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यूपी: कांवड़ यात्रा में हिंदू भावनाओं के 'सम्मान' के नाम पर मीट की दुकानों पर प्रतिबंध

लगभग 114 मुसलमानों को पहले मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के स्थानीय पुलिस स्टेशनों में 'शांति वार्ता' के लिए बुलाया गया और फिर बाद में सीआरपीसी की धारा 151 के तहत हिरासत में ले लिया गया।
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इस समय चल रही कांवड़ यात्रा के मद्देनज़र, हिंदू तीर्थयात्रियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचें इसलिए मुज़फ़्फ़रनगर में मीट की दुकानों को बंद रखने और उन्हें ढंकने का आदेश दिया गया है। तीर्थयात्रा का सम्मान करने के लिए, प्रशासन ने न केवल मीट की दुकानों को बंद करने का फैसला किया है, बल्कि उनकी दुकानों को काले कपड़े से ढककर उन्हें 'अदृश्य' भी कर दिया गया है।

कांवड़ यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए, लगभग 114 मुसलमानों को पहले मुज़फ़्फ़रनगर जिले के स्थानीय पुलिस स्टेशनों में 'शांति वार्ता' के लिए आमंत्रित किया गया था और फिर बाद में सीआरपीसी की धारा 151 (संज्ञेय अपराध की रोकथाम) के तहत हिरासत में लिया गया। मीट पर प्रतिबंध और स्थानीय मुसलमानों की एहतियाती हिरासत से क्षेत्र में मुसलमानों के बीच भय और अराजकता फैल गई है।

मुज़फ़्फ़रनगर के साथ-साथ मेरठ प्रशासन ने भी कहा है कि कांवड़ मार्ग पर सभी मीट की दुकानें बंद रहेंगी और इस प्रतिबंध की निगरानी के लिए 1000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।

"शनिवार को मुज़फ़्फ़रनगर के 18 अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में कम से कम 90 मुस्लिम व्यक्तियों को बुलाया गया और उन्हें सीआरपीसी की धारा 151 के तहत उसी दिन जेल भेज दिया गया। अगले दिन उन्होंने इसी तरह 24 और मुसलमानों को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें शांति समिति की बैठक के सिलसिले में बुलाया गया था, लेकिन पुलिस ने कहा कि वे कांवड़ यात्रा से पहले शांति भंग कर सकते हैं। जेल में एक रात बिताने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया, और उन्होंने जानवरों को न मारने और सद्भाव व शांति को भंग न करने के लिए एक-एक लाख रुपये की ज़मानत राशी भरी।" यह कहना है मुर्तजा राणा का जो इस मामले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक से बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन ने "कानून की शक्ति का दुरुपयोग किया।"

राणा ने कहा कि प्रशासन ने मुज़फ़्फ़रनगर में भी लगभग 500 लोगों की पहचान की है।

न्यूज़क्लिक ने जेल भेजे गए कई लोगों से भी बात की। नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, “पुलिस ने कहा था कि धारा 151 के तहत चालान काटा गया है; हमें बस मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना होगा और हम घर वापस आ जाएंगे। लेकिन हमें हिरासत में ले लिया गया और एक दिन के लिए जेल भेज दिया गया। जब हमने पुलिस अधिकारी से पूछा कि हमें किस अपराध के लिए जेल भेजा जा रहा है, तो उन्होंने कहा कि हमारा ट्रैक रिकॉर्ड खराब है। हमें केवल इस संदेह के आधार पर एक दिन के लिए जेल भेज दिया गया कि हम कोई अपराध कर सकते हैं जिससे शहर की शांति भंग हो सकती है।”

हिरासत में लिए गए कोतवाली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत रहने वाले एक दूसरे व्यक्ति ने न्यूज़क्लिक को बताया, “रविवार को, पुलिस का एक ग्रुप मेरे घर पर आया और मुझसे पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा क्योंकि मेरी फोटो खींची जानी है। जब मैंने कारण पूछा तो उन्होंने मुझे बताया कि मुझ पर सीआरपीसी की धारा 151 के तहत मामला दर्ज किया गया है और एक घंटे के भीतर ज़मानत मिल जाएगी, लेकिन जब मैं पुलिस स्टेशन पहुंचा, तो मुझे जेल भेज दिया गया और अगले दिन ज़मानत मिली।”

खालापार पुलिस स्टेशन, जहां से करीब 19 लोगों को हिरासत में लिया गया और जेल भेजा गया था, के सब-इंस्पेक्टर धर्मेंद्र श्योरान ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

"हम किसी को अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे सकते क्योंकि मैं आपको नहीं जानता। आपको अपने प्रश्नों के लिए मीडिया सेल से संपर्क करना चाहिए।"

यह कार्रवाई, कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आदेश के एक सप्ताह के भीतर की गई है जिस आदेश के तहत 4 जुलाई से राज्य के विभिन्न हिस्सों में कांवड़ यात्रा के लिए तय मार्गों पर खुले में मीट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया था।

लखनऊ में पुलिस आयुक्तों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों सहित वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ मार्ग पर खुले में मीट बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मार्ग साफ सुथरा रहना चाहिए। स्ट्रीट लाइट्स की व्यवस्था होनी चाहिए। चूंकि मौसम गर्म है, इसलिए पीने के पानी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए।”

उन्होंने अधिकारियों से यात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और गोताखोरों को तैनात करने को भी कहा। उन्होंने आदेश दिया कि कांवड़ शिविर लगाने के स्थान पहले से ही चिह्नित कर लिए जाएं ताकि यातायात बाधित न हो।

उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष "अधिमास" (अतिरिक्त माह) के कारण श्रावण माह दो महीने का है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान श्रावणी शिवरात्रि, नागपंचमी और रक्षा बंधन के त्योहार मनाये जायेंगे।

कांवड़ यात्रा शुरू होने से पहले राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर कहा था कि ''कांवड़ भक्तों की आस्था का सम्मान करते हुए कांवड़ यात्रा मार्ग पर कहीं भी खुले में मीट की खरीद-बिक्री नहीं होनी चाहिए। कांवड़ यात्रा मार्ग पर साफ-सफाई रखी जाती है। यात्रा मार्ग पर साफ-सफाई एवं स्वच्छता बनाए रखी जाए। इसके अलावा रास्ते में पीने के पानी और भोजन की भी व्यवस्था की जाए।"

इंडियन लॉ सर्च इंजन इंडियन कानून के अनुसार, सीआरपीसी की धारा 151 कहती है, “कोई पुलिस अधिकारी, जो किसी संज्ञेय अपराध को करने की योजना के बारे में जानता है और यदि ऐसे अधिकारी को लगता है कि अपराध के घटित होने को रोका नहीं जा सकता है, ऐसे में वह मजिस्ट्रेट के आदेश और वारंट के बिना, ऐसी योजना बनाने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है।”

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

UP: For Kanwar Yatra, Meat Shops Shut, Covered to 'Respect' Hindu Sentiments

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