गजब की रियायती किराया योजना, एसी ट्रेन के टिकटों की कीमत 25 फीसदी कम हो जाएगी मगर...
दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के जबलपुर से रानी कमलापति आने में आठ दिन में से मात्र चार और वापसी में एक बार बर्थ ऑक्यूपेंसी 50% रही है। इंदौर—भोपाल वंदे भारत को भी पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे है। अब रेलवे बोर्ड ने समीक्षा कर किराया कम करने को कहा है।
हाल ही भोपाल से शुरू हुईं दो वंदे भारत नई ट्रेनों को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं। इसमें वंदे भारत का ज्यादा किराया बड़ी वजह मानी जा रही है। इसलिए रेलवे बोर्ड के दिशा—निर्देशों के अनुसार जबलपुर से भोपाल के रानी कमलापति (आरकेएमपी) रेलवे स्टेशन तक और इंदौर से भोपाल रेलवे स्टेशन तक चलने वाली वंदे भारत ट्रेन का किराया कम होना तय है। रेलवे बोर्ड ने पिछले 30 दिनों में ऑक्यूपेंसी स्तर यानी यात्रियों की संख्या को देखकर विभिन्न वातानुकूलित ट्रेनों की ऐसी चेयर कार और एक्जीक्यूटिव श्रेणी में किराया छूट योजना शुरू की है। इसमें मूल किराए में अधिकतम 25 प्रतिशत तक छूट दी जाएगी। नया किराया तय करने का जिम्मा रेलवे बोर्ड ने जोनल रेलवे को सौंप दिया है। हालांकि, भोपाल से होकर चलने वाली इन दोनों वंदे भारत में ट्रेन का किराया कब से कम होगा। इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
रेलवे बोर्ड ने ट्रेनों के पिछले 30 दिनों के दौरान 50 प्रतिशत से कम भरी सीटों 'ऑक्यूपेंसी लेवल' को ध्यान में रखकर तय करने को कहा है। ये दोनों वंदे भारत ट्रेन उद्घाटन के बाद 28 जून से प्रारंभ हुई हैं। ऐसे में इन ट्रेनों को अभी 11 दिन ही हुए हैं। ऐसे में रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि जुलाई माह के अंत तक ही किराए को लेकर कोई निर्णय होगा। हालांकि, इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने की बात है।
जबलपुर से आने वाले यात्री ज्यादा
जबलपुर से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन आने वाली वंदे भारत ट्रेन में 28 जून से 6 जुलाई तक 8 दिन में चार दिन बर्थ ऑक्यूपेंसी लेवल यानी यात्री संख्या 50 प्रतिशत से अधिक रही। जबकि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन से जबलपुर जाने वाली ट्रेन में सिर्फ एक दिन बर्थ ऑक्यूपेंसी 50 प्रतिशत से अधिक रही। इससे साफ है कि दोनों तरफ से ट्रेन लगभग आधी खाली चल रही है। बता दें, दोनों शहरों के बीच जबलपुर से आने पर ऐसी चेयर कार का किराया 955 और एग्जीक्यूटिव चेयर कार का किराया 1790 रुपये है। वहीं, भोपाल से जाने पर एसी चेयर कार का किराया 1055 रुपये और एग्जीक्यूटिव चेयर का कार का किराया 1880 रुपये है।
मुख्यालय को भेजी किराए की तुलनात्मक रिपोर्ट
भोपाल और जबलपुर मंडल की तरफ से वंदे भारत ट्रेन में बर्थ ऑक्यूपेंसी कम होने पर किराए को लेकर मुख्यालय ने रिपोर्ट मांगी थी। अधिकारियों ने ओवरनाइट वॉल्वो बस की स्लीपर सीट का किराया, सड़क मार्ग से टैक्सी से लगने आने वाला किराया और रेलवे की दूसरी एसी कोच की गाड़ियों के किराए की तुलनात्मक रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय को भेजी है। इसमें भोपाल से जबलपुर तक बस की वॉल्वो बस की स्लीपर बर्थ का किराया एक हजार रुपये और दोनों ही शहर के लिए आने-जाने में टैक्सी का खर्चा करीब 6500 रुपये समेत रेल के एसी कोच के किराए की तुलनात्मक रिपोर्ट बनाकर मुख्यालय भेजी है।
आरकेएमपी से जबलपुर जाने वाली वंदे भारत में सीट ऑक्यूपेंसी प्रतिशत
28 जून- 38.30%
29 जून- 49.43%
30 जून- 60.00%
1 जुलाई- 40.94%
2 जुलाई- 45.28%
3 जुलाई-37.55%
5 जुलाई-39.25%
6 जुलाई- 34.72%
जबलपुर से आरकेएमपी आने वाली वंदे भारत में सीट ऑक्यूपेंसी प्रतिशत
28 जून- 40.38%
29 जून- 67.17%
30 जून- 50.19%
1 जुलाई- 39.25%
2 जुलाई- 57.36%
3 जुलाई-56.42%
5 जुलाई-41.13%
6 जुलाई- 37.17%
जून में वंदे भारत में केवल इतनी सीटें हुईं बुक
जून में भोपाल-जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 29 प्रतिशत सीट ही भरी हुई थीं। इंदौर-भोपाल वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 21% ऑक्यूपेंसी रही। नागपुर-बिलासपुर वंदे भारत एक्सप्रेस की करीब 55 प्रतिशत सीटें ही फुल हो पा रही हैं। सबसे ज्यादा कासरगोड-त्रिवेन्द्रम वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में यात्री सफर कर रहे हैं। देश भर में अब तक 25 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जा चुकी हैं। टॉप ऑक्यूपेंसी वाली वंदे भारत ट्रेनों में कासरगोड से त्रिवेन्द्रम (183%), त्रिवेन्द्रम से कासरगोड (176%), गांधीनगर-मुंबई सेंट्रल (134%) शामिल हैं।
स्पेशल ट्रेनों पर लागू नहीं होगी योजना
अब रेलवे के आदेशानुसार, रियायती किराया तत्काल लागू होगा, लेकिन पहले से सीट बुक करा चुके यात्रियों को किराया नहीं लौटाया जाएगा। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि छुट्टियों या त्योहारों के मौसम में चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों पर यह योजना लागू नहीं होगी।
*क्या है रियायती किराया योजना, कैसे एसी ट्रेन के टिकटों की कीमत 25 फीसदी हो जाएगी कम*
ट्रेनों में सीटों का पूरा उपयोग करने के उद्देश्य से रियायती किराया योजना लाई गई है। रेलवे बोर्ड ने ऐलान किया है कि वंदे भारत सहित सभी ट्रेनों के एसी चेयर कार और एग्जीक्यूटिव क्लास के किराए में कटौती की जाएगी।
सीटों का होगा पूरा उपयोग
ट्रेनों में सीटों का पूरा उपयोग करने के उद्देश्य से यह योजना लाई गई है। इसके लिए जोनल रेलवे को अधिकार दे दिए गए हैं। किराए में यात्रियों की संख्या के आधार पर कटौती की जाएगी। रियायती दरें केवल उन ट्रेनों के किराए पर लागू होंगी, जिनमें पिछले 30 दिनों के दौरान 50 प्रतिशत सीटें ही भर पाई थीं। इनमें वंदे भारत, अनुभूति और विस्टाडोम बोगियों वाली ट्रेनें भी शामिल हैं। ट्रेनों का किराया कॉम्पिटिटिव मोड ऑफ ट्रांसपोर्ट पर भी निर्भर करेगा।
बेसिक फेयर में ही मिलेगी छूट
रेलवे बोर्ड ने कहा कि किराए में अधिकतम 25 प्रतिशत की छूट मूल किराए पर मिलेगी। इसके अलावा अन्य शुल्क जैसे आरक्षण शुल्क, सुपर फास्ट सरचार्ज, जीएसटी आदि ये सब वर्तमान की तरह ही लिए जाएंगें। खाली सीटों के आधार पर किसी या सभी श्रेणियों में यह छूट दी जा सकती है। छूट यात्रा के प्रारंभिक चरण, यात्रा के अंतिम चरण, मध्यवर्ती सेक्शनों या यात्रा की शुरुआत से आखिर तक के लिए प्रदान की जा सकती है। बशर्ते कि उस चरण/सेक्शन/प्रारंभ से अंत तक, जैसा भी मामला हो, के दौरान ऑक्यूपेंसी 50 फीसदी से कम हो।
योजना की नियमित की जाएगी समीक्षा
किराए में छूट शुरुआत में ट्रेन के आरंभिक स्टेशन वाले जोन के पीसीसीएम की ओर से तय की गई अवधि के लिए लागू की जाएगी। यह अधिकतम 6 महीने के लिए होगी। इस योजना में आगे की समीक्षा नियमित रूप से की जाएगी और ऑक्यूपेंसी के आधार पर छूट को संशोधित/विस्तारित/वापस लिया जा सकता है। रेलवे पास/रियायती वाउचर/विधायक/पूर्व विधायक कूपन/वारंट/सांसद/पूर्व सांसद/स्वतंत्रता सेनानी आदि पर पीटीओ/किराए में अंतर पर टिकट मूल श्रेणीवार किराए पर बुक किए जाएंगे, न कि रियायती किराए पर।
...तत्काल कोटा निर्धारित नहीं किया जाएगा
यदि यात्रा के प्रारंभ से अंत तक छूट प्रदान की जाती है तो ऐसी ट्रेनों में तय अवधि के लिए तत्काल कोटा निर्धारित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, यदि ट्रेन की आंशिक यात्रा के लिए छूट प्रदान की जाती है, तो यात्रा के उस हिस्से के लिए तत्काल कोटा प्रदान नहीं किया जा सकता है, जहां छूट दी गई है। पहला चार्ट तैयार हो जाने तक और वर्तमान बुकिंग के दौरान बुक किए गए टिकटों पर ही छूट दी जाएगी। टीटीई की ओर से रेल पर चढ़ जाने पर भी छूट दी जा सकती है। लेकिन यह योजना स्पेशल ट्रेनों पर लागू नहीं होगी।
सीट बुक करा चुके यात्रियों को वापस नहीं होगा किराया
रेलवे के आदेशानुसार रियायती किराया तत्काल लागू होगा, लेकिन पहले से सीट बुक करा चुके यात्रियों को किराया नहीं लौटाया जाएगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि छुट्टियों या त्योहारों के मौसम में चलाई जाने वाली विशेष ट्रेनों पर यह योजना लागू नहीं होगी।
ईस्टर्न रेलवे के रिटायर्ड जीएम ललित त्रिवेदी के अनुसार, ट्रेनों में किरायों में जो कमी हुई है, वह सभी ट्रेनों में नहीं हुई है। उन ट्रेनों के किराये कम हुए हैं, जिनमें कि सीटें भर नहीं पा रही थीं। उन ट्रेनों में रेलवे ने जो कीमत रखी थी उसको पैसेंजर देने को तैयार नहीं था। उसके पास दूसरे भी माध्यम रहते हैं, दूसरी ट्रेनें भी रहती हैं। इसलिए ये फैसला लिया गया कि थोड़ा किराया कम करने से जो पैसेंजर वर्ग सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं कर रहा है वे वापस इसमें आ सकें।
पहले इन्हें मिलती थी छूट, कोविड के बाद से बंद हैं
भारतीय रेलवे की और से वरिष्ठ नागरिकों और खिलाड़ियों, पत्रकारों, दिव्यांगों और असाध्य बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों सहित कई श्रेणी के यात्रियों को किराए में छूट मिलती थी। हालांकि ये रियायतें कोरोना काल महामारी के दौरान ख़त्म कर दिया था। इसे फिर से लागू करने को लेकर असमंजस है।
रियायती टिकट से पड़ रहा बोझ
लोकसभा में रेलमंत्री से सवाल पूछा गया था कि सीनियर सिटीजन के लिए फिर से रियायती रेल सफर की शुरुआत कब से सरकार करने जा रही है। रेल मंत्री ने लिखित में संसद में अपने जवाब में कहा था कि कोरोना महामारी के चलते दो सालों से पैसेंजर सर्विस से होने वाले आय में काफी कमी आई है और 2019-20 से अभी भी कम है। इससे रेलवे के वित्तीय सेहत पर असर पड़ा है। रेलमंत्री ने कहा कि रेल कंसेशन बहाल करने से रेलवे के वित्तीय सेहत पर असर पड़ेगा इसलिए सीनियर सिटीजन समेत सभी कैटगरी के लोगों के लिए रियायती रेल टिकट सेवा बहाल किया जाना संभव नहीं है। हालांकि रेल मंत्रालय सूत्रों ने कहा कि, "रेल मंत्रालय इस बारे में विचार कर रहा हैं। रेल यात्रा अब पूरी तरह से सामान्य तौर पर पटरी पर आ गई है। आपको बता दें कि रियायतों को अब तक शुरू नहीं करने पर सरकार को काफी आलोचनाओ का सामना करना पड़ रहा है।
भाजपा सांसद ने उठाये थे सवाल
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी वरिष्ठ नागरिकों को टिकटों पर दी जाने वाली रियायत खत्म करने के फैसले पर सवाल उठाए थे। वरुण गांधी ने पूछा था कि जब सांसदों को रेल किराए पर सब्सिडी मिल रही है, तो इस राहत को 'बोझ' के रूप में क्यों देखा जाता है। लेकिन जवाब वही वित्तीय सेहत का।
साभार : सबरंग
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