लखनऊ: कश्मीरी विक्रेताओं से बदसलूकी, पुलिस ने बताया ‘अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई’
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कुछ कश्मीरी विक्रेताओं के साथ एक घटना घटी, जिसके हवाले से व्यापार की तलाश में आए तमाम कश्मीरी विक्रेताओं ने नगम-निगम प्रशासन और पुलिस पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
इनमें से एक 30-32 साल के नौजवान कश्मीरी युवक ने भी प्रशासन पर दुर्व्यवहार और सौतेलेपन का आरोप लगाया। ये कश्मीरी युवक ग्रेजुएट है और अपने घर से कई किलोमीटर दूर ड्राई-फ्रूट्स बेचने का काम करता है। लाख कोशिशों के बाद भी यह युवक अपना नाम बताने को तैयार नहीं हुआ।
नाम न बताने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिसमें से शायद एक ये कि एक दिन पहले नगर निगम लखनऊ और पुलिस वालों ने कथित तौर पर इनके कुछ साथियों के साथ मारपीट की थी और सारा ड्राई-फ्रूट सड़क पर फेंक दिया था। हालांकि बातचीत में इनके और इनके बाक़ी साथियों ने बताया कि वे कश्मीर से हैं, व्यापार के लिए अलग-अलग राज्यों में जाते हैं और अपनी पहचान उजागर करने को लेकर इनके मन में एक डर है, लेकिन ऐसा क्यों?
इन युवाओं के डर को देखकर कुछ सवाल जन्म लेते हैं। क्या रोज़गार और व्यापार के लिहाज़ से कश्मीरी लोगों को देश के अलग-अलग राज्यों में अनुकूल माहौल मिलता है? अगर नहीं तो उन्हें किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है? क्या वे ख़ुद को सुरक्षित महसूस करते हैं?
दरअसल इन बातों और सवालों का आधार वो तमाम घटनाएं हैं, जो वक़्त-वक़्त पर घटती रहती हैं। जैसे ताज़ा उदाहरण उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का है।
क्या है पूरा मामला?
लखनऊ के अलग-अलग हिस्सों की तरह गोमतीनगर के 1090 यानी वुमेन हेल्पलाइन चौराहे की सड़क के किनारे फुटपाथ पर कुछ कश्मीरी ड्राइ-फ्रूट्स बेचते हैं। 16 दिसंबर यानी शनिवार के दिन नगर-निगम के कुछ कर्मचारी इन विक्रेताओं से कहते हैं कि अगले दिन 17 दिसंबर यानी रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यहां से गुज़रने वाले हैं, तो अपनी दुकानें 2 बजे के बाद लगाना। रविवार का दिन आता है, 2 बजे के बाद ये लोग अपनी दुकाने लगा लेते हैं। तभी अचानक नगर निगम की गाड़ी आती है, और इन विक्रेताओं को वहां से हटाना शुरु कर देती है। आरोप है कि जब विक्रेता इसका विरोध करते हैं तब नगर नगर निगम के कर्मचारी इनके साथ मारपीट भी करते हैं। इतने में कश्मीरी विक्रेताओं की ओर से भी पलटवार होता है तो नगर निगम के एक कर्मचारी के कपड़े फट जाते हैं। इसके बाद नगर निगम की ओर से पुलिस बुला ली जाती है, कश्मीरी विक्रेताओं का आरोप है कि पुलिस उनकी पिटाई करती है और सारा माल ज़ब्त कर लेती है। इसी दौरान कुछ कश्मीरी विक्रेता भागने में कामयाब हो जाते हैं, जबकि 7 विक्रेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता हैं। इन वीडियोज़ और तस्वीरों में देखिए...
Kashmiri Vendors slapped in Lucknow UP by MC employees who overturned their carts. The workers were rounded up & bundled in a UP police van. I request @CMOfficeUP for intervention & immediate cessation of mistreatment towards these Kashmiri laborers. @MehboobaMufti @OmarAbdullah pic.twitter.com/oGA78MYtEW
— Nasir Khuehami (ناصر کہویہامی) (@NasirKhuehami) December 17, 2023
एक वीडियो में आप देख पा रहे होंगे, विक्रेताओं को ज़बरदस्ती गाड़ी में भरा जा रहा है, इसके बाद दूसरे वीडियो में एक विक्रेता वो डंडा दिखा रहा है, जिससे कथित तौर पर उसकी पिटाई की गई है। इसके अलावा दो तस्वीरों में आपको विक्रेताओं का फेंका गया माल और एक चोटिल विक्रेता दिख रहा होगा। इसके अलावा जिन सात लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनमें यावर अहमद निक्कू, रउफ नजीर, आसिक, इदरीस अहमद, फैजान, वसीम अहमद और आमिर शामिल हैं। इन सभी पर शांति भंग करने की कार्रवाई की गई है।
ग़ौर करने वाली बात है कि ये मामले का सिर्फ एक पहलू है जो दूसरे क्षेत्रों में मौजूद विक्रेताओं ने हमें बताया। इसके अलावा नगर निगम जोनल के अफसर आकाश कुमार विक्रेताओं पर आरोप लगा रहे हैं। इनका कहना है कि कश्मीरी ख़ुद अपना सामान फेंक रहे थे। कई बार उनको हटाया गया फिर भी नहीं मानते हैं। वीआईपी दौरे के दौरान भी नहीं हटते। हटाने पर बवाल करते हैं। पुल पर दुकान लगने से जाम भी लगता है। हम अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई कर रहे थे।
आकाश कुमार की बात में सच्चाई भी है, जो हमें ख़ुद एक विक्रेता ने बताई। कश्मीर से आने वाले एक ड्राई फ्रूट विक्रेता का कहना था कि "जब पुलिस और नगर निगम के कर्मचारी दोनों मिलकर हम लोगों का माल फेंक रहे थे, तब गुस्से में आकर हमारे साथी ने ख़ुद ही अपना सामान फेंकना शुरू कर दिया था, क्योंकि वो बहुत परेशान हो गया था।" आकाश कुमार इसे एक साज़िश करार दे रहे हैं।
इसके अलावा पुलिस की ओर से भी एक वीडियो जारी किया गया है, जिसमें ड्राई-फ्रूट बेच रहे युवकों पर आरोप लगाया गया है।
थाना गोमतीनगर क्षेत्रान्तर्गत गोमती पुल पर नगर निगम टीम द्वारा अतिक्रमण हटाने के सम्बन्ध में @east_dcp द्वारा दी गई बाईट।@Uppolice pic.twitter.com/Qy3nxScsdC
— LUCKNOW POLICE (@lkopolice) December 17, 2023
पुलिस की ओर से भी अपनी बात रखने के बाद नगर निगम की ओर से कश्मीरी युवकों को वेंडिंग ज़ोन की सूची सौंपी गई...
नगर आयुक्त ने इस घटना के बाद कश्मीरी युवकों को सौंपी वेंडिंग जोन की सूची pic.twitter.com/oUHlQw87Y1
— Vivek Rai (@vivekraijourno) November 26, 2023
हालांकि कुछ लोग ये भी सवाल उठाते हैं की जो सूची नगर निगम ने कश्मीरियों को थमाई है, क्या वाकई उसका सही तरीके से पालन होता है।
जैसा कि हमने आपको शुरुआत में ही बताया था कि जिन कश्मीरी विक्रेताओं से हमने बात की, उनमें सभी ने अपना नाम ख़बर में नहीं छापने की शर्त रखी थी, इसी शर्त के साथ एक और विक्रेता ये कहना है कि "हमारे जिन सात साथियों को गिरफ्तार कर रखा है, उनमें से एक के पिता ख़बर सुनकर लखनऊ आ गए हैं, लेकिन उन्हें अपने बेटे से मिलने नहीं दिया जा रहा है।"
विक्रेता का कहना था कि "जिस दिन ये कांड हुआ, उस रात को हम लोग थाने के बाहर थे, तब समाजवादी पार्टी के कुछ लोग वहां पहुंचे थे जो हमसे मामले की जानकारी ले रहे थे और जल्द सबकुछ ठीक हो जाने का आश्वासन दे रहे थे। मग़र इसके बाद कोई भी नज़र नहीं आया।" हालांकि सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने इस घटना का एक वीडियो ख़ुद ट्वीट किया है, जिसमें पुलिस वाले विक्रेताओं को फटकार लगाते और उन्हें पकड़कर गाड़ी में भरते नज़र आ रहे हैं।
https://x.com/yadavakhilesh/status/1736338303182589953?s=20
अखिलेश यादव ने अपने इस ट्वीट के ज़रिए सरकार पर हमला किया है और कहा है कि ऐसी घटना के पीछे क्या मंशा है, इसकी तत्काल जांच होनी चाहिए।
यहां तक थी रविवार को घटी पूरे दिन की घटना, इसके बाद अब इन दो तस्वीरों पर एक नज़र डालिए...
समता मूलक चौराहा(बाएं), 1090 चौराहा(दाएं)
यहां हम दो फुटपाथ देख सकते हैं, पूरी तरह से खाली, एक 1090 चौराहे का है, दूसरा समता मूलक चौराहे का। ये दोनों चाराहे एक किलोमीटर की दूरी पर होंगे और इन दोनों चौराहों के फुटपाथों पर ये कश्मीरी ड्राई-फ्रूट विक्रेता एक छोटी-सी चटाई या बोरी पर अपनी दुकान लगाते थे, जो फिलहाल अब नहीं है। यानी अब दोनों फुटपाथ पूरी तरह से खाली हो चुके हैं।
इन मुख्य चौराहों पर ड्राई-फ्रूट बेचने वाले विक्रेता या तो चोट लगने की वजह से अपने कमरे पर पड़े हैं, या फिर कुछ ने डर के कारण दुकान लगाई ही नहीं है। हालांकि शहर के दूसरे इलाकों में कुछ कश्मीरी अब भी दुकान लगा रहे हैं।
हमने जिस ग्रैजुएट कश्मीरी विक्रेता की सबसे पहले बात की थी, वो पिछले 8 सालों से लखनऊ आकर ड्राईफ्रूट्स बेच रहा है और अपने घर का खर्चा चला रहा है। मग़र इस युवक का आरोप है कि पिछले 3-4 सालों में जो हुआ वैसा कभी नहीं हुआ था। युवक बताता है कि "साल 2023 की फरवरी में इसी तरह पुलिसवालों ने हमारे साथ मारपीट की थी, और हमारा माल ज़ब्त कर लिया था। कुछ लोगों का माल करीब 3 दिनों बाद वापस मिल गया था मग़र 20 से 22 लोग ऐसे भी होंगे जिनका करीब 3-4 लाख रुपये का नुकसान हुआ होगा। क्योंकि किसी को माल वापस नहीं मिला तो किसी का माल फेंक दिया गया।"
इसी तरह एक विक्रेता ये भी कहता है कि "सड़क पर चाट-पकौड़ी, समोसा या सिगरेट आदि बेचने वाले स्थानीय विक्रेताओ से पुलिस और नगर निगम पैसा लेती है, जबकि अतिक्रमण तो वो भी कर रहे हैं। लेकिन हमें इसलिए टारगेट किया जाता है कि क्योंकि हम रिश्वत नहीं देते।"
हमने इन विक्रेताओं से ये सवाल किया कि आप लोग लखनऊ में कहां और कैसे रहते हैं? कोई परेशानी तो नहीं आती?
इन विक्रेताओं के अनुसार हज़ारों की संख्या में कश्मीरी हैं जो ड्राई-फ्रूट्स, शॉल या चादर बेचने के लिए लखनऊ आते हैं और सभी लोग एक साथ शहर के मौलवीगंज इलाके में रहते हैं, मग़र वहां भी कमरा मिलना बहुत मुश्किल होता है। विक्रेता कहते हैं, "हम हर साल कमरा लेते हैं मग़र फिर हमें ये वॉर्निंग दी जाती है कि कोई पुलिस का चक्कर नहीं होना चाहिए।"
सिर्फ़ आज नहीं, इन कश्मीरी विक्रेताओं के साथ पहले भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। दिसंबर 2019 में, डार नाम के एक शख्स जो कश्मीरी ड्राई फ्रूट व्यापारियों के एक ग्रुप में शामिल थे, उन्होंने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें परेशान किया और उन्हें लखनऊ में सड़क के किनारे अपने उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने पुलिस पर बिना कोई स्पष्टीकरण दिए उनके आधार कार्ड छीनने और उनके उत्पाद ज़ब्त करने का भी आरोप लगाया।
मार्च 2019 में, दो कश्मीरी विक्रेताओं के साथ लखनऊ के डालीगंज पुल पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया था, जहां विक्रेता सब्जियां बेचने के लिए स्टॉल लगाते थे। इस दौरान विक्रेता अब्दुल सलाम और मोहम्मद अफ़ज़ल नाइक के साथ मारपीट की गई और कथित तौर पर कश्मीरी विरोधी गालियां भी दी गई थीं। लोगों ने उन्हें "आतंकवादी" और "पत्थरबाज़" भी कहा था जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। इस घटना के बाद चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था।
हैरानी की बात ये है कि ये घटना तब हुई थी, जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कश्मीरियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे क्योंकि फरवरी 2019 में पुलवामा हमला हुआ था, जिसमें 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए थे।
इन तमाम घटनाओं का मलाल दिल में लेकर रोज़ी-रोटी के लिए दूसरे राज्यों में भटक रहे कश्मीरी विक्रेताओं के मुताबिक़ ये पूरे साल जमकर मेहनत करते हैं। फिर सर्दियों की शुरुआत में आ जाते हैं और फरवरी के आखिर तक अच्छी गुणवत्ता वाले मेवे कम दामों में लोगों के बीच पेश करते हैं। इसके बावजूद इनसे ठीक व्यवहार नहीं किया जाता।
इन विक्रेताओं में कुछ तो ऐसे हैं जिनके घर में जानकारी ही नहीं है कि वो 2000 किलोमीटर से ज़्यादा दूर आकर ड्राई-फ्रूट बेच रहे हैं।
ड्राई-फूट बेचने वाले इन कश्मीरी युवाओं का कहना है कि कश्मीर में कोई रोज़गार का साधन नहीं है, इसलिए हमें ऐसे काम करने पड़ते हैं, जिससे हमारे परिवार का पेट पलता है।
वैसे बेरोज़गारी के मामले में जम्मू-कश्मीर कहां पर खड़ा है, इसके आंकड़े केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इसी साल 2023 जून में राज्यसभा में रखे थे। राय के मुताबिक़ जम्मू-कश्मीर में बेरोज़गारी दर 18.3 प्रतिशत है। इसके बाद इसी साल 2023 के नवंबर मे जानकारी दी गई है कि वित्त वर्ष 2021-22 में जम्मू-कश्मीर की बेरोज़गारी दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई है।
हालांकि इन तमाम आंकड़ों के बावजूद, स्नातक कर चुके ये युवक अपने घरों से हज़ारों किलोमीटर दूर ड्राई-फ्रूट और चादर-शॉल जैसी चीज़ें बेचकर अपने परिवार का गुज़ारा करते हैं क्योकि इनका तर्क ये है कि इनके राज्य में रोज़गार के साधनों की बेहद कमी है, ऐसे में ज़मीनी हक़ीक़त को देखते हुए इस पर गंभीरता से विचार करने की ज़रूरत है।
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