मध्य प्रदेशः 'मामा' के राज में बहनों की दुर्दशा, हर रोज़ रेप के 8 मामले दर्ज
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी छवि मामा की बनाई है। यानी वो दर्शाना चाहते हैं कि वो मध्य प्रदेश की हर महिला के भाई है। हालांकि ये काफी प्रॉब्लमेटिक है। क्योंकि कायदे से शिवराज सिंह चौहान को एक चुने हुए प्रतिनिधि और प्रदेश के मुख्यमंत्री की तरह पेश आना चाहिए और महिलाओं को नागरिक मानना चाहिए। लेकिन शायद वो महिलाओं को पारिवारिक छवि से बाहर एक स्वतंत्र नागरिक के तौर पर नहीं देख पा रहे हैं।
शिवराज मंचों से दावा करते हैं और संकल्प लेते हैं कि वो महिलाओं के चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर आएंगे और आंखों में आंसू नहीं आने देंगे। इस मामा की पार्टी यानी भाजपा महिलाओं की खुशहाली के चमकीले विज्ञापनों से जनता को लाद रही है। मामा जी डॉयलागबाजी पूरी करते हैं लेकिन ये नहीं बताते कि प्रदेश में इस मामा की बहनों की असल स्थिति क्या है। क्या ज़मीनी सच्चाई चमकीले विज्ञापनों से विपरीत है?
मामा जी कभी ये नहीं बताते कि प्रदेश में महिलाओं की शिक्षा की क्या स्थिति है? स्वास्थ्य की क्या स्थिति है? महिलाओं के खिलाफ अपराध की क्या स्थिति है? महिलाओं के पोषण और ख़ून की कमी क्या स्थिति है? मामा जी ये भी नहीं बताते कि जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं उस प्रदेश में रेप के हर रोज 8 मामले दर्ज हो रहे हैं। ये बातें आपको मामा जी नहीं बताएंगे आइये, हम खुद ही पड़ताल करते हैं।
हर रोज़ रेप के 8 मामले दर्ज
क्या मामा जी मंच से बहनों को ये बताएंगे कि मध्य प्रदेश महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में देश में छठे नंबर पर है। क्या शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ये बताएंगे कि उनके राज में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी हुई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 27,560 मामले दर्ज किए गए थे, जो आंकड़ा वर्ष 2021 में बढ़कर 30,673 हो गया।
क्या शिवराज सिंह चौहान बताएंगे की रेप के मामलों में मध्य प्रदेश देश में दूसरे पायदान पर है। मध्य प्रदेश में हर रोज रेप के 8 मामले दर्ज किए गए हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में रेप के कुल 2,947 मामले दर्ज किए गए हैं।
छात्राओं का 53% ड्राप आउट
ये भी देखते हैं कि मध्य प्रदेश में महिलाओं की शिक्षा की क्या स्थिति है? पहले महिलाओं की साक्षरता दर देखते हैं। नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में महिलाओं की साक्षरता दर 65.4% है जो राष्ट्रीय औसत से भी 6 अंक नीचे है। महिलाओं में साक्षरता की राष्ट्रीय औसत दर 71.5% है। मामा जी बताएं कि मध्य प्रदेश की हर तीसरी महिला अनपढ़ है।
अब नजर डालते हैं लड़कियों के ड्राप आउट पर। शिक्षा मंत्रालय, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश में वर्ष 2021-22 में पहली कक्षा में लड़कियों का इनरोलमेंट 7,45,051 है तो वहीं 12वीं कक्षा में लड़कियों का इनरोलमेंट 3,44,982 है। तो क्या मामा जी बताने का कष्ट करेंगे कि पहली कक्षा के इनरोलमेंट और 12वीं कक्षा के इनरोलमेंट में 4,00,069 अंकों का इतना भारी अंतर क्यों है? क्या मामा जी को मध्य प्रदेश की छात्राओं और अपनी भांजियों के 53% ड्रापआउट पर भी कोई डॉयलाग याद है? क्या मामा जी बता सकते हैं कि इस ड्राप आउट के क्या कारण है और मामा जी की पार्टी यानी भाजपा इसे रोकने के लिए क्या कर रही है?
आधी से ज़्यादा महिलाओं में ख़ून की कमी
नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश की 20-24 आयु वर्ग की 23.1% लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में की गई है। यानी इस आयु वर्ग की लगभग एक चौथाई लड़कियों का बाल विवाह हुआ है। मध्य प्रदेश की 15-49 वर्ष आयु वर्ग की 54.7% महिलाएं ख़ून की कमी शिकार हैं। यानी हर दूसरी महिला ख़ून की कमी की शिकार है। 15-49 वर्ष आयु वर्ग की 52.9% गर्भवती महिलाएं ख़ून की कमी की शिकार हैं।
मध्य प्रदेश की मात्र 26% महिलाएं ही ऐसी हैं जिन्होंने पिछले साल में कोई ऐसा काम किया है जिसका उन्हें भुगतान हुआ है। मात्र 38.5% महिलाओं के पास ही खुद का मोबाइल है। हम देख सकते हैं कि महिलाओं के पोषण से लेकर उनके रोज़गार और कुल मिलाकर सशक्तिकरण की स्थिति चिंताजनक है।
आंकड़े स्पष्ट कर रहे हैं कि मध्य प्रदेश में महिलाओं की स्थिति वैसी नहीं है जैसा कि भाजपा को पोस्टरों में बताई जा रही है। प्रदेश की हर दूसरी महिला ख़ून की कमी की शिकार है और हर रोज रेप के 8 मामले दर्ज हो रहे हैं, लेकिन पता नहीं क्यों मामा जी को ये कुपोषित और रेप जैसा अपराध झेल रही बहनें दिखाई ही नहीं देतीं। पता नहीं क्यों मामा जी कभी अपनी इन बहनों का जिक्र ही नहीं करते। मामा जी और मामा जी की पार्टी यानी भाजपा अन्याय, हिंसा, अपमान, संसाधनों की कमी और कुपोषण झेल रही इन महिलाओं को चमकीले विज्ञापनों से लाद रही है। ख़ून की कमी झेल रही महिलाओं का इस तरह श्रृंगार किया जा रहा है और चमकीले विज्ञापनों से बदरंग सच्चाई को छिपाने की कोशिश की जा रही है।
कायदे से शिवराज सिंह चौहान को मामा जी के मुखौटे से बाहर आकर एक मुख्यमंत्री की तरह पेश आना चाहिए। वो प्रदेश की महिलाओं को नागरिक समझे और प्रदेश में महिलाओं की इस दुर्दशा पर जवाब दें। मामा की छवि के पीछे वो जवाबदेही से बच नहीं सकते।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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