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मुज़फ़्फ़रनगर कांड: चांद पर पहुंचे देश की टीचर बच्चों को नफ़रत के पाताल में ले जा रही

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक टीचर के द्वारा मुस्लिम बच्चे को क्लास के दूसरे बच्चों से पिटवाने के मामले में FIR दर्ज कर ली गई है, लेकिन सोशल मीडिया पर गिरफ़्तारी की मांग उठ रही है। 
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25 अगस्त, 2023 की शाम को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, महज़ 39 सेकेंड के इस वीडियो को जिसने भी देखा सिहर उठा। वीडियो में क्लास में बैठे हुए बच्चे दिखाई देते हैं, एक महिला टीचर किसी से बात करती हुई दिखती है और एक छात्र दिखाई देता है। टीचर कहती हैं कि ''मैंने तो डिक्लेयर कर दिया जितने भी मोहम्मडन बच्चे हैं… '' ...तभी एक बच्चा आता है और सज़ा में खड़े बच्चे के गाल पर एक ज़ोरदार थप्पड़ मारता है। और तभी वहां बैठे एक शख़्स के हंसने की आवाज़ आती है ( चेहरा नहीं दिख रहा ) टीचर आगे कहती है '' ऐ क्या तुम मार रहे हो इसके ज़ोर से मारो ना'' और फिर वह दूसरे बच्चों को बुलाते हुए कहती हैं '' चलो और किसका नम्बर है''? और फिर दो बच्चे उठकर आते हैं और इनमें से एक बच्चा जैसे ही सज़ा में खड़े बच्चे के मुंह पर थप्पड़ मारता है वो रोना शुरू कर देता है, तभी टीचर कहती हैं '' अबकी बार कमर पे मारो चलो...मुंह लाल हो रहा है...कमर पे मारो सारे'' और फिर दूसरा बच्चा आता है और इस बार वो बच्चे की पीठ पर ज़ोर से मारता है और बच्चा कुछ तेज़ आवाज़ में रोना शुरू कर देता है'' 

कहां का है वीडियो ? 

ये वीडियो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर के गांव खुब्बापुर के एक प्राइवेट स्कूल का है। जिसमें महिला टीचर एक मुस्लिम छात्र को क्लास के दूसरे बच्चों से पिटवाती दिख रही हैं। इस टीचर का नाम तृप्ता त्यागी बताया जाता है। पिटाई के वक़्त टीचर की तरफ से की जा रही टिप्पणी में मुसलमानों के लिए कुछ कहा जाता है हालांकि क्या कहा जाता है ये साफ नहीं हो पाता। हालांकि बाद में एक और वीडियो वायरल हुआ जिसे देखने से लगता है कि बच्चे को पहाड़ा याद न करने पर सज़ा के लिए खड़ा किया गया लेकिन सज़ा देने के दौरान मुसलमानों पर की जा रही टिप्पणी पर विवाद हो गया। क़रीब सात-आठ साल के बच्चे को उसकी पहचान की वजह से टीचर के इस सलूक पर लोगों में गुस्सा दिखा। 

वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के अलावा बीजेपी नेता वरुण गांधी और सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने ट्वीट किया। 

राहुल गांधी ने बीजेपी पर निशाना साधा 

राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि '' मासूम बच्चों के मन में भेदभाव का जहर घोलना, स्कूल जैसे पवित्र स्थान को नफ़रत का बाज़ार बनाना- एक शिक्षक देश के लिए इससे बुरा कुछ नहीं कर सकता। ये भाजपा का फैलाया वही केरोसीन है जिसने भारत के कोने-कोने में आग लगा रखी है, बच्चे भारत का भविष्य हैं-उनको नफ़रत नहीं,हम सबको मिलकर मोहब्बत सिखानी है''

''नफ़रत के खिलाफ बोलना होगा''

प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट किया और कहा कि '' हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कैसा क्लासरूम, कैसा समाज देना चाहते हैं? जहां चांद पर जाने की तकनीक की बातें हो या नफ़रत की चारदीवारी खड़ी करने वाली बातें। विकल्प एकदम स्पष्ट है। नफ़रत तरक्की की सबसे बड़ी दुश्मन है। हमें एकजुट होकर इस नफ़रत के खिलाफ बोलना होगा- अपने देश के लिए तरक्की के लिए, आने वाली पीढ़ियों के लिए''।

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वायरल वीडियो पर एक के बाद एक कई ट्वीट किए साथ ही उन्होंने बच्चे के पिता से भी फोन पर बात की। ओवैसी ने एक ट्वीट कर यूपी सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि'' योगी आदित्यनाथ के बुलडोज़र और ''ठोक दो '' का क्या हुआ''? 

मामला बढ़ता देख पुलिस ने इस मामले में टीचर तृप्ता त्यागी पर धारा 323 और 504 के तहत FIR दर्ज कर ली है। लेकिन इससे पहले बच्चे के पिता ने समझौता होने की बात कही थी, लेकिन मामले ने तूल पकड़ा तो पुलिस को FIR दर्ज करनी पड़ी। वहीं Twitter पर #ArrestTriptaTayagi,  #NehaPublicSchool ट्रेंड कर रहा है। 

टीचर की सफाई 

अब आरोपी टीचर माफी मांगते हुए कह रही हैं कि '' वीडियो के साथ छेड़छाड़ करके वायरल की गई है, इसमें जो मैंने बात कही थी वो सारी बात काट दी गई और इसमें सिर्फ एक मोहम्मडन शब्द रखा, मैंने भी एक गलती की कि बच्चे को इस तरह से बच्चों से नहीं पिटवाना चाहिए था, लेकिन मेरा इरादा ये नहीं था, क्योंकि मैं विकलांग हूं, मेरे से उठा नहीं जा रहा था, तो बच्चे को कंट्रोल करने के लिए, शिक्षा अच्छी तरह से चलाने के लिए कुछ तो कदम उठाना ही पड़ता है, तो एक दो बच्चों से मैंने लगवा दिए थे, वैसे मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था, वीडियो में छेड़छाड़ की गई है बस एक मोहम्मडन शब्द रखा गया है, मैंने बोला था जितनी भी मोहम्मडन मांए हैं, मामा के घर ना जाएं क्योंकि एग्जाम शुरू होने वाले हैं और पढ़ाई में बहुत ज़्यादा नुकसान होगा क्योंकि बच्चे एग्जाम नहीं दे पाएंगे। मैं सही नहीं मानती इस चीज को लेकिन मैं भी थोड़ी मजबूर थी, बच्चों को कंट्रोल करने के लिए, शिक्षा देने के लिए थोड़ा बहुत कदम उठाना पड़ता है, क्योंकि बच्चे के पेरेंट्स की भी डिमांड थी कि बच्चों को थोड़ा टाइट करो''। 

टीचर की सफाई बड़ी दिलचस्प है। पूछने वाले पूछ रहे हैं कि मामा के घर ना जाने की सलाह मोहम्मडन मांओं को क्यों दी जा रही है, जबकि यह समय यानी रक्षा बंधन के समय तो हिंदू मांएं बच्चों को मामा के घर ले जाती हैं।

वीडियो के वायरल होते ही बच्चे के घर पर मीडिया और अधिकारियों की भीड़ लग गई। लेकिन बच्चे के पिता ने मीडिया में साफ कर दिया कि ये कोई हिन्दू-मुस्लिम का मामला नहीं है लेकिन उनके बच्चे को जिस तरह से टॉर्चर किया गया ये भी ठीक नहीं है। 

कुछ मीडिया हाउस ने बच्चे से भी बात की जब बच्चे से पूछा गया कि उसे क्यों सज़ा दी जा रही थी तो बच्चे ने बताया कि '' मैडम ने मरवाया था, एक दो ग़लती निकल गई थी, पहाड़ा याद नहीं था'' जब बच्चे से पूछा गया कि मैडम ने क्या कहा था तो मासूम बच्चे ने जवाब दिया '' इन मोहम्मडनों को ज़ोर-ज़ोर के मारो''। 

हमने बच्चे के पिता को फोन किया तो उनकी जगह बच्चे के चाचा ने फोन उठाया और बताया कि पिता अधिकारियों से बात कर रहे हैं, हमने उनसे ही मामले और बच्चे के बारे में पूछा, उन्होंने हमें बताया कि '' बच्चा थोड़ा डरा हुआ है, ये घटना 24 अगस्त की है।'' 

बच्चे के रिश्तेदार ने बताया कि ये वीडियो उनके ही घर के लड़के ने उस वक़्त बनाया था जब वो स्कूल किसी काम से गया था। जबकि बच्चे ने घटना के बारे में घर पर आकर किसी को नहीं बताया था, वो डरा हुआ था। परिवार का मानना है कि अगर बच्चे ने पढ़ाई में कोई गलती की भी थी तो मैडम उसे ख़ुद सजा दे देती लेकिन इस तरह से बच्चे को एक घंटे तक टॉर्चर करना गलत है। 

यह एक पीड़ित बच्चे का सवाल तो है ही, उन दूसरे बच्चों का भी सोचिए जिन्हें यह टीचर किस तरह नफ़रत और सांप्रदायिकता का नशा पिला रही है, शय दे रही है।

बच्चे के रिश्तेदार ने बताया कि '' स्कूल की छुट्टी के बाद भी बच्चों ने उसे बाहर पीटा''। वहीं जब वीडियो वायरल हुआ तो परिवार टीचर के घर पहुंचा तो परिवार के मुताबिक ग़लती मानना तो दूर टीचर ने कहा कि '' ये तो स्कूल का रूल है और इसमें ग़लत क्या है'' लेकिन जब परिवार ने कहा कि ये ग़लत है तो टीचर की तरफ से कहा गया'' तुमसे जो होता है कर लो''। प्रशासन अपना काम कर रहा है और फिलहाल परिवार ने बच्चे का नाम स्कूल से कटवा लिया है। 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में संज्ञान लिया है, आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि '' उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक शिक्षिका की ओर से कक्षा में बच्चे को अन्य बच्चों से पिटवाए जाने की घटना की जानकारी मिली है। संज्ञान लेकर कार्रवाई के लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं, सभी से निवेदन है कि बच्चे का वीडियो शेयर न करें, इस तरह की घटना की जानकारी ईमेल से दें, बच्चों की पहचान उजागर कर अपराध के भागी न बनें''। 

स्कूल में मुस्लिम बच्चे के साथ ऐसे व्यवहार पर पिता ने गुज़ारिश की है कि ये मुद्दा हिन्दू-मुसलमान का नहीं है, पिता की तरफ से की गई ये बात बहुत ही समझदारी भरी बात है, देश में मुसलमानों के साथ जिस तरह की नाइंसाफी की ख़बरें आम हो चली है वैसे माहौल में मुसलमान पिता के लिए ये बोलना बहुत कुछ कहता है। जिस वक़्त हम इस रिपोर्ट को लिख रहे थे ज़ेहन में वो पिछली तमाम रिपोर्ट तैरने लगी जिनमें मुसलमानों के साथ हुई नाइंसाफी थी।  

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15 अगस्त, गुजरात 

एक मुस्लिम बच्ची अरनाज़ बानो को 10वीं में टॉप करने के बावजूद उसकी मुस्लिम पहचान की वजह से स्कूल में सम्मान से दूर रखने का आरोप लगा। स्कूल में हुए सम्मान समारोह में टॉप करने वाली अरनाज़ की बजाए दूसरे स्थान पर आए छात्र को बुलाया गया, ये देखकर पहले स्थान पर आने वाली अरनाज़ रो पड़ी। जब हमने बच्ची के पिता से बात की थी तो उन्होंने भी कहा कि '' बेटी के साथ भेदभाव हुआ है'' । 

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मुसलमानों की होती लिंचिंग, उनका आर्थिक बहिष्कार, और अब स्कूल-कॉलेज में मुसलमान बच्चों के साथ इस तरह की घटनाएं डराने वाली हैं। 

31 जुलाई, जयपुर एक्सप्रेस ट्रेन 

जयपुर-मुंबई सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ( RPF ) के कॉन्स्टेबल चेतन सिंह ने अपने सीनियर और तीन मुस्लिम पैसेंजर्स की हत्या कर दी थी। नफरत से भरे चेतन सिंह की अपने इंचार्ज टीकाराम मीणा से राजनीतिक बहस हुई और बात इतनी बढ़ गई कि उसने तीन अलग-अलग डिब्बों में जाकर मुस्लिम पहचान के आधार पर तीन लोगों की जान ले ली। और योगी-मोदी का नाम लेकर बाकायदा भाषण भी दिया।

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31 जुलाई से 1 अगस्त के बीच, गुरुग्राम 

31 जुलाई को नूंह में भड़की हिंसा का असर गुरुग्राम तक पहुंच गया और महज़ 20 साल के नायब इमाम मोहम्मद साद की बेरहमी से हत्या कर दी गई। जबकि नूंह से दूर गुरुग्राम के इस मुस्लिम युवक का हिंसा से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं था लेकिन सिर्फ नफरत ने उसकी जान ले ली। जबकि जिस दिन उसकी हत्या हुई उसी दिन दोपहर में उसे अपने घर बिहार जाने के लिए ट्रेन पकड़नी थी। 

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मस्जिदों के सामने जाकर भड़काऊ नारेबाज़ी करना, उनके आर्थिक बहिष्कार की अपील करना, शहर छोड़ने का फरमान जारी करना, धर्म संसद लगाकर उनके नरसंहार का ऐलान करना और फिर रेल, सड़क पर उनकी जान ले लेना, लिंच कर देना आख़िर इसकी क्या वजह है क्या कोई बता सकता है? 

दशकों से सूत-सूत जोड़कर समाज में बहुत ही मुलायम और नाजुक एक ताना-बाना बुना गया था, लेकिन चंद सालों की नफ़रत ने उसे तार-तार कर दिया गया। आज फिल्म 'गदर-2' देखकर निकली चहकती हुई लड़की से जब पूछा जाता है कि फिल्म में क्या अच्छा लगा तो वे कहती है ''मोहम्मडनों के चेहरे पर जो डर दिख रहा है वो कमाल लगा''।

आख़िर नफरत की इस फसल का कौन मालिक है? अपने ही मुल्क में एक मुसलमान होने का मतलब अब बदल चुका है। 

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