई। बड़ी संख्या में मुस्लिम मस्जिद में नमाज को आए। इस दिन विवद और नारेबाजी भी हुई। मुस्लिम पक्ष ने एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे को एकपक्षीय करार दिया।
7 मई 2022 : ज्ञानवापी परिसर का सर्वे दोबारा शुरू हुआ। दूसरे दिन वादी पक्ष ने आरोप लगाया कि 500 से ज्यादा मुस्लिम मस्जिद में थे। अंदर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था, न ही प्रशासन कोई सहयोग कर रहा था। विवाद बढ़ा तो एडवोकेट कमिश्नर ने सर्वे रोक दिया और मामला फिर से कोर्ट में चला गया।
9 मई 2022 : कोर्ट में वादी पक्ष ने कहा-एडवोकेट कमिश्नर अपना काम सही से कर रहे हैं। उन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्हें ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की अनुमति दी जाए।
10 मई 2022 : कोर्ट में दोनों पक्षों में बहस हुई, एडवोकेट कमिश्नर के बदलने और दलीलें पेश की। मुस्लिम पक्ष ने कुछ और तथ्य देने के लिए 11 मई तक का समय मांगा। सिविल जज रवि कुमार ने 12 मई की तारीख दी और कहा कि जरूरत पड़ने पर वह स्वयं मौके पर जाएंगे।
12 मई 2022 : बनारस के सिविल कोर्ट ने तहखाने और परिसर के चप्पे-चप्पे के सर्वे का आदेश दिया। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।
13 मई 2022 : ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता ने वाराणसी सर्वे के फैसले को चुनौती दी गई, जिस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने इस याचिका पर कहा कि वह पहले फाइलें देखेंगे, फिर फैसला लेंगे।
चार पूजा स्थलों पर नया विवाद
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के साथ देश में चार पूजा स्थलों को लेकर अदालती लड़ाई तेज हुई है। ज्ञानवापी मामले में बनारस की अदालत ने जहां मस्जिद का ताला तोड़कर सर्वे करने का निर्देश दिया है, वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मामले में निचली अदालत को निर्देश दिया है कि इस प्रकरण से जुड़े सभी विवाद चार महीने में निपटा दिए जाएं। इस बीच मध्य प्रदेश के इंदौर हाईकोर्ट ने भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिका को स्वीकार कर लिया है, जबकि ताजमहल के बंद 22 दरवाजों को खोलने के मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने पीआईएल दाखिल करने वाले पर सख्त टिप्पणी की है।
ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर बनारस के सिविल कोर्ट ने सर्वे टीम को मस्जिद परिसर के हर हिस्से की वीडियोग्राफी कराने और इस काम में अवरोध पैदा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। इसका सीधा मतलब यह है कि कोर्ट ने साफ कर दिया है कि उसके आदेश का पालन हर हाल में करना होगा। इस मामले में किसी को कोई सहूलियत नहीं मिलेगी। इससे पहले सेशन कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद का पुरातात्विक सर्वे कराने निर्देश दिया था, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 09 सितंबर 2021 को निचली अदालत के एएसआई के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी। रोक इस आधार पर लगाई गई थी कि उच्च न्यायालय सर्वे के मुद्दे से जुड़ी एक और याचिका पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख चुका है।
ताजमहल मामले में याची को फटकार
ताजमहल के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने काफी सख्त रवैया अपनाया और उसके 22 बंद दरवाजों को खोलने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह न्यायालय का काम नहीं है कि वह निर्देश दे कि किस विषय पर शोध या अध्ययन करने की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने हमें पूरी तरह से एक गैर-न्यायसंगत मुद्दे पर फैसला देने के लिए कहा है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह जनहित याचिका का दुरुपयोग न करें। पहले यूनिवर्सिटी जाएं, पीएचडी करें। अगर कोई रिसर्च करने से रोके, तब हमारे पास आए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा, "कल को आप आएंगे और कहेंगे कि आपको जजों के चैंबर में जाना है, तो क्या हम आपको चैंबर दिखाएंगे? इतिहास आपके मुताबिक नहीं पढ़ाया जाएगा? " हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ताजमहल के मामले का हवाला देते हुए यह साफ कर दिया है कि बिना किसी ठोस मुद्दे के अगर याचिका दायर की जाएगी, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इतिहास को किसी भी दशा में तोड़ा-मरोड़ा न जाए।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 मई 2022 को ही एक अहम फैसला सुनाया। उसने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि विवाद से जुड़ी सभी अर्जियों को अधिक से अधिक चार महीने में निपटा दिया जाए। श्रीकृष्ण जन्मभूमि में बनी शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट नहीं चाहता है कि यह विवाद लंबा खिंचे। इसीलिए उसने निचली अदालत को निर्देश दिया है कि सभी याचिकाएं चार महीने में निपटा दी जाएं, जिससे कि यह मामला ज्यादा तूल न पकड़ सके।
भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद
मंदिर-मस्जिद विवाद में एक और अहम फैसला 13 मई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सुनाया है। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने भोजशाला-कमल मौला मस्जिद विवाद से जुड़ी याचिका को स्वीकार करते हुए केंद्र और राज्य सरकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग आदि को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस मामले की सुनवाई करेगा।
मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित कमल मौला मस्जिद को हिंदू धर्म के लोग भोजशाला बताते हैं। उनका कहना है कि यह माता सरस्वती का प्राचीन मंदिर हैं, जबकि मुस्लिम इसे अपनी इबादतगाह यानी मस्जिद बताते हैं। 1997 से पहले हिंदुओं को यहां पूजा करने का अधिकार नहीं था। केवल दर्शन करने की इजाजत थी। हिंदुओं को हर मंगलवार और वसंत पंचमी पर पूजा करने और मुस्लिमों को हर शुक्रवार को नमाज पढ़ने की इजाजत दी है। याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं को हर पूजा करने की अनुमति दी जाए और मुस्लिम समाज को वहां नमाज पढ़ने से रोका जाए। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से जो जानकारी मांगी है उससे जाहिर हो रहा है कि कोर्ट इस विभाग को जरूरी साक्ष्य पेश करने के लिए कह सकता है।
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