संयुक्त राष्ट्र ने अफ़ग़ानिस्तान में सभी से 'संयम' दिखाने का आग्रह किया
संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अफगानों की जान बचाने और मानवीय सहायता पहुंचाने के मकसद से तालिबान और सभी अन्य पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने रविवार को कहा कि, “संयुक्त राष्ट्र एक शांतिपूर्ण समाधान में योगदान करने, सभी अफगानों, विशेषकर महिलाओं और लड़कियों के मानवाधिकारों की रक्षा करने और जरूरतमंद नागरिकों को जीवन रक्षक मानवीय और महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।”
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता कार्यालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और गैर सरकारी संगठनों दोनों के मानवीय सहायता समुदाय के सदस्य सहायता की आवश्यकता वाले लाखों अफ़गानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो "अत्यधिक जटिल" सुरक्षा वातावरण के बावजूद देश में रह रहे हैं।
ओसीएचए के नाम से जाने जाना वाले कार्यालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि 5,50,000 लोगों को पहले से ही सहायता की आवश्यकता थी जब इस साल संघर्ष से 5,50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए। यह आंकड़ा मई के बाद से दोगुना हो गया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक
न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर अफगानिस्तान की स्थिति पर सोमवार को आपात बैठक हो रही है।
परिषद के राजनयिकों ने रविवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद के ताजा हालात से अवगत कराएंगे।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शुक्रवार को तालिबान से अफगानिस्तान में तत्काल हमले रोकने का आग्रह किया था। उन्होंने लंबे समय से चले आ रहे गृह युद्ध को खत्म करने के लिये 'अच्छी नीयत' के साथ बातचीत करने की अपील की।
उन्होंने इन शुरुआती संकेतों पर भी अफसोस जताया था कि तालिबान अपने नियंत्रण वाले इलाकों में विशेष रूप से महिलाओं और पत्रकारों को निशाना बनाकर कठोर पाबंदियां लगा रहा है।
अफ़ग़ानिस्तान पर तालिबान के तेजी से कब्जे से स्तब्ध बाइडन प्रशासन, ट्रंप ने बताया सबसे बड़ी हार
वाशिंगटन: तालिबान ने जिस तेजी के साथ अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उस पर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और अन्य शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों ने रविवार को अचंभा जताया। अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना की नियोजित वापसी तत्काल एक सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के मिशन में बदल गई है।
अफगान सरकार का तेजी से पतन और वहां फैली अराजकता कमांडर इन चीफ के रूप में बाइडन के लिए एक गंभीर परीक्षा की तरह है। रविवार तक प्रशासन की प्रमुख हस्तियों ने माना कि अफगान सुरक्षा बलों के तेजी से हारने से वे अचंभे में हैं क्योंकि उन्होंने ऐसा अनुमान नहीं लगाया था। काबुल हवाई अड्डे पर छिटपुट गोलीबारी की खबरों ने अमेरिकियों को शरण लेने पर मजबूर किया जो उड़ानों की प्रतीक्षा कर रहे थे।
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अफगान सेना का जिक्र करते हुए सीएनएन को बताया, “हमने देखा कि बल देश की रक्षा करने में असमर्थ है और यह हमारे पूर्वानुमान से बहुत ज्यादा जल्दी हुआ है।”
अफगानिस्तान में उथल-पुथल राष्ट्रपति बाइडन पर अवांछित तरीके से ध्यान ले जाता है जिन्होंने बड़े पैमाने पर घरेलू एजेंडों पर ध्यान केंद्रित किया है जिनमें महामारी से उबरना, बुनियादी ढांचे के खर्च में खरबों डॉलर के लिए कांग्रेस की मंजूरी जीतना और मतदान अधिकारों की रक्षा करना शामिल है।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों के मुताबिक बाइडन रविवार को कैंप डेविड में रहे जहां उन्हें अफगानिस्तान पर लगातार जानकारी दी जाती रही और वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के सदस्यों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल करते रहे। अगले कई दिन यह निर्धारित करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं कि क्या अमेरिका स्थिति पर कुछ हद तक नियंत्रण हासिल करने में सक्षम है।
इसबीच, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि तालिबान का विरोध किए बिना काबुल का पतन होना अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में दर्ज होगा।
तालिबान के काबुल में राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लेने और इसके निर्वाचित नेता अशरफ गनी के अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देश छोड़कर ताजिकिस्तान चले जाने के बाद ट्रंप ने एक बयान में कहा, “जो बाइडन ने अफगानिस्तान में जो किया वह अपूर्व है। इसे अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में याद रखा जाएगा।”
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने इसे बाइडन प्रशासन की विफलता करार दिया है।
काबुल में दूतावास से अमेरिका का झंडा उतारा गया
वाशिंगटन: अमेरिका के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अफगानिस्तान से अपने लोगों को निकालने के बीच काबुल में अमेरिकी दूतावास से अमेरिकी झंडा उतार लिया गया है।
अधिकारी ने बताया कि दूतावास के लगभग सभी अधिकारियों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पहुंचा दिया गया है, जहां पर हजारों अमेरिकी तथा अन्य लोग विमानों का इंतजार कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी झंडा दूतावास के अधिकारियों में से एक के पास है।
रविवार रात को विदेश मंत्रालय और पेंटागन ने संयुक्त बयान में कहा कि काबुल हवाईअड्डे से लोगों की सुरक्षित रवानगी के लिए वे कदम उठा रहे हैं। इसमें कहा गया कि अगले दो दिन में अमेरिका के 6,000 सुरक्षाकर्मी वहां मौजूद होंगे और वे हवाई यातायात नियंत्रण अपने कब्जे में ले लेंगे।
बीते दो हफ्तों में विशेष वीजा धारक करीब 2,000 लोग काबुल से अमेरिका पहुंच चुके हैं।
अफ़ग़ानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा : अल-जजीरा के वीडियो फुटेज
काबुल: अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क पर प्रसारित वीडियो फुटेज के अनुसार यहां अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया है। फुटेज में तालिबान लड़ाकों का एक बड़ा समूह राजधानी काबुल में स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा राष्ट्रपति भवन से करने और देश को फिर से ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ का नाम देने की उम्मीद है।
बीस साल की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के कुछ ही दिनों के भीतर लगभग पूरे देश पर फिर से तालिबान का कब्जा हो गया है।
गौरतलब है कि रविवार सुबह काबुल पर तालिबान लड़ाकों की दस्तक के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया। वहीं देशवासी और विदेशी भी युद्धग्रस्त देश से निकलने को प्रयासरत हैं, हालांकि काबुल हवाईअड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद होने के कारण लोगों की इन कोशिशों को झटका लगा है।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के अनुसार, अमेरिका काबुल स्थित अपने दूतावास से शेष कर्मचारियों को व्यवस्थित तरीके से बाहर निकाल रहा है। हालांकि, उन्होंने जल्दीबाजी में अमेरिका के वहां से निकलने के आरोपों को तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि यह वियतनाम की पुनरावृत्ति नहीं है।
एबीसी चैनल के ‘द वीक’ पर रविवार को ब्लिंकन ने कहा, ‘‘हमारे लोग परिसर को छोड़ रहे हैं और हवाईअड्डा जा रहे हैं।’’
उन्होंने इसकी पुष्टि भी की कि अमेरिकी दूतावास के कर्मचारी परिसर खाली करने से पहले दस्तावेज और अन्य सामग्री को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देते हुए कहा कि ‘‘यह बहुत सोच-समझकर और सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है। यह सबकुछ अमेरिकी बलों की उपस्थिति में हो रहा है, जो वहां हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर रहे हैं।’’ काबुल स्थिति अमेरिकी दूतावास खाली करने के क्रम में रविवार को परिसर से सैन्य हेलीकॉप्टर लगातार उड़ान भरते रहे।
नागरिक इस भय से देश छोड़ना चाहते हैं कि तालिबान उस क्रूर शासन को फिर से लागू कर सकता है जिसमें महिलाओं के अधिकार खत्म हो जाएंगे। नागरिक अपने जीवन भर की बचत को निकालने के लिए नकद मशीनों के बाहर खड़े हो गए। वहीं काबुल में अधिक सुरक्षित माहौल के लिए देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अपने घरों को छोड़कर आये हजारों की संख्या में आम लोग पूरे शहर में उद्यानों और खुले स्थानों में शरण लिये हुए दिखे।
अफगान राष्ट्रीय सुलह परिषद के प्रमुख अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने इसकी पुष्टि की कि गनी देश से बाहर चले गए हैं। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अफगानिस्तान को इस मुश्किल स्थिति में छोड़कर देश से चले गए हैं। अल्लाह उन्हें जवाबदेह ठहराएं।’’
अफगानिस्तान में लगभग दो दशकों में सुरक्षा बलों को तैयार करने के लिए अमेरिका और नाटो द्वारा अरबों डॉलर खर्च किए जाने के बावजूद तालिबान ने आश्चर्यजनक रूप से एक सप्ताह में लगभग पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। कुछ ही दिन पहले, एक अमेरिकी सैन्य आकलन ने अनुमान लगाया था कि राजधानी के तालिबान के दबाव में आने में एक महीना लगेगा।
काबुल का तालिबान के नियंत्रण में जाना अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के अंतिम अध्याय का प्रतीक है, जो 11 सितंबर, 2001 को अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के षड्यंत्र वाले आतंकवादी हमलों के बाद शुरू हुआ था। ओसामा को तब तालिबान सरकार द्वारा आश्रय दिया गया था। एक अमेरिकी नेतृत्व वाले आक्रमण ने तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका। हालांकि इराक युद्ध के चलते अमेरिका का इस युद्ध से ध्यान भंग हो गया।
अमेरिका वर्षों से, युद्ध से बाहर निकलने को प्रयासरत है। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व में वाशिंगटन ने फरवरी 2020 में तालिबान के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो विद्रोहियों के खिलाफ प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई को सीमित करता है। इसने तालिबान को अपनी ताकत जुटाने और प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए तेजी से आगे बढ़ने की अनुमति दी। वहीं राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस महीने के अंत तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी की अपनी योजना की घोषणा की।
रविवार की शुरुआत तालिबान द्वारा पास के जलालाबाद शहर पर कब्जा करने के साथ हुई - जो राजधानी के अलावा वह आखिरी प्रमुख शहर था जो उनके हाथ में नहीं था। अफगान अधिकारियों ने कहा कि आतंकवादियों ने मैदान वर्दक, खोस्त, कपिसा और परवान प्रांतों की राजधानियों के साथ-साथ देश की सरकार के कब्जे वाली आखिरी सीमा पर भी कब्जा कर लिया।
बाद में बगराम हवाई ठिकाने पर तैनात सुरक्षा बलों ने तालिबान के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। वहां एक जेल में करीब 5,000 कैदी बंद हैं। बगराम के जिला प्रमुख दरवेश रऊफी ने कहा कि इस आत्मसमर्पण से एक समय का अमेरिकी ठिकाना तालिबान लड़ाकों के हाथों में चला गया। जेल में तालिबान और इस्लामिक स्टेट समूह, दोनों के लड़ाके हैं।
ब्रिटेन के सैनिक ब्रिटिश नागरिकों को स्वदेश लाने के लिये काबुल पहुंचे
लंदन: ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि ब्रिटिश सैनिक देश के लोगों को काबुल से निकालकर स्वदेश लाने के लिये वहां पहुंच गए हैं।
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने रविवार को मंत्रिमंडल की आपात समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि ब्रिटिश नागरिकों और बीते 20 साल में अफगानिस्तान में ब्रिटिश सैनिकों की मदद करने वाले अफगानियों को जल्द से जल्द बाहर निकालना प्राथमिकता है।
उन्होंने स्काई न्यूज से कहा, 'दिन-रात काम कर रहे राजदूत आवेदन प्रक्रिया में मदद के लिये हवाई अड्डे पर मौजूद हैं।'
तालिबान ‘‘खुली और समावेशी” इस्लामी सरकार चाहता है : प्रवक्ता
काबुल: तालिबान के एक प्रवक्ता एवं वार्ताकार ने रविवार को कहा कि चरमपंथी संगठन अफगानिस्तान में ‘‘खुली, समावेशी इस्लामी सरकार” बनाने के मकसद से वार्ता कर रहा है।
सुहैल शाहीन ने तालिबान के कुछ ही दिनों में देश के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेने और राजधानी काबुल में घुस जाने के बाद यह बात कही है जहां अमेरिका अपने राजनयिकों एवं अन्य असैन्य नागरिकों को वापस बुलाने की जद्दोजहद में जुटा हुआ है।
इससे पहले, तालिबान के एक अधिकारी ने कहा था कि संगठन राष्ट्रपति भवन से एक नयी सरकार की घोषणा करेगा लेकिन वह योजना फिलहाल टलती दिख रही है।
अफगानिस्तान के संकटग्रस्त राष्ट्रपति ने रविवार को देश छोड़ दिया और तालिबान के आगे बढ़ने के बीच भगदड़ में शामिल अपने हजारों साथी नागरिकों एवं विदेशियों के साथ हो गए। यह देश के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से 20 साल के पश्चिमी देशों के प्रयोग के अंत का संकेत था।
तालिबान ने पूरी राजधानी में अपने पैर पसार लिए और चरमपंथी संगठन के एक अधिकारी ने कहा कि वह काबुल में राष्ट्रपति भवन से जल्द ही ‘इस्लामी अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ के गठन की घोषणा करेगा।
यह 9/11 के हमलों के बाद अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं द्वारा आतंकवादियों को खदेड़ने से पहले तालिबान शासन के तहत देश का नाम था।
मीडिया से बात करने के लिए अधिकृत न होने के कारण अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर ये जानकारियां दी।
अल-जज़ीरा समाचार चैनल ने जो तस्वीरें प्रसारित कीं उनमें तालिबान लड़ाकों का एक समूह राष्ट्रपति भवन के अंदर नजर आ रहा है।
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