मध्य प्रदेश: एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगने के बाद 17 बच्चों की तबीयत बिगड़ी, 6 को आईसीयू में भर्ती कराया गया
मध्य प्रदेश के नीमच जिला अस्पताल के बच्चों के वार्ड में शुक्रवार रात को उस समय अफरा तफरी मच गई जब यहां भर्ती 17 बच्चों की तबीयत अचानक बिगड़ गई। ये सभी बच्चे एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाए जाने के बाद तेज बुखार, उल्टी, और शरीर में फफोले की शिकायत करने लगे, जिससे अस्पताल में हड़कंप मच गया। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस और अस्पताल प्रशासन के अधिकारी तुरंत अस्पताल पहुंचे।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर छह बच्चों को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया, जबकि तीन बच्चों के परिजन उन्हें निजी अस्पताल ले गए। बाकी सभी बच्चों का इलाज वार्ड में किया गया। ये बच्चे 9 महीने से लेकर 13 साल की उम्र के हैं। सिविल सर्जन महेंद्र पाटिल के अनुसार, फिलहाल सभी बच्चों की स्थिति सामान्य बताई जा रही है और डॉक्टरों की टीम उनकी लगातार निगरानी कर रही है।
सेफ्ट्रिएक्सोन इंजेक्शन लगने के बाद तबीयत हुई खराब
जानकारी के अनुसार, सभी बच्चों को ठंड और कपकपी की शिकायत थी। ड्यूटी पर मौजूद नर्सिंग स्टाफ ने रात 8 बजे के बाद 26 बच्चों को एंटीबायोटिक सेफ्ट्रिएक्सोन इंजेक्शन लगाया। इसके थोड़ी देर बाद ही कुछ बच्चों ने तबीयत बिगड़ने की शिकायत की। डॉक्टरों और स्टाफ ने जब बच्चों की गंभीर स्थिति देखी, तो आला अधिकारियों को सूचित किया। इसके बाद एडीएम लक्ष्मी गामड़, एसडीएम ममता खेड़े, तहसीलदार संजय मालवीय, सिविल सर्जन महेंद्र पाटिल और थाना प्रभारी पुष्पा चौहान पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
इंजेक्शन के सैंपल भेजे गए लैब, जांच शुरू
नीमच एसडीएम लक्ष्मी गामड़ ने बताया कि ड्यूटी स्टाफ ने अस्पताल में उपलब्ध 50 वायल वाले नए बॉक्स से सेफ्ट्रिएक्सोन इंजेक्शन निकालकर बच्चों को लगाया था। यह इंजेक्शन नियमित रूप से दिया जाता है। फिलहाल आशंका जताई जा रही है कि इंजेक्शन के नए बॉक्स में रखे वायल में कोई गड़बड़ी हो सकती है। हालांकि, इसकी पुष्टि जांच के बाद ही हो सकेगी। इंजेक्शन के सैंपल को जांच के लिए लैब भेजा गया है और रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
बच्चों की तबीयत बिगड़ने पर परिजनों में भारी नाराजगी देखी गई। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें आश्वस्त किया कि बच्चों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। सिविल सर्जन ने बताया कि सभी बच्चों की स्थिति अब सामान्य है और उनकी देखरेख के लिए एक विशेष मेडिकल टीम तैनात की गई है।
इस घटना के बाद जिला स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं और मामले की जांच में तेजी लाने को कहा है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
राज्य में इस तरह की घटना कोई पहली बार नहीं हुई है। पहले भी अस्पताल में दवाइयों की गुणवत्ता और इंजेक्शन से जुड़ी शिकायतें आती रही हैं। उदाहरण के लिए, 2022 में सागर जिले में एक स्कूल में कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान एक छात्र ने एक ही सिरिंज से करीब 30 बच्चों को वैक्सीन लगा दी थी, जिससे हंगामा मच गया था।
साभार : सबरंग
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