झारखंड: हिमंता बिस्वा के भाषणों को "विभाजनकारी" बताते हुए ‘इंडिया’ गठबंधन ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की
झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा के चुनावी भाषणों को “बेहद विभाजनकारी” और “घृणास्पद” बताते हुए इंडिया ब्लॉक के नेताओं ने उनके खिलाफ “तत्काल और सख्त कार्रवाई” की मांग की है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा भारत के चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए एक पत्र में कहा गया है कि हिमंत सरमा ने 1 नवंबर को सारथ में एक सार्वजनिक बैठक और कार्यक्रम में मुसलमानों को “निशाना बनाया”।
अपने भाषण में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि “वे” एक ही पार्टी को वोट देते हैं लेकिन “हम आधे यहां और आधे वहां वोट करते हैं”।
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक किए गए पत्र में सरमा के भाषण के कुछ हिस्सों को फिर से पेश किया गया, जिसमें दावा किया गया कि यह “घुसपैठियों” जैसे “जहरीले शब्दों” का इस्तेमाल करके “घृणा और आक्रोश की आग भड़काने” का काम कर रहे थे। पत्र में उस साक्षात्कार का भी जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कांग्रेस के अल्पसंख्यक नेताओं पर निशाना साधा था और कहा था कि अगर चुनाव आयोग ने अगले 24 घंटों में कार्रवाई नहीं की तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
पत्र में कहा गया है, "उन्होंने जानबूझकर एक विशेष धार्मिक अल्पसंख्यक के सभी लोगों को एक रंग में रंग दिया है और उन सभी को घुसपैठिए के रूप में बताया है ताकि मौजूदा सामाजिक विभाजन का फायदा उठाया जा सके और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें बढ़ाया जा सके और सांप्रदायिक तनाव पैदा किया जा सके तथा चुनावी लाभ के लिए झारखंड के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ा जा सके।"
पत्र में कार्रवाई की मांग की गई है कि "आयोग किसी भी व्यक्ति की ऐसी हरकतों का समर्थन नहीं करता है जिससे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया बाधित हो सकती है।"
सत्य हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड चुनाव के बीच ही हिमंत बिस्व सरमा का एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इसमें भी वह मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं। वह वीडियो में कहते सुने जा सकते हैं, 'हम हारेंगे न तो ये पीताम्बर, नीलाम्बर, सिद्धू, कान्हू, बिरसा मुंडा की भूमि को अरफान, इरफ़ान, अंसारी, आलम गीर आलम लूट लेगा। हमारी बेटियों को लूटा, हमारी जमीन को लूटा, हमारी सरकार को लूटा, हमारे अंहकार को लूटा। हमें आवाज उठाना होगा। हमें एक होना है।... हम बंटे तो ये इरफ़ान, अंसारी, आलम हमें लूट ले जाएंगे।'
बता दें कि हिमंत बिस्वा सरमा का न तो यह कोई पहला विवादित बयान और न ही उनके खिलाफ यह पहली शिकायत है। वे ऐसे विवादित बयान देते रहे हैं।
सरमा का विवादित बयानों से पुराना नाता
असम के मुख्यमंत्री सरमा ने कुछ समय पहले कहा था कि राज्य में मियां लोगों की आबादी इतनी ज्यादा हो जाएगी कि वो असम पर कब्जा कर लेंगे। राज्य में बंगाली भाषी मुसलमानों का कब्ज़ा हो जाएगा।
ज्ञात हो कि 17 जुलाई को उन्होंने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर कहा था कि 'बदलती आबादी मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। असम में आज मुस्लिम आबादी 40 फीसदी तक पहुंच गई है। 1951 में यह 12 प्रतिशत थी। हमने कई जिले खो दिए हैं। मेरे लिए यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह मेरे लिए जीवन और मृत्यु का मामला है।'
पिछले साल अक्टूबर में सरमा ने कहा था कि बीजेपी को अगले दस वर्षों तक 'चार' (नदी का रेतीला इलाका) क्षेत्रों के मियां लोगों के वोटों की जरूरत नहीं है, जब तक कि वे बाल विवाह जैसी प्रथाओं को छोड़कर खुद में सुधार नहीं कर लेते।
पिछले साल जुलाई महीने में उन्होंने एक और विवादित बयान दिया था। सरमा ने कहा था कि 'वे कौन लोग हैं जिन्होंने सब्जियों की कीमत इतनी बढ़ा दी है? वे मियां व्यापारी हैं, जो ऊंची कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं।'
साभार : सबरंग
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