पटना : 9 सूत्री मांगों को लेकर 3 अगस्त को आशा कार्यकर्ताओं का महाजुटान
बिहार की राजधानी पटना में आशा कार्यकर्ताओं का 9 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 22 दिनों अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी है। वे मांग माने जाने तक इसके लिए अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक राज्य सरकार हमारी मांगें मान नहीं लेती है तब तक ये हड़ताल जारी रहेगी। आशा संयुक्त संघर्ष मंच के आह्वान पर 9सूत्री मांगों को लेकर आशा कार्यकर्ता हड़ताल पर हैं।
बता दें कि आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर आगामी 3 अगस्त को राजधानी पटना के गर्दनीबाग में महाजुटान का ऐलान कर दिया है। इस महाजुटान में राज्य भर की आशा कार्यकर्ता शामिल होंगी।
आशा संयुक्त संघर्ष मंच की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ गोपगुट की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने आगे कहा कि आशाओं के कार्यों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहा है और पटना उच्च न्यायालय ने भी तारीफ की है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने दो राउंड की वार्ता में मासिक मानदेय और न्यूनतम रिटायरमेंट बेनिफिट देने से मना कर दिया है जबकि कई राज्यों में सम्मानजनक मासिक मानदेय के साथ 1लाख का रिटायरमेंट पैकेज और पेंशन मिलता है।
आंदोलन की नेत्री, महासंघ गोप गुट से संबद्ध बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ की अध्यक्ष शशि यादव ने कहा कि तमाम तरह के दमन को झेलते हुए आशाएं शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा, परिवार के साथ कई दिनों तक वे सत्याग्रह पर रही हैं। भीषण गर्मी और उमस में दर्जनों आशाएं बीमार पड़ी हैं लेकिन सरकार का रुख दमनात्मक है। उन्होंने कहा कि 'मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। 18महीने के पिछला बकाया में एक महीना की राशि 10 करोड़ देने की बात कहकर वे हड़ताल की मुख्य मांगें को दरकिनार करना चाहते हैं। आशाएं सजग हैं, गुमराह करने का खेल नहीं चलेगा।'
संयुक्त संघर्ष मंच की ओर से कहा गया कि महागठबंधन के घोषणापत्र में ये मांगें शामिल थीं और उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री ने पारितोषिक की जगह मासिक मानदेय करने और सम्मानजनक राशि देने की घोषणा की थी। आशा व आशा फैसिलिटेटर की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक मानने और हड़ताल को समाप्त कराने की जगह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन दमन अभियान चला रहे हैं।साथ ही मंच ने कहा कि आशाओं को किस राज्य में क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं, इसे हमने भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग से विधिवत प्राप्त करके हड़ताल-पूर्व अपनी मांगों के साथ सरकार को दे रखा है।
संयुक्त संघर्ष मंच के नेता विश्वनाथ सिंह ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह बिहार सरकार को सुविधाएं आशाओं को देनी होगी। उन्होंने कहा कि आशाओं की मेहनत से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में गुणात्मक सुधार हुआ है लेकिन बिहार सरकार अन्य राज्यों में मिल रही सुविधाओं को देने से भाग रही है। हमारी मांग है कि केरल, कर्नाटक, आंध्र, एमपी, ओडिशा, राजस्थान आदि किसी भी राज्य को चुन लीजिए वो सुविधा दीजिए, हम मान जायेंगे।
महासंघ गोप गुट के अध्यक्ष रामबली प्रसाद ने कहा कि सरकार का महिला श्रम और आशाओं के कठिन कठोर कामों के प्रति नजरिया असंवेदनशील है।
मंच ने बयान में कहा कि भूखे पेट अब और काम नहीं होगा। साथ ही पारितोषिक नहीं 10 हजार रुपये मासिक मानदेय देना होगा, रिटायरमेंट के बाद हम खाली हाथ घर नहीं लौटेंगे नारों के साथ हजारों आशाएं व आशा फैसिलिटेटर 3अगस्त को पटना पहुंच रही हैं। गर्दनीबाग के महाजुटान से हजारों महिलाएं अपनी मांगों को लेकर बिहार की जनता और सरकार से फरियाद करेंगी।
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