बलात्कार और बलात्कार की संस्कृति के ख़िलाफ़ छात्र, युवा व महिला संगठनों का प्रदर्शन
दिल्ली: हैदराबाद में पशु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या के मामले से देश भर में नाराजगी दिख रही है। 2 दिंसबर को दिल्ली में भी महिला संगठनों ने सड़क पर उतरकर विरोध -प्रदर्शन किया। वहीं दूसरी ओर संसद में भी यह मुद्दा उठा।
देशभर में महिलाओं के साथ ही रही इस तरह घटनाओं से नाराज़ और बढ़ती यौन हिंसा के खिलाफ छात्र, युवा और महिला संगठनों ने संसद मार्ग पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान संसद मार्ग जाने के रास्ते में पुलिस ने महिलाओं को रोकने की कोशिश की लेकिन महिलाएं पुलिस बैरिकेट को तोड़ते हुए संसद मार्ग पहुंची और प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन कर रहे लोगों ने हैदरबाद की पीड़िता के लिए न्याय के साथ ही रांची ,कांची, वड़ोदरा सहित देश की तमाम रेप पीड़ताओं के लिए न्याय की मांग की। साथ ही सभी ने कहा कि देश में बढ़ रही बलात्कार की संस्कृति को खत्म किया जाए। सभी पीड़ितों को निष्पक्ष और त्वरित न्याय दिया जाए।
इस प्रदर्शन में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति, अखिल भारतीय महिला संस्कृति संगठन, अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला संगठन ,सेंटर ऑफ़ स्ट्रगलिंग वुमैन , प्रगतिशील महिला संगठन के साथ छात्र संगठन आइसा, एसएफआई, केवाईएस, डीएसओ और नौजवान संगठन डीवाईएफआई और आरवाई जैसे संगठनों ने हिस्सा लिया था। नौजवान छात्राओं के चेहरे पर गुस्सा और रोष दिख रहा था। वे सभी एक स्वर में कह रही थीं कि यौन हिंसा बंद होनी चाहिए।
प्रदर्शन में शामिल आरती कहती हैं कि देश में लगातार अलग अलग शहरों में महिलाओं के साथ यौन हिंसा और फिर उनकी हत्या हो रही हैं। जोकि भयावह है, इन सभी मुद्दों पर पुलिस का रैवया बहुत असंवेदनशील है, यह असंवेदनशीलता इस तरह के अधिकतम मामलों में देखी गयी है कि पुलिस पीड़िता की शिकयत पर एफआईआर तक दर्ज नहीं करती है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ हैं। पुलिस पीड़िता की मदद की बजाय उनको ही आरोपी सिद्ध करने में लग जाती है। ये वर्तमान समाज और पुलिस प्रशासन दोनों ही महिलाओं के लिए अतांक का माहौल बना रहे हैं।
प्रगितशील महिला संगठन की नेता पूनम कहती हैं कि इस तरह के मामलों की फोरेंसिक जांच हो, साथ ही पुलिस को जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए। आगे उन्होंने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि जब भी इस तरह की कोई घटना होती है, तब समाज का एक तबका फांसी-फांसी चिल्लाने लगता है लेकिन दोषी को सजा नहीं मिलती है। हमारी सत्ताधारी दल भी फांसी की आड़ में जिम्मेदारियों से भागता है।
पूर्व सांसद और एडवा की नेता सुभाषनी अली ने कहा कि जब हम, हमारे ऊपर हो रही हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो पुलिस हमपर बल प्रयोग कर रही है। लेकिन जब हम थानों में सुरक्षा और न्याय के लिए जाते तो यह हमारी सुरक्षा की बजाय हम पर ही दोषरोपण करते हैं।
हम पर बल प्रयोग की जगह पुलिस को बलात्कारियों को पकड़ना चाहिए।
जंतर-मंतर पर प्रदर्शन
इस प्रदर्शन के साथ ही महिलाओ और नौजवनाओं के एक और समूह ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
इस प्रदर्शन में शामिल सभी लोगों ने अपनी हाथों में काली पट्टी बांध रखी थी। कुछ लोगों के हाथों में तख्तियां थीं, जिनपर लिखा था ‘‘ हमें न्याय चाहिए’’। प्रदर्शन का आयोजन करने वाली अमृता धवन ने कहा, ‘‘ मैं एक राजनेता के तौर पर नहीं बल्कि समाज के एक ऐसे सदस्य के तौर पर इस प्रदर्शन का समर्थन कर रहीं हूं, जो समाज में हो रही घटनाओं को लेकर चिंतित है। महिलाएं कितनी असुरक्षित हैं, इस पर चर्चा करने के लिए हमें दूसरी निर्भया क्यों चाहिए?’’
उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली को त्वरित न्याय सुनिश्चित करना होगा ताकि पीड़ितों के परिवारों को कुछ राहत मिले।दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज की छात्रा अदिति पुरोहित नारे लगाते समय रो पड़ीं। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि एक महिला जो घर से दूर दिल्ली में रहती है, उस नाते यह मुद्दा मुझे और मेरे परिवार को प्रभावित करता है।’’
गौरतलब है कि सरकारी अस्पताल में काम करने वाली पशु चिकित्सक की पिछले हफ्ते गुरुवार रात हैदराबाद के बाहरी इलाके में बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी। बाद में 25 वर्षीय इस महिला का झुलसा हुआ शव बरामद हुआ था। इस मामले में चार आरोपियों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इसके साथ ही प्रदर्शन कर रहे लोगो मांग कर रहे थे कि जस्टिस वर्मा कमेटी के सुझावों को लागू किया जाए। पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की करने की बात थी लेकिन वो सब कहा हैं ?
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