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चीन के ख़िलाफ़ अमेरिकी चिप वार में तेज़ी

संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबंध व्यवस्था को उच्च-तकनीकी अनुसंधान और विकास को पैसे देने के लिहाज़ से ज़रूरी मुनाफ़े की क़ीमत चुकानी पड़ेगी। इस बीच, चीन वैश्विक सेमी कंडटकर बाज़ार में अपना क़दम आगे बढ़ा रहा होगा।
chip war
फ़ोटो:साभार: https://visegradinsight.eu/

नैन्सी पेलोसी की चिढ़ाने वाले ताइवान दौरे के नतीजे के रूप में संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ने के साथ-साथ उनके बीच प्रौद्योगिकी युद्ध भी एक नया मोड़ ले रहा है। कांग्रेस के दोनों सदनों ने संयुक्त राज्य अमेरिका में चिप निर्माण को बढ़ावा देने को लेकर $280 बिलियन की योजना,यानी चिप्स एंड साइंस एक्ट को मंज़ूरी दे दी है। इस समय चिप निर्माण का 75% कारोबार पूर्वी एशिया के उन देशों में चल रहा है, जो कि ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन के आसपास केंद्रित हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका का लक्ष्य सेमी कंडक्टर उद्योग को फिर से अपने पास वापस ले आना है। अमेरिका किसी समय चिप निर्माण के क्षेत्र के बादशाह रहे इंटल जैसे अपने चिप निर्माताओं के सितारे को फिर से चमकाने की उम्मीद पाले हुए है, इंटेल की लड़ाई आईबीएम की तरह एक और कंपनी बनकर नहीं जाने की रही है।

हालांकि,यह योजना उन सेमी कंडक्टर उद्योगों को लाभ उठाने की पेशकश करती है, जिसे कुछ लोग "कॉर्पोरेट हैंडआउट्स" यानी ज़रूरतमंद कॉर्पोरेट को मुफ़्त में दी जाने वाली पेशकश कहते हैं, लेकिन इसकी अपनी पर्याप्त सीमायें भी हैं। संयुक्त राज्य में चिप निर्माण का पता लगाने के लिए  52.7 बिलियन डॉलर की सब्सिडी का लाभ उठाने वाली किसी भी कंपनी को चीन में उन्नत चिप बनाने की सुविधाओं के विस्तार या अपग्रेड करने से प्रतिबंधित किया गया है। नतीजतन, सैमसंग और एसके हाइनिक्स जैसी दो प्रमुख चिप निर्माता कंपनियां, जिन्होंने चीन में पर्याप्त निवेश किया हुआ है, उन्हें अपने निवेश से दूर हटने या सब्सिडी का लाभ न लेने के बीच चुनाव करना होगा।

और चीन भी इस बीच अपने हाथों पर हाथ रखकर बैठा हुआ नहीं था।चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका की और से अपनी उच्च-तकनीकी महत्वाकांक्षाओं पर प्रतिबंध लगाने का मानों इंतज़ार ही कर रहा था। सेमीकंडक्टर उद्योग, ख़ासकर उन्नत चिप-निर्माण उद्दोग को संघर्ष के एक अहम क्षेत्र के रूप में स्वीकार करते हुए इसने अपनी क्षमताओं को काफ़ी उन्नत कर लिया है। शंघाई स्थित चिप निर्माता SMIC ने बारह महीने पहले बाज़ार में 7nm चिप्स जारी कर दिये थे। इसम समय सिर्फ़ ताइवान के TSMC और दक्षिण कोरिया के सैमसंग 7-एनएम चिप्स के निर्माण में सफल रहे हैं। एक प्रमुख तकनीकी विश्लेषक डायलन पटेल ने लिखा है, "चीन का SMIC खुले बाज़ार में व्यावसायिक रूप से उपलब्ध चिप्स वाली एक ऐसी निर्माण प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, जो किसी भी अमेरिकी या यूरोपीय कंपनी के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा उन्नत है... सबसे उन्नत अमेरिकी या यूरोपीय फाउंड्री-उत्पादित चिप्स GlobalFoundries 12nm पर आधारित हैं।" SMIC पांचवीं सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी है।

इलेक्ट्रॉनिक चिप्स की कम्प्यूटर से जुड़ी क्षमता में आश्चर्यजनक बढ़ोत्तरी सिलिकॉन चिप में ज़्यादा से ज़्यादा घटकों को पैक करने की क्षमता से आती है। यह प्रक्रिया मूर के उस सिद्धांत में निहित है, जो पांच दशकों से चलन में है। चिप घटकों के बढ़े हुए घनत्व का एक पैमाना इसके सिलिकॉन के भीतर बनाये गये ट्रांजिस्टर के आकार में कमी होता है। इसलिए, 14nm, 7nm और 5nm घटकों के बहुत छोटा रूप देने की प्रक्रिया की सीमा को दिखाते हैं। वे इस चिप पर उपकरणों के घनत्व का एक माप भी हैं,यानी कि इसके घटकों की संख्या जितनी ज़्यादा होगी, उतनी ही ज़्यादा इनकी कंप्यूटिंग शक्ति भी बढ़ती है।

चिप बनाने में एक अहम प्रक्रिया लिथोग्राफ़ी है,यह पराबैंगनी (UV) प्रकाश का इस्तेमाल करके सिलिकॉन वेफ़र्स यानी पतली परत पर पैटर्न बनाती है। लिथोग्राफ़िक मशीन जितनी पतली रेखा बनाती है, उतने ही ज़्यादा डिवाइस किसी सिलिकॉन चिप पैक कर सकते हैं।

मैंने पहले भी चिप निर्माण और उन डिवाइस, ख़ासकर ASML से एक्सट्रीम यूवी या ईयूवी जैसी उन मशीनों की अहमियत के बारे में लिखा है, जो 14nm चिप्स से आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी हैं। ऐसा नहीं है कि पुरानी डीप अल्ट्रावायलेट लिथोग्राफ़ी या डीयूवी मशीनें उच्च घनत्व नहीं बना सकती हैं। लेकिन, 10nm या 7nm चिप्स बनाने वाली DUV मशीन की उत्पादकता EUV तकनीक के इस्तेमाल के मुक़ाबले कम है। EUV मशीनों के बिना 5nm या 3nm पर जाना मुमकिन नहीं है।

नीदरलैंड स्थित कंपनी- ASML, ईयूवी मशीनों का एकमात्र निर्माता है। इसकी ईयूवी मशीनों में प्रकाश स्रोत -जो चिप्स पर पैटर्न बनाते हैं - एएसएमएल के स्वामित्व वाली कंपनी ही बनाती है, लेकिन यह कंपनी अमेरिकी है। तकनीकी रूप से वह कंपनी संयुक्त राज्य के नियमों के अंतर्गत आती है। हालांकि, ASML अपने चीन के बाज़ार का एक हिस्सा खोने से काफ़ी नाख़ुश थी, उसने स्वीकार किया है कि वह चीन को EUV मशीनों की आपूर्ति नहीं करेगी। इस समय भले ही वह चीन को DUV मशीनों की आपूर्ति करना जारी रख सकती है, लेकिन भविष्य में इसमें बदलाव भी हो सकता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने इसमें अपनी हिस्सेदारी इस विचार के साथ ख़रीदी थी कि ईयूवी मशीनों के बिना चीनी निर्माता 14nm से नीचे वाले चिप्स का उत्पादन कर पाने में नाकाम होंगे। SMIC 7nm चिप इस धारणा को बहुत झटका देती है।

DUV उपकरण किसी चिप पर उच्च स्तर के उपकरणों को पैक कर सकते हैं, लेकिन परिणामों के लिए कई और पेंचीदे और कहीं ज़्यादा जटिल संचालन की ज़रूरत होती है। इसी तरह, 28nm चिप्स के लिए बनी लिथोग्राफ़िक मशीनें भी 14nm चिप्स का उत्पादन कर सकती हैं। कुछ समय से Intel और दूसरी कंपनियां 10nm या 7nm चिप्स बनाने के लिए DUV तकनीक का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, SMIC ऐसी पहली कंपनी है, जिसने 7nm चिप्स को सफलतापूर्वक बनाने के लिए DUV मशीनों का इस्तेमाल किया है।

यह SMIC को ताइवान के TSMC या दक्षिण कोरिया के सैमसंग जैसी उन कंपनियों का उसी परिधि में नहीं रखता है, जो कि EUV तकनीक का इस्तेमाल करते हैं। फिर भी, यह SMIC को बाक़ी पैक से आगे रखता है। यह चीन को उन उत्पादों के लिए बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने की इजाज़त देता है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंधों के तहत Huawei और SMIC सहित अपनी सैकड़ों प्रमुख कंपनियों के बावजूद 7nm चिप्स को जारी रखे हुए हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी व्यवस्था की व्याख्या यह है कि अगर कोई कंपनी इसकी तकनीक का इस्तेमाल करती है, तो उसे अमेरिकी विदेशी प्रत्यक्ष उत्पाद नियम के तहत इसकी प्रतिबंध व्यवस्था का पालन करना चाहिए। यही वजह है कि ASML मशीनें संयुक्त राज्य की इसी प्रतिबंध व्यवस्था के तहत आ गयी हैं, जिस तरह उन मशीनों का उपयोग करने वाले निर्मित उत्पाद हैं। इस प्रतिबंध व्यवस्था के चलते TSMC या Samsung-जो कि ASML की EUV मशीनों का इस्तेमाल करते हैं-चीन में संस्थाओं को किसी भी उन्नत चिप्स का निर्यात नहीं कर सकते।

यही इसकी कमी है कि SMIC की 7nm चिप सिर्फ़ TSMC चिप की एक नक़ल है और इसलिए यह कोई बड़ी प्रगति नहीं है। यह वास्तव में क्रिप्टोक्यूरेंसी खनन वाला एक सरल चिप है, लेकिन TechInsights के मुताबिक़, इसकी अहमियत यह है कि यह "वास्तविक 7nm प्रक्रिया" की ओर एक क़दम है।

दूसरी तरफ़, चीन EUV लिथोग्राफ़िक मशीनों के बिना 5nm या 3nm तकनीक पर नहीं जा सकता। इस समय यह ASML से DUV मशीनों का आयात कर सकता है। दो जापानी कंपनियां-कैनन और निकॉन भी डीयूवी मशीनों का निर्माण करती हैं।

लेकिन,सवाल है कि चीन ख़ुद इस लिथोग्राफ़िक मशीन बनाने के लिहाज़ से कहां है ? इसमें कुछ समय के लिए तो चिप्स बनाने वाली मशीनें बनाने की स्वदेशी क्षमता थी। शंघाई माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण या एसएमईई अग्रणी निर्माता है। SMEE ने ऐलान किया है कि वह 2022 में अपनी पहली 28nm DUV मशीन-जिसका उपयोग 14nm चिप्स बनाने के लिए किया जा सकता है- जारी करेगा। जैसा कि SMIC ने दिखा दिया है कि यह मशीन 7nm चिप्स बना सकती है। अपनी डीयूवी मशीन की आपूर्ति की तारीख़ की एसएमईई की ओर से अभी तक कोई घोषणा नहीं की गयी है, लेकिन बड़े पैमाने पर स्थानीय चिप निर्माण इकाइयों को स्थापित करने की चीन की क्षमता के लिए यह अहम होगा।

सेमीकंडक्टर उद्योग इस समय एक चौराहे पर खड़ा है। वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के सामने प्रतिस्पर्धी ब्लॉकों में विभाजित हो जाने का ख़तरा है,एक ब्लकॉक संयुक्त राज्य अमेरिका की अगुवाई में काम कर रहा है और दूसरे ब्लॉक की नुमाइंदगी चीन कर रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सेमीकंडक्टर उद्योग का मानना है कि इस तरह से ब्लॉकों में बंटे होने की स्थिति में यह देश पांच या दस सालों में कई प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में अपनी प्रमुख बढ़त खो देगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि इस उद्योग के मुनाफ़े का एक बड़ा हिस्सा चीनी बिक्री से होता है और यही वजह है कि आर एंड डी में होने वाले निवेश का बड़ा हिस्सा इसी मुनाफ़े से वित्तपोषित होता है। उस बाज़ार को खो देने का मतलब चीन के लिए भले ही एक अस्थायी झटका हो,लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अग्रणी स्थिति में बने रहने के लिहाज़ से स्थायी नुक़सान वाला साबित होगा। यही वजह है कि ASML के सीईओ पीटर वेनिंक ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की ओर से इस उद्योग पर थोपी गयी निर्यात प्रतिबंध व्यवस्था काम नहीं कर पायेगी।

चिप बाज़र का बड़ा हिस्सा ज़्यादा उन्नत चिप्स वाला नहीं है। 2020 के आख़िर में प्रकाशित बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप-सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (BCG-SIA) की रिपोर्ट के मुताबिक़, 10nm से कम घनत्व वाले चिप्स बाज़ार का महज़ 2% हैं, हालांकि वे नवीनतम लैपटॉप और मोबाइल फ़ोन में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होते हैं। बाज़ार का बड़ा हिस्सा उस चिप्स का है, जिसके लिए चीन के पास पहले से ही तकनीक है या वह पकड़ बना सकता है,इसका श्रेय आरएंडडी और चिप निर्माण इकाइयों से लेकर डीयूवी मशीनों तक पूरी आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण, दोनों ही में निरंतर निवेश को जाता है।

BCG-SIA की रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन से "मुक़ाबला" करने के लिहाज़ से पश्चिम के लिए स्मार्ट तरीक़ा तो यही होगा कि वह सैन्य तकनीक पर प्रतिबंधों को सीमित करे और बाक़ी से होने वाले मुनाफ़े से अपनी कंपनियों के आरएंडडी ख़र्च को वित्तपोषित करे। इन मुनाफ़े के बिना अमेरिकी कंपनियां अपने भविष्य के विकास के लिहाज़ से वित्त पोषिय नहीं कर पायेंगी।

लेकिन, संयुक्त राज्य अमेरिका में "राजनीति नियंत्रण" और द्विदलीय युद्धोन्माद तैयार किया जा रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका मनुहार और दुत्कार के नज़रिये को पसंद करता है।जहां वह एक तरफ़ स्थानीय चिप बनाने में निवेश के लिए मनुहार करता है,वहीं उत्पादन की मशीनें लगाने वाली किसी भी कंपनी के लिए दुत्कार की नीति अपनाता है। कोविड -19 महामारी ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को क्षतिग्रस्त कर दिया था, जिससे 2021 में चिप की कमी हो गयी थी, ऐसे में आने वाले दिनों में आपूर्ति श्रृंखला को जो झटका लगेगा,वह संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिबंध व्यवस्था का नतीजा होगा। संयुक्त राज्य की रणनीति की दूसरी कमज़ोरी यह यक़ीन है कि व्यापार युद्ध को केवल तकनीकी बढ़त वाले क्षेत्रों तक ही सीमित रखा जा सकता है। लेकिन,यह धारणा चीन से अलग तरह की प्रतिक्रियाओं की संभावना को खुला छोड़ देती है। "क्या आप हमेशा सुहावने दौर में रह सकते हैं", माना जाता है कि यह वाक्य एक पारंपरिक चीनी बद्दुआ की तरह है। ऐसा लगता है कि दुनिया ऐसे चरण में दाखिल हो रही है, जिसकी शुरुआत यूएस-चीन चिप वार से होती है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

United States Ratchets up Chip War Against China

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