अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति और मकान किराए के 525 करोड़ रुपए दबाए बैठी है शिवराज सरकार: माकपा
मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति व जनजाति के हजारों विद्यार्थियों को शासन की योजनाओं के तहत् छात्रवृत्ति नहीं मिल पा रही है। साल बीत चुका है और अब नया साल शुरू हो गया है, लेकिन अब भी छात्रवृत्ति का इंतजार ख़त्म नही हुआ है। कई छात्रों का दावा है उन्हे डेढ़ साल से अधिक से छात्रवृति नही मिली है ।
कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ विद्यार्थियों का कहना है कि शासन की योजना है कि बाहर के शहरों से पढ़ने आए विद्यार्थी होस्टल के अभाव में किराये का मकान लेकर रहते हैं तो उन्हें आवास योजना के तहत् किराया दिया जाता है। आवास योजना का पैसा भी न आने के कारण मकान मालिकों को किराया नहीं चुका पा रहे हैं।
विपक्षी वाम पंथी दल भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है-भाजपा की शिवराज सिंह चौहान सरकार का मनुवादी चेहरा एक बार फिर बेनकाब हुआ है। वह अनुसूचित जाति से संबंधित छात्रों की छात्रवृत्ति और मकान किराए का 525 करोड़ रुपए दबाए बैठी है। यह सिर्फ उन्हें इस राशि से वंचित करने की साजिश नहीं है, बल्कि इस बहाने शिक्षा से वंचित करने की सोची समझी योजना का हिस्सा है।
पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश सरकार की ओर से 2.80 लाख अनुसूचित जाति के छात्रों के खाते में पहुंचने वाली 425 करोड़ की छात्रवृत्ति मात्र 206 छात्रों के खाते में पहुंची है। जिससे इन आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर तबकों को अपना पढ़ाई जारी रखने में भी दिक्कत आ रही है।
माकपा नेता ने कहा है कि इतना ही नहीं सरकार ने साल भर से 80 हजार से अधिक इन्ही तबकों के छात्रों का मकान किराया भी नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि जो छात्र मैट्रिक करने के बाद सरकारी या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थान में पढ़ाई करते हैं, उन्हें यदि सरकारी छात्रावास में आवास की सुविधा नहीं मिलती है तो सरकार की ओर से मकान किराया देने का प्रावधान है। यह किराया संभागीय मुख्यालय पर 2000 रुपए प्रतिमाह, जिला मुख्यालय पर 1250 रुपए प्रतिमाह और तहसील मुख्यालय पर 1000 रुपए प्रतिमाह है। यह राशि भी 100 करोड़ रुपए है, जो छात्रों को नहीं मिली है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने उक्त राशि को तुरंत पात्र छात्रों के खाते में पहुंचाने की मांग की है, ताकि वे अपना अध्ययन जारी रख सकें।
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