लखीमपुर खीरी कांड के बाद हरियाणा में प्रदर्शनकारी महिला किसानों को ट्रक ने कुचला, तीन की मौत
किसान आंदोलन से जुड़ी हरियाणा के बहादुरगढ़ से एक दिल-दहलाने वाली घटना सामने आई है। यहां आज यानी गुरुवार, 28 अक्टूबर की सुबह तकरीबन 6 बजे एक ट्रक ने महिला किसानों को कुचल दिया। हादसे में 3 बुजुर्ग महिलाओं की मौत हो गई जबकि तीन की हालत गंभीर है। खबरों के मुताबिक ये महिलाएं आंदोलन में हिस्सा लेकर घर जा रही थीं तभी तेज रफ्तार ट्रक ने डिवाइडर पर चढ़कर महिला किसानों को कुचल दिया।
बता दें कि महज़ एक महीने के भीतर लखीमपुर खीरी की घटना के बाद ये दूसरा किसानों की हत्या से जुड़ा मामला सामने आया है। इससे पहले लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया क्षेत्र में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। चार किसानों की मौत कथित रूप से बीजेपी कार्यकर्ताओं को लेकर जा रहे वाहनों से कुचल दिए जाने की वजह से हुई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा भी दर्ज हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक महिला किसानों के साथ हुई ये दुर्घटना बहादुरगढ़ के झज्जर रोड फ्लाईओवर की है। खबरों की मानें, तो ये महिलाएं यहां किसान आंदोलन में हिस्सा लेने आई थीं। किसान रोटेशन के तहत आंदोलन में शामिल होते हैं और इसी के तहत ये महिला आंदोलनकारी अपनी बारी के तहत आंदोलन में शामिल होने के बाद वापस घर जा रही थीं इन सभी को ऑटो में बैठकर रेलवे स्टेशन जाना था। ऑटो के इंतजार में जब ये महिलाएं डिवाइडर पर बैठी हुई थीं। उसी समय एक तेज़ रफ्तार से आते बेकाबू ट्रक ने उन्हें कुचल दिया। 2 महिलाओं की मौत मौके पर ही हो गई जबकि एक महिला ने हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया।
ये सभी महिलाएं पंजाब के मानसा जिले की रहने वाली थीं और लगभग 60 के आसपस के उम्र की थीं। मृतक महिलाओं के नाम छिंदर कौर, अमरजीत कौर और गुरमेल कौर बताया जा रहा है। फिलहाल घायलों को बहादुरगढ़ से पीजीआईएमसी रोहतक रेफर किया गया है और पुलिस मामले की जांच कर रही है। खबर लिखे जाने तक ट्रक चालक फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।
आंदोलन को बदनाम करने की साजिश
मालूम हो कि इससे पहले, दिल्ली में किसानों पर बुधवार 27 अक्टूबर की शाम लाठीचार्ज की खबर वायरल हुई। हालांकि इसे लेकर अलग-अलग दावे भी सामने आए। खबरें आईं कि सिंघु बॉर्डर की तरफ जा रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया है। जबकि किसान यूनियन का कहना है कि जिन पर लाठीचार्ज हुआ, वो किसान नहीं हैं। साथ ही ये भी कहा कि उनका किसान आंदोलन से कोई लेनादेना नहीं है। किसान आंदोलन से जुड़े नेताओं ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया।
किसान नेता दर्शनपाल ने फेसबुक पर बयान जारी करके कहा, “हिंद किसान मजदूर यूनियन के कुछ लोग उत्तराखंड और यूपी से कुछ गाड़ियों में सवार होकर सिंघु बॉर्डर आ रहे थे। उन्हें पुलिस ने रास्ते में रोका, वो लखबीर सिंह के परिवार के साथ सिंघु बॉर्डर पर आकर हवन करना चाहते थे। जो संगठन इस काम को करना चाहता है, वो बीजेपी-RSS से जुड़ा है। कुछ मीडिया संगठन कह रहे हैं कि किसानों पर लाठीचार्ज हुआ है। ये बात गलत है कि ये लोग किसान हैं। ये संगठन किसानों से जुड़ा हुआ नहीं है। मैं पुलिस से मांग करता हूं कि इनके खिलाफ एक्शन ले। ये लोग किसान आंदोलन और बॉर्डर पर माहौल खराब करना चाहते हैं। मैं किसानों से मांग करता हूं कि वो भारी संख्या में बॉर्डर की तरफ आएं।”
700 से ज्यादा किसानों की मौत, लेकिन केंद्र को कोई फर्क नहीं!
गौरतलब है कि बीते करीब एक साल से देश के किसान विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान किसानों ने कड़कड़ाती सर्दियों के साथ बारिश और लू की थपेड़ों का सामना करने के साथ ही तमाम अवरोधों, दमन, कुचक्र और प्रोपेगेंडा के ख़िलाफ़ भी हुंकार भरी है। किसान आंदोलन में अबतक 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है, बावजूद इसके केंद्र सरकार ने विवादित कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया है।
सरकार को कई बार प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए मुश्किलें पैदा करते देखा गया है तो वहीं कई बार किसान यूनियनों ने केंद्र सरकार पर प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने का आरोप भी लगाया है। जाहिर है आज किसानों के लिए सरकारी नीतियां ही एकमात्र चुनौती नहीं हैं, बल्कि उनके इस आंदोलन को खत्म करने की मंशा के साथ चलाए जा रहे प्रोपेगेंडा के खिलाफ भी किसान संघर्षरत हैं।
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