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माली में सेना की एक और तख़्तापलट की कोशिश, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री गिरफ़्तार

सैन्य-प्रभुत्व वाली ट्रांजिशनल सरकार में मामूली फेरबदल के बाद ये गिरफ़्तारियां हुईं। फेरबदल की कार्रवाई में दो सैन्य प्रतिनिधियों को हटा दिया गया था।
माली में सेना की एक और तख़्तापलट की कोशिश, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री गिरफ़्तार

तत्कालीन राष्ट्रपति बाउबाकर कीटा को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने के केवल नौ महीने बाद ही माली में सेना ने सोमवार 24 मई को राजधानी बमाको में अपने काटी शिविर में ट्रांजिशनल सरकार के प्रमुखों को गिरफ्तार कर लिया। ये गिरफ्तारी कथित तौर पर इस दिन सुबह में मामूली फेरबदल के बाद हुई जिसमें सैन्य प्रभुत्व वाली सरकार से दो सैन्य प्रतिनिधियों को हटा दिया गया।

खबरों के अनुसार, तख्तापलट के प्रयास में ट्रांजिशनल सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति बाह नदाव और प्रधानमंत्री मोक्टर ओउने को रक्षा मंत्री सौलेमाने डौकोर के साथ कटी ले जाया गया और वहीं रखा गया।

यूनाइटेड नेशन्स के साथ साथ इकोनॉमिक कम्यूनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीका (ECOWAS) और अफ्रीकन यूनियन ने एक संयुक्त बयान जारी कर नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की है। बयान में यह भी कहा गया है कि "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय जबरन इस्तीफे सहित दबाव के किसी भी कार्य को अग्रिम रूप से खारिज करता है"।

पिछले साल अगस्त में राष्ट्रपति बाउबाकर कीटी को काटी ले जाया गया था और देश में फ्रांसीसी सेना की मौजूदगी के खिलाफ एक महीने के लंबे विरोध के बाद इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था। सितंबर में अफ्रीकन यूनियन और अन्य अंतरराष्ट्रीय समूहों द्वारा प्रतिबंधों की धमकी जारी किए जाने के बाद एक नई ट्रांजिशनल सरकार का गठन किया गया था। नई ट्रांजिशनल सरकार में नागरिक राजनीतिक समूहों और सेना दोनों के प्रतिनिधि थे और इसे नए चुनाव कराने से पहले 18 महीने तक रहना था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल अगस्त में तख्तापलट के नेता रहे मौजूदा उप राष्ट्रपति कर्नल असिमी गोइता की मौजूदा संकट में अहम भूमिका है। ट्रांजिशनल सरकार से हटाए गए दो सैन्य प्रतिनिधि साडियो कामारा और कर्नल मोडिबो कोने पिछले साल असिमी के साथ तख्तापलट का हिस्सा थे। वे क्रमशः रक्षा और सुरक्षा विभागों को संभाल रहे थे।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद राजधानी बामाको और माली के अन्य प्रमुख शहरों और कस्बों में शांति रही।

एक पश्चिम अफ्रीकी देश और पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेश माली का 1960 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सैन्य तख्तापलट का एक लंबा इतिहास रहा है।

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