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कैसे रुके रेप-छेड़छाड़, 151 मौजूदा सांसदों-विधायकों पर महिला अपराध के केस: ADR-NEW

यह रिपोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने तैयार की है। रिपोर्ट में 4,809 में से 4,693 सांसदों और विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया। इनमें 775 में से 755 सांसद और 4,693 में से 4,033 विधायक शामिल हैं।
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फोटो साभार : द हिंदू

"भारत में इन दिनों महिला सुरक्षा का मुद्दा एक गंभीर चिंता का विषय है। कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर व महाराष्ट्र के बदलापुर कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया है और निर्भया कांड के बाद लोग एक बार फिर सड़क पर उतर कर कड़े कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन कड़े कानून कैसे बने जिस संसद और विधानसभा के पास कानून बनाने का अधिकार हैं, उसमें बैठे सैकड़ों जनप्रतिनिधियों पर महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े केस चल रहे हैं। ADR व NEW की रिपोर्ट के मुताबिक, 151 मौजूदा सांसदों और विधायकों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें 54 बीजेपी से जुड़े हैं। पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज हैं। यही नहीं, 16 मौजूदा सांसद और विधायकों पर बलात्कार के आरोप हैं।"

यह रिपोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने तैयार की है। रिपोर्ट में 4,809 में से 4,693 सांसदों और विधायकों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया गया। इनमें 775 में से 755 सांसद और 4,693 में से 4,033 विधायक शामिल हैं। विश्लेषण में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि 16 मौजूदा सांसदों और विधायकों पर बलात्कार के आरोप हैं। इनमें से 2 सांसद हैं। जिन नेताओं पर महिलाओं से जुड़े अपराध के मामले दर्ज हैं उन 151 में से 16 मौजूदा सांसद हैं और 135 मौजूदा विधायक हैं।

ये रिपोर्ट चुनाव के वक्त उम्मीदवारों द्वारा नामांकन के दौरान चुनाव आयोग को दिए जाने वाले हलफनामों के आधार पर तैयार की गई है। इस लिस्ट में कुल 151 जनप्रतिनिधियों का नाम है जो इस समय देश की संसद और विधानसभाओं में जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। एडीआर के मुताबिक इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में से वर्तमान में 776 में से 755 सांसदों और 4033 में से 3938 वर्तमान विधायकों के एफिडेविट का विश्लेषण किया गया है। जो इन विधायक या सांसदों द्वारा चुनाव लड़ते वक्त नामांकन भरते समय दिया जाता है। इनमें से कुल 151 जनप्रतिनिधि ऐसे हैं जिन पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले चल रहे हैं। कुल 151 जनप्रतिनिधियों में से 16 वर्तमान सांसद और 135 वर्तमान विधायक हैं।

ये 151 वर्तमान सांसद विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं, जिसमें स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, विवाह आदि करने को विवश करने के लिए किसी स्त्री को व्यपहृत करना, अपहृत करना या उत्प्रेरित करना संबंधी मामले दर्ज हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में 14 विधायकों और 2 सांसदों पर महिला से बलात्कार के भी आरोप हैं। बीजेपी और कांग्रेस के 5-5 विधायकों/सांसदों पर ये बलात्कार के आरोप लगे हैं। इसमें बीजेपी के 3 विधायक और 2 सांसद है। वहीं, कांग्रेस के 5 विधायकों पर इस तरह के आरोप हैं। AITC, AAP, भारत आदिवासी पार्टी, बीजेडी, टीडीपी के एक-एक विधायक शामिल हैं।

वर्तमान में पश्चिमी बंगाल में 25, आंध्र प्रदेश में 21 और ओडिशा में 17 विधायकों/सांसदों पर महिला अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं, जबकि बीजेपी के 55, कांग्रेस के 44, बीजेपी के 17, आप के 13 विधायक-सांसदों पर इस तरह के आरोप हैं। वर्तमान में माननीयों पर इस तरह के आपराधिक आरोप लगने के कारण, भारत में चुनाव सुधार https://hindi.sabrangindia.in/article/Does-Indian-society-really-believe-in-Beti-Bachaoकी मांग बढ़ती जा रही है। एडीआर रिपोर्ट राजनीतिक दलों के लिए अपने उम्मीदवारों की गहन जांच करने और सार्वजनिक पद चाहने वालों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में मतदाताओं को सूचित करने की तात्कालिकता पर प्रकाश डालती है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास बहाल करने के लिए भारतीय राजनीति में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है। भारत के नागरिकों, समाजिक संगठनों और राजनीतिक नेताओं को यह तय करना है कि आपराधिक पृष्ठभूमि के व्यक्ति को सार्वजनिक पद पर ना आसीन करें, ताकि देश की अंखडता और राजनीति में शुचिता बरकरार रहे। संविधान की प्रस्तावना में ये साफ लिखा है कि भारतीय संविधान जनता से शक्ति प्राप्त करता है। जनता दागदार छवि वाले नेताओं को ना चुनकर भारतीय राजनीति में सुधार ला सकती है।

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले की चिंतपूर्णी सीट से कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू पर भी महिला अपराध से जुड़ा मामला दर्ज है। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक उन पर महिला अपराध से जुड़ी आईपीसी की धारा 509 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से शब्द, इशारा या कृत्य) के तहत एक मामला दर्ज है। वैसे हिमाचल के अलावा मणिपुर, दादर नगर हवेली और दमन और दीव ही दो ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां एक-एक जनप्रतिनिधि के खिलाफ महिला अपराध से जुड़े मामले चल रहे हैं। इसके बाद गोवा, असम में 2-2, पंजाब, झारखंड में 3-3, यूपी, गुजरात, तमिलनाडु में 4-4, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, केरल में 5-5 जनप्रतिनिधि इस सूची में शामिल हैं। इसके अलावा राजस्थान में 6, कर्नाटक में 7, बिहार में 9, महाराष्ट्र और दिल्ली में 13-13, ओडिशा में 17, आंध्र प्रदेश में 21 और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 25 सांसद या विधायक इस लिस्ट में शामिल हैं। एडीआर की ओर से चुनाव और जनप्रतिनिधियों की उम्र, शिक्षा, संपत्ति, आपराधिक मामलों आदि से जुड़ी रिपोर्ट समय-समय पर जारी की जाती है। 

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या तथा ठाणे में दो बच्चियों के यौन उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 16 मौजूदा सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 के तहत बलात्कार से संबंधित मामलों की जानकारी दी है, जिसके लिए न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान है और इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है। इनमें से दो सांसद और 14 विधायक हैं। आरोपों में एक ही पीड़िता के खिलाफ बार-बार अपराध की घटनाएं भी शामिल हैं, जो इन मामलों की गंभीरता को और अधिक रेखांकित करता है।

रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक दलों में सबसे अधिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 54 सांसद और विधायक हैं, जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले हैं। इसके बाद कांग्रेस के 23 और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के 17 सांसद-विधायक हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही पांच-पांच मौजूदा सांसद-विधायक बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट में सांसदों-विधायकों के खिलाफ अदालती मामलों की त्वरित सुनवाई तथा पुलिस द्वारा पेशेवर तरीके से और गहन जांच सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया है।

साभार : सबरंग 

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