‘पार्टनर्स के नाम पर लूट बंद करो’ : Urban Company के कर्मचारियों का प्रदर्शन
आज 12 जुलाई को देश के कई राज्यों में ऐप-आधारित सेवा वितरण प्लेटफॉर्म अर्बन कंपनी के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में सबसे बड़ी मांग है ब्लॉक आईडी को अनब्लॉक करना क्योंकि ब्लॉक आईडी से वो काम नहीं कर सकते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि यह वास्तव में एक तरीके से बर्खास्तगी है।
आज बुधवार 12 जुलाई को गुरुग्राम में अर्बन कंपनी के मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों में अधिकांश ब्यूटीशियन और सैलून सेवाओं से जुड़े महिला और पुरुष कामगार थे। उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली डोरस्टेप सेवाओं में मालिश, फेशियल, मैनीक्योर, पेडीक्योर, वैक्सिंग और बालों की देखभाल आदि शामिल है। इसके अलावा बिजली और अन्य काम से जुड़े कामगार भी प्रदर्शन का हिस्सा थे। इस देशव्यापी प्रदर्शन का आह्वान ऑल इंडिया गिग वर्कर्स यूनियन ने किया था। ये यूनियन, सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन यानि सीआईटीयू (CITU) से जुड़ी है।
इन कर्मचारियों को 'पार्टनर्स' कहा जाता है इसलिए इन्हें वेतन नहीं दिया जाता बल्कि हर टास्क पूरा करने पर उसकी कीमत मिलती है और उसमें भी कंपनी अपना कमीशन काट लेती है। इस कंपनी में ब्यूटीशियन, नाई, प्लम्बर, बढ़ई, बिजली कारीगर से लेकर घरेलू साफ-सफाई करने वाले कामगार शामिल हैं जो एक मोटी फीस देकर खुद को कंपनी में रजिस्टर करते हैं और इसके बाद कंपनी आईडी देती है फिर इन्हें ये ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के काम की लीड देता है। कंपनी अपने सभी पार्टनर्स को दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं के बदले कमीशन लेती है।
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया कि उन्हें दिनभर कंपनी लीड देती है, उसी आधार पर ये अपना काम करते हैं। कंपनी को उनसे फाइव स्टार रेटिंग मिलने की उम्मीद रहती है। यदि उनकी रेटिंग 4.6 से नीचे चली जाती है, तो उनकी आईडी ब्लॉक होने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उन्हें नई लीड नहीं मिलती है। ये उन्हें काम से हटाने जैसा ही है। इसके साथ ही उनसे 70% से ऊपर रिसपॉन्स रेट बनाए रखने की भी उम्मीद की जाती है। यह उनकी लीड को पूरा करने या मंज़ूर करने से जुड़ी है। यदि वे 70% से नीचे आते हैं, तो भी उनकी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है।
प्रदर्शन में शामिल 37 वर्षीय पूनम जो इस कंपनी के साथ एक ब्यूटीशियन के तौर पर जुड़ी थीं। पूनम का कहना है कि "लगभग 7 साल काम करने के बाद बीते साल फरवरी में उनकी आईडी कंपनी ने ब्लॉक कर दी क्योंकि वे अपने बच्चे के गंभीर रूप से बीमार होने की वजह से कंपनी की लीड को पूरा नहीं कर सकी थीं।"
पूनम बताती हैं कि वो उस समय कंपनी के कहने पर हैदरबाद में काम कर रही थीं लेकिन उनके बेटे को दिल की गंभीर बीमारी थी जिसके कारण वे कंपनी के टारगेट को पूरा करने के बाद उसकी देखभाल करती थीं। इस बीच उन्हें एक लीड आई जिसे वो पूरा नहीं कर सकीं इस कारण उन्हें काम से बेदखल कर दिया गया। अब कंपनी प्रबंधन की ओर से उन्हें दोबारा से खुद को कंपनी के प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करने को कहा जा रहा है जबकि उन्होंने बताया कि "पहली बार उन्होंने इसके लिए 45000 रूपये का भुगतान किया था, अब फिर उनसे 50 हज़ार रुपए रजिस्ट्रेशन और ट्रेनिंग के नाम पर मांगा जा रहा है।"
ये एक पूनम की नहीं बल्कि प्रदर्शन में शामिल सैकड़ों कर्मचारियों की कहानी है। एक अन्य कर्मचारी भावना जिनकी आईडी कंपनी ने ब्लॉक की हुई है, उन्होंने बताया, "सिर्फ यही नहीं कंपनी वाले हमसे कमीशन के अलावा काम के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजों को खरीदने का दबाब बनाते हैं जबकि वो मार्किट से महंगी होती हैं।"
उदाहरण के लिए, ब्यूटीशियन साझेदारों ने कहा कि उन्हें अर्बन कंपनी से 550 रुपये में एक थर्ड-पार्टी फेशियल किट खरीदने के लिए कहा गया था, जबकि स्थानीय बाज़ार में उसी किट की कीमत लगभग 350 रुपये है।
प्रदर्शन में कई ऐसी महिलाएं भी थीं जो 'अकेली मां' हैं और उन पर ही पूरा परिवार चलाने का ज़िम्मा है। वो इस काम में इसलिए आईं थीं क्योंकि यहां वे समय का इस्तेमाल अपने मुताबिक कर सकती थीं और अपनी मर्जी से काम कर सकती थीं। हालांकि, अब यूसी (अर्बन कंपनी) के पार्टनर्स के लिए बहुत सारे कड़े नियम हैं, जो उनके इन विकल्पों को प्रतिबंधित करते हैं।
प्रदर्शन में शामिल सैलून का काम करने वाले मुनिस ने कहा, "वो हेयर ड्रेसर के रूप में यूसी में शामिल हुए थे। उनकी आईडी कई बार ब्लॉक की गई क्योंकि उनकी रेटिंग 4.2/5 थी। अभी बीते मंगलवार रात को उन्हें अनब्लॉक किया गया है। इसके बाद, उन्होंने फिर से काम शुरू कर दिया। हालांकि, जून में उन्हें स्थायी रूप से ब्लॉक कर दिया गया था।
न्यूज़क्लिक से बात करने वाले कई ब्यूटीशियन साझेदारों ने शिकायत की कि ग्राहक अनिवार्य रूप से भुगतान की तुलना में अधिक सेवाओं की मांग करते हैं। कभी-कभी, वे लंबी मालिश या अन्य सौंदर्य उपचार के लिए कहते हैं। वे परिवार के अन्य सदस्यों की मालिश की मांग भी कर सकते हैं। यदि वे मना करते हैं, तो ग्राहक उनसे झगड़ना शुरू कर देते हैं और शिकायत भी कर सकते हैं कि वे सेवा से नाखुश हैं। ऐसे मामलों में उनके खराब रेटिंग देने की भी संभावना है।
ऑल इंडिया गिग वर्कर यूनियन, दिल्ली एनसीआर की संयोजक रिक्ता कृषणस्वामी ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि "रेटिंग प्रणाली को ख़त्म कर दिया जाए क्योंकि यह समाज के गरीब तबके के श्रमिकों को मानसिक रूप से परेशान करती है। रेस्पोंस रेट के दबाब में महिलाओं को आठ महीने की गर्भवती होने पर भी काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा था क्योंकि उन्हें डर था कि अगर उनके रेस्पोंस रेट में गिरावट आई, तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त किया जा सकता है।"
रिक्ता ने कहा कि उनकी तीन प्रमुख मांग है:
* पहली, सभी यूसी पार्टनर्स की आईडी को बिना किसी शुल्क के अनब्लॉक किया जाए।
* दूसरा, स्थायी रूप से ब्लॉक करने की नीति को हटा दिया जाए।
* तीसरा, यूसी पार्टनर्स की सहमति के बिना यूसी प्लेटफॉर्म में कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी का परिचालन भारत के 54 शहरों समेत कम से कम 63 स्थानों पर है।
सीटू दिल्ली के सचिव सुनंद भी इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि "ये सिर्फ अर्बन कंपनी का मामला नहीं है बल्कि देश में पूरी गिग अर्थव्यवस्था इस संकट से गुज़र रही है। ये सभी कामगारों को श्रम कानूनों और उनके अधिकार से दूर रखने के लिए उन्हें मज़दूर नहीं बल्कि पार्टनर्स कहते हैं। बीते दिनों में देश में अलग-अलग गिग वर्करों ने प्रदर्शन किया है और आने वाले समय में हम इस आंदोलन को और तेज़ करेंगे।
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