केंद्र सरकार की वादाख़िलाफ़ी से नाराज़ किसानों का देशव्यापी चक्काजाम
आज 31 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान के बाद देश भर के 500 जिलों में विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम का आयोजन किया गया। ये विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार द्वारा उनके साथ किए गए वादों को पूरा न करने और विश्वासघात करने के खिलाफ था। रविवार को कई राज्यों में किसानों ने सड़कों और रेल पटरियों को चार घंटे तक अवरुद्ध कर दिया।
एसकेएम ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है कि यदि वायदे के अनुरूप मांगों को पूरा नहीं किया जाता है, तो आने वाले महीनों में किसान आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
एसकेएम ने अपने एक बयान मे कहा कि इस विश्वासघात के विरोध में, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान, गुजरात, त्रिपुरा, और अन्य राज्यों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ और चक्का जाम आयोजित किया गया।
केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को अपने पत्र में संयुक्त किसान मोर्चा से लिखित वादे किए थे। जिसके बाद किसानों ने दिल्ली के बॉर्डर से अपना मोर्चा उठाया था। परंतु एसकेम ने कहा कि किसी भी वादे को आज तक पूरा नहीं किया है, जिनके आधार पर किसान आंदोलन को स्थगित किया गया था। सरकार अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी पर चर्चा तक करने के लिए तैयार नहीं है। भारत सरकार द्वारा किसानों की आंखों में धूल झोंकने के लिए बनाई गई कमिटी में कानूनी गारंटी का कोई जिक्र नहीं है।
मोर्चा ने आगे कहा उधर कैबिनेट ने संसद में रखने के लिए बिजली संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। न ही किसानों के खिलाफ दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए गए हैं। अजय मिश्रा टेनी आज भी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बने हुए हैं।
पंजाब के किसान नेताओं ने न्यूज़क्लिक को बताया कि पंजाब में, किसान राज्य भर में 40 से अधिक स्थानों पर सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक रेल की पटरियों पर बैठ गए, साथ ही अन्य विरोध स्थलों पर सड़क जाम कर दिया। किसान नेताओं के अनुसार देश भर में रविवार का प्रदर्शन 1200 से अधिक विभिन्न स्थानों पर किया गया।
मोर्चा ने अपनी छह मांगों फिर से दोहराया और कहा कि C2 + 50% फॉर्मूला के आधार पर सभी उपज के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी, “विद्युत संशोधन विधेयक, 2020/2021” के मसौदे को वापस लेना, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम 2021” में किसानों पर दंडात्मक प्रावधानों को हटाना, आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ झूठे मामलों की वापसी, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी, और किसान आंदोलन के शहीदों के परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास और सिंघू मोर्चा में उनकी स्मृति में स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन हो।
एसकेएम के सदस्य और अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मौल्ला ने रविवार को न्यूज़क्लिक से फोन पर बात करते हुए बताया, " देश में किसान नौ महीने बीत जाने के बाद भी सरकार द्वारा अपने वादों को पूरा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार से बहुत नाराज हैं।" उन्होंने कहा कि एसकेएम एमएसपी पर हाल ही में गठित समिति का विरोध करता रहेगा क्योंकि इसके संदर्भ की शर्तों (टर्म एंड कॉन्डीशन) में किसान संगठन की प्रमुख मांगों में से एक का भी उल्लेख नहीं है। इससे बहुत स्पष्ट हैं कि यह एमएसपी पर कानूनी गारंटी का उल्लेख नहीं करती है, जो हमारी प्रमुख मांग है।
इस महीने की शुरुआत में, केंद्र ने एमएसपी को अधिक "प्रभावी और पारदर्शी" बनाने के लिए 29 सदस्यीय पैनल के गठन को अधिसूचित किया था। जिसमे केंद्र ने एक पूर्व कृषि सचिव, नीति आयोग के सदस्य, अर्थशास्त्रियों और देश में किसान संघों के प्रतिनिधियों को समिति का सदस्य बनाने के साथ ही एसकेएम के तीन सदस्यों को भी आमंत्रित किया था।
मोर्चे ने समिति की संरचना पर सवाल उठाते हुए, इस पैनल में शामिल नहीं होने का फैसला किया था ।
मौल्ला ने कहा “ ऐसे पैनल में शामिल होने का क्या मतलब है, जिसका अध्यक्ष वह है जिसने तीनों कृषि कानूनों का मसौदा तैयार किया है। उसके बाद उन सभी लोगों को इसमे रखा गया है जिन्होंने विवादित कृषि कानूनों का समर्थन किया। "
ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य अविक सहा ने रविवार को कहा कि किसान देशभर मे अपना आंदोलन जारी रखेगा। 18 जुलाई से देश के लगभग 500 जिलों में पिछले वर्षों के किसान आंदोलन की स्मृति को पुनर्जीवित करने के लिए जनसभाएं की गई और अभियान का परिणाम यह हुआ कि आज देश भर में लगभग 1200 स्थानों पर सड़क नाकाबंदी की गई। उन्होंने कहा कि एसकेएम का अगला कार्यक्रम केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग को लेकर 18-19-20 अगस्त को लखीमपुर खीरी में 75 घंटे का स्थायी मोर्चा आयोजित करेगा, जिसमें किसान नेता और देश भर के कार्यकर्ता भाग लेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) डकौंडा के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने पटियाला से बात करते हुए कहा, “अमृतसर, मानसा, फिरोजपुर और संगरूर जिलों सहित पूरे पंजाब भर से बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर निकले। इससे पता चलता है कि किसानों का आंदोलन अभी तक शांत नहीं हुआ है।
बीकेयू एकता उग्राहां नेता, शिंगारा मान सिंह ने बठिंडा से बात करते हुए न्यूज़क्लिक को बताया, " दिल्ली से पंजाब आने वाली सभी प्रमुख ट्रेनें रविवार को प्रभावित हुईं, क्योंकि किसानों ने 40 से अधिक स्थानों पर रेलवे ट्रैक को चार घंटे तक अवरुद्ध कर दिया।"
हरियाणा में एआईकेएस नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा कि बड़े पैमाने पर सड़कों को जाम नहीं किया गया, लेकिन तीज उत्सव के चलते रास्ते रोकने के बजाए किसानों रविवार को कई जगहों पर जनसभाएं की।
उन्होंने कहा कि किसान संगठन, पूर्व सैनिक समितियों और छात्र संगठनों के साथ आए है। अग्निपथ योजना का पर्दाफाश करने के लिए, जो राष्ट्र-विरोधी और युवा-विरोधी होने के साथ-साथ किसान-विरोधी भी है, संयुक्त किसान मोर्चा 7 अगस्त से 14 अगस्त तक देश भर में “जय-जवान जय-किसान” सम्मेलन आयोजित करेगा।
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